एबीएन सोशल डेस्क। गायत्री युगतीर्थ शक्तिपीठ सेक्टर टू परिसर में पापांकुशा एकादशी पर 24 घंटे का गायत्री महामंत्र का आनलाइन विश्व स्तरीय अखंड जप-अनुष्ठान, व्रत-उपवास की आज पूणार्हुति सोल्लास संपन्न हुई। नौदिवसीय नवरात्र अनुष्ठान की समीक्षात्मक विचार-विमर्श व विश्लेषण भी हुआ।
यज्ञ उपाचार्य द्वारा पर्व, त्यौहार, व्रत-उपवास,अखंड जप-अनुष्ठान पर व्रियते इति व्रतम् पर प्रकाश डाला गया। बताया कि जिसका वरण, ग्रहण, आचरण, अनुष्ठान, अनुपालन किया जाये, उसे व्रत कहते हैं। पर्व त्यौहार अवसर पर व्रत- उपवास जप-अनुष्ठान करने के अनेक लाभ हैं। बताया कि व्रत, त्यौहार उपवास व उत्सव भारतीय संस्कृति के अंग-उपांग हैं।
इन्हीं केंद्र बिन्दुओं के चारों ओर विचारों,भावनाओं, विश्वासों एवं धार्मिक आध्यात्मिक एवं आचार- व्यवहार का विस्तार होता है। आध्यात्मिक ऊर्जा हमारे देश के कण कण में समाविष्ट है। भारतीय पर्वों के मूल में आनंद और उल्लास का विशेष महत्व व अनुभव होता है। पर्वों का उद्देश्य मानव को सामाजिक बनाना भी है। हमारी संस्कृति में जीवन के प्रत्येक क्षण को उत्सव की तरह जीने का ध्येय है- सभी मिल बांटकर इसका आनन्द उठायें।
पर्व मानव की भावनात्मक आवश्यकता की पूर्ति करते हैं व मन को असीम शांति और सुकुन देते हैं। कहा कि जीवन को अनुप्राणित करने और आनन्दमय तरीके से जीवन जीने और अभ्यास से भरपूर लाभान्वित होने का अनुभव करना चाहिए। उक्त जानकारी गायत्री परिवार के वरिष्ठ साधक सह प्रचार-प्रसार प्रमुख जय नारायण प्रसाद ने दी।
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