आखिर आज की दुनिया में क्यों जरूरी है मानसिक स्वास्थ्य?

 

नंदकिशोर मुरलीधर 

एबीएन हेल्थ डेस्क। आज दुनियाभर के लोगों में बीमारियों ने अपना घर बना लिया है। लाख जागरूकता के बावजूद लोग इसपर सफलता पाने में असफल हो रहे हैं। जिससे स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। इन सबके बीच मानसिक स्वास्थ्य लोगों के बीच आम समस्या बनकर रह गयी है। जिसपर काबू पाना अब बेहद ही जरूरी हो गया है। आज इन्हीं समस्याओं से पार पाने की कोशिश में एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक अदिति भसीन से एबीएन के प्रधान संपादक नंदकिशोर मुरलीधर ने खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश... 

प्रश्न: मानसिक स्वास्थ्य का असली मतलब क्या है?

उत्तर: जब हम बीमार पड़ते हैं, तो डॉक्टर के पास जाते हैं, दवा लेते हैं, आराम करते हैं। लेकिन जब मन थक जाता है, टूट जाता है, तब क्या करते हैं? ज़्यादातर लोग इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ़ मानसिक बीमारियों से बचना नहीं, बल्कि अपनी भावनाओं को समझना, तनाव को संभालना और एक संतुलित जीवन जीना भी है।

प्रश्न: आजकल इतनी ज़्यादा मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं क्यों बढ़ रही हैं?

उत्तर: पहले इंसान अपनों के साथ बैठकर दिल की बातें करता था, लेकिन आज हमारी दुनिया मोबाइल स्क्रीन में सिमट गई है। सोशल मीडिया पर हम हंसते-मुस्कुराते चेहरों को देखते हैं और अपनी ज़िंदगी से तुलना करने लगते हैं। पढ़ाई, करियर, रिश्तों का दबाव और समाज की उम्मीदें हमें अंदर ही अंदर तोड़ देती हैं। यही कारण है कि डिप्रेशन, एंग्जायटी, और स्ट्रेस जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

प्रश्न: लोग मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुलकर बात क्यों नहीं करते?

उत्तर: क्योंकि हमें बचपन से यही सिखाया गया कि मज़बूत बनो, रोओ मत, कमज़ोर मत पड़ो। लेकिन क्या कभी किसी ने यह सिखाया कि अगर दर्द हो, तो उसे महसूस करो, अगर कुछ भारी लग रहा है, तो किसी से बात करो? हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना अभी भी आसान नहीं है, लेकिन हमें इस सोच को बदलना होगा।

प्रश्न: मानसिक शांति के लिए हम क्या कर सकते हैं?

उत्तर: सबसे पहले हमें खुद को समझना होगा—क्या चीज़ हमें परेशान कर रही है? क्या हमें वाकई मदद की ज़रूरत है? छोटी-छोटी चीज़ें, जैसे सुबह उठकर थोड़ा ध्यान लगाना, खुद से प्यार करना, सोशल मीडिया से थोड़ा दूर रहना, अपनों से खुलकर बात करना—ये सब हमारी मानसिक सेहत के लिए बहुत ज़रूरी हैं। अगर ज़रूरत लगे, तो किसी मनोवैज्ञानिक या थेरेपिस्ट से मदद लेने में झिझकें नहीं।

प्रश्न: EFT क्या है और यह कैसे मदद करता है?

उत्तर: EFT (Emotional Freedom Techniques) एक ऐसी तकनीक है जो हमारे शरीर के ऊर्जा बिंदुओं पर टैपिंग करके भावनात्मक तनाव को कम करने में मदद करती है। जैसे जब हमें डर लगता है तो दिल तेज़ धड़कने लगता है, वैसे ही हमारे शरीर में कई जगह भावनाओं का असर पड़ता है। EFT से हम इन भावनाओं को पहचानकर उन्हें ठीक कर सकते हैं, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।

प्रश्न: अदिति, आप खुद मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कैसे काम कर रही हैं?

उत्तर: मैंने खुद ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं—लोगों का खो जाना, खुद से जूझना, और यहां तक कि कैंसर से भी लड़ना। लेकिन इन अनुभवों ने मुझे सिखाया कि मानसिक शक्ति कितनी ज़रूरी है। मैं बतौर मनोवैज्ञानिक और एडवांस EFT प्रैक्टिशनर लोगों को उनकी भावनाओं को समझने, खुद को अपनाने और अपने दर्द से उबरने में मदद करती हूं। मेरी संस्था Healing Taps With Aditi      मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर काम कर रही है, ताकि हर किसी को यह समझ आए कि वे अकेले नहीं हैं।

निष्कर्ष:

मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ़ एक शब्द नहीं, बल्कि हमारे जीने का तरीका है। जब मन हल्का होगा, तभी ज़िंदगी भी खूबसूरत लगेगी। तो खुद से प्यार करें, अपनी भावनाओं को समझें और अगर ज़रूरत हो, तो मदद लेने से न हिचकें। याद रखें—आपकी भावनाएं भी उतनी ही अहम हैं, जितने आप खुद।

(अदिति भसीन, एडवांस EFT प्रैक्टिशनर, मनोवैज्ञानिक से खास बातचीत, 9798951510) 

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