अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस केवल जश्न का दिन नहीं, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर आत्ममंथन का भी दिन : योगाचार्य महेश पाल

 

एबीएन हेल्थ डेस्क। 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में इसे औपचारिक रूप से मान्यता दी, जिससे यह एक महत्वपूर्ण वैश्विक आयोजन बन गया। योगाचार्य महेश पाल बताते है कि यह दिवस केवल जश्न का दिन नहीं, बल्कि आत्ममंथन का भी दिन है।नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है,भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। 

महिलाओं की भागीदारी को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने और महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि महिलाओं के संघर्ष और उनके हक की भी लड़ाई की कहानी बयां करता है। इस वर्ष की थीम एक्सीलरेट एक्शन यानी कार्रवाई में तेजी लाना और तेजी से कार्य करना रखी है। 

यह थीम हमें बताती है कि महिलाओं को अपने ऊपर बहुत मेहनत और तेजी से काम करने की जरूरत हैं। यह लोगों, सरकारों और संगठनों को महिलाओं के उत्थान, समान अवसर प्रदान करने और भेदभाव समाप्त करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है। इस दिवस का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करना और लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता फैलाना भी है। 

यह दिन महिलाओं के सशक्तिकरण, समाज, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और राजनीति में उनके योगदान की पहचान दिलाने के साथ-साथ उनके अधिकारों और अवसरों की वकालत करता है। परिवार, समाज, देश एवं दुनिया के विकास में जितना योगदान पुरुषों का है, उतना ही महिलाओं का है। नया भारत-सशक्त भारत-विकसित के निर्माण की प्रक्रिया में महिलाएं घर परिवार की चार दीवारों को पार करके राष्ट्र निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दे रही हैं।

आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, फिर भी कई चुनौतियां उनके सामने खड़ी हैं। जिसमें  स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और समाज में आज भी घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव, शिक्षा में असमानता, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी बुराइयां मौजूद हैं। वहीं दूसरी और महिलाएं अपने कार्यों में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि वह अपने स्वास्थ की ओर ध्यान ही नहीं दे पा रही हैं।

वह दिन प्रतिदिन गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित होती जा रही हैं, जिनमें हृदय रोग,किडनी रोग, लीवर के रोग, माइग्रेन, साइनस, हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड प्रेशर, शुगर (डायबिटीज), अर्थराइटिस (जोड़ों मैं दर्द), मोटापा, डिप्रेशन, लिकोरिया, तनाव, पीसीओडी (PCOD), थायराइड, अस्थमा, चिड़चिड़ापन, गैस, कब्ज, दुबलेपन आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बहुत तेजी से महिलाओं में बढ़ रही है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस जिस प्रकार से महिलाओं के अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक करने का कार्य कर रहा है उसी तरह स्वास्थ्य के प्रति भी उन्हें जागरूक करना पड़ेगा। अगर महिला दिन प्रतिदिन इसी तरह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित रही तो वह विभिन्न क्षेत्रों में अपने योगदान देने से वंचित हो सकती हैं। 

महिलाओं को भी अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग होना पड़ेगा अगर हम पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं है तो हम किसी भी कार्य को अच्छे तरीके से नहीं कर सकते हैं। अपने आप को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा माध्यम है योग प्राणायाम। नारी योग के द्वारा  स्वयं को स्वस्थ बनाकर  अपने परिवार व समाज को भी स्वस्थ रखने में सक्षम बन सकती हैं।

योग शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य एवं विचारों में उच्च गुणवत्ता लाने के साथ भारतीय सनातन संस्कृति व आध्यात्मिक से जोड़ने का कार्य भी करता है। प्रत्येक महिलाओं को अपने जीवन में योग को स्थान देना चाहिए और संतुलित आहार शैली व व्यवस्थित दिनचर्या को जीवन में अपनाना चाहिए, जिससे कि वह विभिन्न प्रकार के रोगों से बचे रहे और अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ते हुए अपने जीवन की उच्च सफलता तक पहुंच सके।

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