टीम एबीएन, रांची। झारखंड अभिभावक मंच के प्रांतीय प्रवक्ता सह इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के आजीवन सदस्य संजय सर्राफ ने कहा है कि हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनियाभर में एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके फैलाव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने का आह्वान करता है।
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को एचआईवी और एड्स के बारे में जानकारी देना, समाज में फैली भ्रांतियों को समाप्त करना और एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति और समर्थन बढ़ाना है। एड्स एक ऐसा रोग है, जो शरीर की इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है।
एचआईवी वायरस के कारण यह रोग उत्पन्न होता है, जो शरीर में प्रवेश करने के बाद इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देता है। जब इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, तो शरीर कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है, जैसे कि टीबी, कैंसर आदि। यह रोग किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन विशेष रूप से उन व्यक्तियों में इसका खतरा अधिक होता है, जो असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं।
नशीली दवाओं का सेवन करते हैं और जिनके पास उपयुक्त चिकित्सा सुविधा नहीं होती। विश्व एड्स दिवस की शुरुआत 1988 में की गई थी और तभी से यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है। यह दिन सभी देशों के लिए एक अवसर है, ताकि वे एचआईवी और एड्स की रोकथाम के लिए बेहतर नीतियां बनाएं, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएं और समाज में जागरूकता फैलाएं।
भारत में भी इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि एचआईवी के मामले यहां काफी अधिक हैं। इसलिए भारत में एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि स्वास्थ्य शिविर, सेमिनार, और प्रचार अभियान।
एचआईवी संक्रमण के प्रमुख कारणों में असुरक्षित यौन संबंध, रक्त का आदान-प्रदान, संक्रमित सुइयों का प्रयोग, और मां से बच्चे में संक्रमण का जोखिम शामिल है। इसलिए एड्स से बचाव के लिए सबसे प्रभावी उपाय सुरक्षित यौन संबंध बनाना, रक्त के सुरक्षित परीक्षण का पालन करना और संक्रमण से बचने के लिए उचित एहतियात बरतना है।
इसके साथ ही एचआईवी और एड्स से संबंधित सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे जुड़ी हुई समाज में कई भ्रांतियां और अज्ञानता है। अक्सर लोग इस बीमारी को लेकर गलत धारणाओं का शिकार होते हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि एचआईवी केवल विशेष समूहों को ही प्रभावित करता है, जबकि यह गलत है।
एड्स एक वैश्विक समस्या है, और इसे लेकर समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विश्व एड्स दिवस का मुख्य संदेश यही है कि एड्स को फैलने से रोका जा सकता है, अगर हम सभी मिलकर इसके प्रति जागरूकता बढ़ाएं और संक्रमित व्यक्तियों के साथ सहानुभूति दिखाएं।
इसके साथ ही, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एचआईवी और एड्स के मरीजों को समाज में समान अधिकार मिले और उनका सामाजिक बहिष्कार न हो। आखिरकार, यह हमारा सामूहिक दायित्व है कि हम एचआईवी और एड्स के खिलाफ एकजुट होकर काम करें और इसे फैलने से रोकने में अपनी भूमिका निभाएं। तभी हम एक स्वस्थ और सुरक्षित समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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