एबीएन हेल्थ डेस्क। कंप्यूटर के सामने घंटों एक पोजिशन में बैठकर काम करना और मोबाइल पर चैट-गेम खेलने की आदत युवाओं को स्पाइन की बीमारी का रोगी बना रही है। फरीदाबाद के सरकारी और निजी अस्पतालों में रोजाना 20-30 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में न्यूरो सर्जन ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
फरीदाबाद में बीके, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सहित करीब 15 बड़े अस्पताल हैं। इन अस्पतालों की न्यूरोलॉजी ओपीडी में रोजाना चार से पांच मरीज पीठ दर्द और स्पाइन की समस्या से पीड़ित होते है। ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ। राहुल ने बताया कि युवाओं में यह बीमारी काफी तेजी से बढ़ी है। पिछले दो साल में ओपीडी में इस बीमारी के मरीजों में युवाओं के केस 30 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
ग्रेटर फरीदाबाद स्थित एक निजी अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ विक्रम दुआ ने बताया कि भागदौड़ भरी जीवनशैली में 70 से 80 प्रतिशत लोगों को पीठ दर्द की समस्या हो रही है। इसके अलावा सोते समय हाथ में दर्द, जलन और झुनझुनी भी लोगों को परेशान करती है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
साथ ही रहन-सहन में बदलाव व तकनीकी निर्भरता के कारण युवा इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं, जो कि आमतौर पर बुजुर्गों की बीमारी कही जाती है। उनके पास पहले जहां इस बीमारी के केस में 90 फीसदी बुजुर्ग तो 10 फीसदी युवा आते थे। वहीं आज यह रेश्यो 70 और 30 पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि युवा आजकल घंटों कंप्यूटर पर समय बिताते हैं। उनकी फिजिकल एक्टिविटी जीरो हो गई है, ऐसे में स्पाइन डिसआॅर्डर लगातार बढ़ रहा है।
शुरुआती दौर में भले ही युवा इसे गंभीरता से न लें, लेकिन लंबे समय में यह परेशानी का कारण बन सकती है। रीढ़ की हड्डी में दर्द और विकलांगता कैंसर, स्ट्रोक, हृदय रोग, मधुमेह और अल्जाइमर रोग की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है। मूव योर स्पाइन अभियान का उद्देश्य घर, कार्यस्थलों, स्कूलों और समुदायों के भीतर की स्थितियों सहित रीढ़ की हड्डी में दर्द और विकलांगता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।
डॉ रवि शंकर ने कहा कि पीठ दर्द का एक कारण घंटों कंप्यूटर पर बैठने के अलावा अधिक ड्राइविंग करना भी है। जब हम एक ही पोजिशन में ज्यादा देर तक बैठते हैं तो सिर से कमर तक की हड्डियों में खिंचाव पैदा होता है जो लम्बर स्पोंडिलोसिसबीमारी का संकेत है। ओपीडी में इस बीमारी के रोजाना चार से पांच मरीज आ रहे हैं।
कंप्यूटर के सामने घंटों बैठकर काम करना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा कमर टेढ़ी करके बैठना, गलत तरीके से चलना, कमर दर्द को नजरअंदाज करना, कमजोरी आना, शरीर का कोई भाग सुन्न पड़ जाना, पैरों में झनझनाहट होना, चलने में दिक्कत होना, पेशाब रुक जाना। अगर कमर दर्द ठीक नहीं होती है और साथ में बुखार या टांगों में दर्द है तो तुरंत स्पाइनल सर्जन को दिखायें।
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