डेंगू का बढ़ता प्रकोप जीवन के लिए खतरा, नाड़ीशोधन प्राणायाम डेंगू से बचाव में सहायक : योगाचार्य महेश पाल

 

एबीएन हेल्थ डेस्क। वर्तमान समय में डेंगू ज्वर का प्रकोप बहुत तेजी से फैल रहा है, 2024 के बीच तक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को 7.6 मिलियन से अधिक डेंगू के मामले रिपोर्ट किये गये हैं। इनमें से 3.4 मिलियन मामलों की पुष्टि की गयी हैं, योगाचार्य महेश पाल बताते हैं कि डेंगू बुखार एक कष्टदायक शरीर को दुर्बल करने वाला मच्छर जनित रोग है और जो लोग दूसरी बार डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं उनमें गंभीर बीमारी विकसित होने का काफी अधिक जोखिम होता है। 

डेंगू, जिसे ट्रॉपिकल फ्लू के नाम से भी जाना जाता है,यह वायरस एडीज प्रजाति के मच्छरों द्वारा फैलता डेंगू बुखार मुख्य रूप से संक्रमित एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है , जिसमें ए.एजिप्टी और ए. एल्बोपिक्टस मच्छर शामिल हैं। मच्छर तब संक्रमित होता है जब वह किसी ऐसे व्यक्ति को काटता है जिसके खून में डेंगू है। लगभग एक सप्ताह के बाद, मच्छर काटने पर बीमारी को दूसरे व्यक्ति में फैलाने में सक्षम होता है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में डेंगू का सीधा प्रसार नहीं होता डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है क्योंकि रक्त कोशिकाएं वायरस से प्रभावित होती हैं जो प्लेटलेट्स को नुकसान पहुँचती है इस चरण के दौरान उत्पादित एंटीबॉडी डेंगू बुखार के दौरान बड़ी संख्या में प्लेटलेट्स को नष्ट कर देती प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में ब्लड सेल्स हैं।

स्वस्थ व्यक्ति में 1.5 लाख से 4 लाख तक ब्लड प्लेटलेट्स होते हैं, लेकिन डेंगू होने पर इनकी संख्या तेजी से गिर जाती है. जिसके चलते मरीज की इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है. डेंगू में प्लेटलेट्स गिरकर 60 हजार तक पहुंच जाते हैं, WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया को बीमारी की गंभीरता का आकलन करने के लिए एक मानदंड माना जाता है।

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया को प्लेटलेट काउंट में तेजी से गिरावट या 150,000/mm3 (<150 G/L) से कम प्लेटलेट काउंट के रूप में परिभाषित किया जाता थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पर्पुरा एक प्रतिरक्षा संबंधी बीमारी है। एंटी-प्लेटलेट एंटीबॉडी के कारण प्लीहा में प्लेटलेट्स नष्ट हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आती है, शरीर में हल्का सा प्रभाव होने पर आसानी से खून बहने लगता है। डेंगू बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के पहले हफ़्ते में ही दिखने लगते हैं जिसमें ,अचानक बहुत तेज़ बुखार, जी मिचलाना, त्वचा पर लाल चकत्ते,भयंकर सरदर्द, पेट में तेज दर्द, लगातार उल्टी,आँखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, या ऐंठन, नाक या मसूड़ों से खून आना,तेजी से सांस चलना आदि लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह ले चिकित्सा प्रारंभ कर दे उसके पश्चात सहयोगी चिकित्सा के रूप में आसन प्राणायाम का धीरे-धीरे अभ्यास कर सकते हैं जिसमें, सर्वांगासन, मत्स्यासन, पश्चिमोतानासन, नाड़ीशोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, के साथ साथ तुलसी+गिलोय का अर्क एवं पपीते के पत्तों का जूस काफी लाभदायक सिद्ध होता है, डेंगू बुखार तेज होने पर एवं अत्यधिक प्लेटलेट्स की संख्या गिरने पर आसन का अभ्यास नही करना चाहिए केवल नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास धीरे धीरे कर सकते हैं, नाड़ी शोधन प्राणायाम प्रतिरक्षा प्रणाली को स्ट्रांग बनता है एवं रक्त कोशिकाओं को डेंगू वायरस से प्रभावित होने से बचाने मैं सहयोग करता है, नाड़ी शोधन प्राणायाम के अभ्यास 1:4:2 के अनुपात के साथ किया जाता है, अभ्यास के लिए सुखासन में बैठ जाए दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें फिर बांयी नासिक से सांस 12 काउंटिंग के साथ ले फिर 48 काउंटिंग तक होल्ड करें फिर 24 काउंट के द्वारा दांयी से छोड़ दें फिर दांयी नासिका से सांस ले बांयी से छोड़ दें इस तरह 5 मिनिट तक कर सकते हैं।

डेंगू ज्वर एवं अन्य बीमारियों से  बचाव के लिए योग एक अत्यंत लाभकारी उपाय है। नियमित योगाभ्यास से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और शरीर के अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। योग आसनों से रक्त संचार बेहतर होता है, तनाव कम होता है, और मानसिक संतुलन बना रहता है। योग जीवनशैली को स्वस्थ बनाता है और आत्म-संयम को बढ़ाता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। साथ ही हमारी इम्युनिटी भी बूस्ट होती है जिससे हम डेंगू जैसी कई बीमारियों से बच सकते हैं।

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