योग से ही कार्डियक अरेस्ट से बचाव संभव : योगाचार्य महेश पाल

 

योगाचार्य बोले- कार्डियक अरेस्ट रोग बच्चों युवाओं वयस्कों के लिए बना घातक, बचाव के लिए करें योग प्राणायाम

एबीएन हेल्थ डेस्क। वर्तमान समय में बदलती दैनिक दिनचर्या व आहार चर्या के कारण हम कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिरते जा रहे हैं जिनमें एक है कार्डियक अरेस्ट रोग। इसे एससीए के नाम से भी जाना जाता है, तब होता है जब दिल अचानक और अप्रत्याशित रूप से धड़कना बंद देता है। जब दिल धड़कना बंद हो जाता है, तो रक्त शरीर में ठीक से प्रसारित नहीं हो पाता है और मस्तिष्क और अन्य अंगों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।  

योगाचार्य महेश पाल बताते हैं कि जब मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है, तो इससे व्यक्ति बेहोश हो सकता है और मस्तिष्क की कोशिकाएं आक्सीजन की कमी के कारण मरना शुरू कर देती हैं। शरीर में अन्य प्रणालियों के विपरीत, हृदय में साइनस नोड नामक अपना स्वयं का विद्युत उत्तेजक होता है। जिसमें हृदय के ऊपरी दायें कक्ष में विशेष कोशिकाओं का एक समूह होता है। 

साइनस नोड द्वारा उत्पन्न विद्युत आवेग हृदय के माध्यम से एक व्यवस्थित तरीके से प्रवाहित होते हैं ताकि हृदय की धड़कन की दर और लय को नियंत्रित किया जा सके और हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त की पंपिंग की जा सके। बहुत से लोग कार्डियक अरेस्ट को हार्ट अटैक समझ लेते हैं। हार्ट अटैक में दिल की धड़कन रुकती नहीं है, जबकि कार्डियक अरेस्ट होता है। 

यह तब होता है जब रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी में यांत्रिक रुकावट के कारण हृदय की मांसपेशियों का एक विशेष हिस्सा रक्त की आपूर्ति से वंचित हो जाता है। बड़े पैमाने पर दिल का दौरा पड़ने से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। कार्डियक अरेस्ट ज्यादातर 60 वर्ष की आयु के लोगों में होता है, लेकिन वर्तमान समय में यह बच्चों और युवा वयस्कों में भी देखा जाने लगा है।

कार्डियक अरेस्ट रोग होने से पहले हमारे शरीर में कुछ लक्षण हमारे सामने आते हैं जिसमें, स्पर्शनीय नाड़ी का अभाव (ऐसी स्थिति जिसमें नाड़ी को महसूस नहीं किया जा सकता), असामान्य या अनुपस्थित श्वास, थकान और कमजोरी, चक्कर आना और बेहोशी, सीने में दर्द, घबराहट और सांस लेने में तकलीफ, उल्टीकरना आदि यह लक्षण जब हमें हमारे शरीर में नजर आते हैं तो तुरंत हमें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और सहयोगी चिकित्सा के रूप में योग प्राणायाम प्रारंभ कर देना चाहिए।

अतालता तब होती है जब विद्युत आवेगों का यह प्रवाह प्रभावित होता है अतालता (एरेथमिया) के कारण दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। दिल धीरे-धीरे या तेज या अनियमित रूप से धड़कने लगता है। सभी अनियमितताएं जरूरी नहीं कि चिंता का कारण हों, लेकिन उनमें से कुछ गंभीर हो सकती हैं जिससे दिल की धड़कन अचानक बंद हो सकती है, जिससे दिल का काम करना बंद हो सकता है। जिन लोगों को हृदय संबंधी कोई अंतर्निहित समस्या है या जो जन्मजात हृदय दोष के साथ पैदा हुए हैं, उनमें हृदयाघात होने की संभावना अधिक होती है। 

सामान्य स्वस्थ हृदय वाले व्यक्ति में हृदयाघात होने के लिए कोई बाहरी ट्रिगर होना चाहिए जो सबसे पहले अनियमित हृदय गति का कारण बनता है। अचानक हृदयाघात से मस्तिष्क में आॅक्सीजन युक्त रक्त की कमी के कारण बेहोशी आ जाती है और इसके परिणामस्वरूप यदि यह स्थिति 8 मिनट से अधिक समय तक चलती है तो जीवित बचे लोगों में मस्तिष्क क्षति हो सकती है यदि रिकवरी में 10 मिनट से अधिक समय लगे तो मृत्यु होने की संभावना  बढ़ जाती है।

कार्डियक अरेस्ट रोग होने के कई कारण देखे गये हैं जिनमें, उच्चरक्तचाप, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, जीवनशैली से जुड़े कारक जैसे मोटापा, गतिहीन जीवनशैली, धूम्रपान और शराब पीना। हृदयाघात या अन्य हृदय विकारों जैसे हृदय ताल विकार, जन्मजात हृदय दोष, हृदय विफलता और कार्डियोमायोपैथी का पारिवारिक इतिहास। पृौढ अबस्था, विद्युतीय झटका, अवैध दवाओं (कोकीन या एम्फेटामिन) का उपयोग। 

पोटेशियम मैग्नीशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का असंतुलन, कार्डियक अरेस्ट रोग से बचाव के लिए योग प्राणायाम हमारे लिए काफी लाभदायक है जिसमें ताड़ासन, वृक्षासन सेतुबंध आसन, पश्चिमोत्तानासन सूर्य नमस्कार, वज्रासन, पर्वतासन, भुजंगासन, सवासन नाड़ीशोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, आज्ञा चक्र पर ध्यान। 

  • भुजंगासन- यह आपके पेट की चर्बी को कम करता है और थकान और तनाव को दूर करता है। 
  • पश्चिमोत्तानासन- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। कोलेस्ट्रॉल व मधुमेह को कंट्रोल करता है हृदय स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा आसन है। 
  • ताड़ासन- यह पाचन तंत्र को सुदृढ़ करता है। 
  • वृक्षासन- शारीरिक संतुलन व उच्च रक्त चाप को कंट्रोल करने में सहायक है। 
  • सूर्य नमस्कार- शरीर को लचीला बनाता है कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है रक्त में आॅक्सीजन की पूर्ति करता है शरीर में ओज तेज बल की वृद्धि करता है। 
  • नाड़ी शोधन प्राणायाम- मस्तिष्क में आक्सीजन युक्त रक्त की पूर्ति करता है और मस्तिष्क में कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करता है, उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करता है। 
  • भ्रामरी प्राणायाम- तनाव अवसाद व अनिद्रा की समस्या से निजात दिलाता है। 
  • आज्ञा चक्र पर ध्यान- मन व शरीर के बीच संतुलन लाने का काम करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है। हमारे हारमोंस को बैलेंस करता है। पूर्ण रूप से  हमारे मस्तिष्क को शांत और एकाग्र करता है। योग हमें एक नयी ऊर्जा शक्ति के साथ नया जीवन देने का कार्य करता है और हमें विभिन्न रोगों व समस्याओं से उभरने का काम करता है। इसलिए हमें  दैनिक दिनचर्या में प्रतिदिन योग अभ्यास जरूर करना चाहिए।

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