नामधारी और किशोर जैसे दिग्गज राजनीतिज्ञ अनिर्णय की स्थिति में

 

राजनीतिक का रंग

  • राजनीतिक भविष्य को लेकर लग रही अटकलें
  • किशोर ने राजद छोड़ निभायी रिश्तेदारी, अब फिर घर वापसी के फिराक में

एबीएन न्यूज नेटवर्क, मेदिनीनगर। राजनीति उलटफेर का खेल है। कब बाजी किसके हाथ में चली जाये इसके बारे में कुछ कहा नही जा सकता। बात यदि पलामू की करे तो कभी इंदर सिंह नामधारी और राधाकृष्ण किशोर राजनीतिक के केंद्र बिंदु हुआ करते थे। हालांकि इंदर सिंह नामधारी वर्ष 2014 में ही सक्रिय राजनीतिक से सन्यास ले चुके हैं।

किशोर अभी भी राजनीति में सक्रियता के साथ लगें है। लेकिन राजनीति में इनका कोई परमानेंट एड्रेंस नहीं है। किशोर का छत्तरपुर विस क्षेत्र से चुनाव लड़ना तय बताया जा रहा है। लेकिन यह तय नही है वह किसी दल से लड़ेगे। लोकसभा चुनाव के पहले तक वह राजद में थे। चूंकि उनके बहनोई बीडी राम भाजपा से पलामू संसदीय क्षेत्र का चुनाव लड़ रहे थे तो राजद छोड़कर किशोर ने चुनाव में उनकी मदद की, पर फिलहाल भाजपा में इंट्री की गुजाइंश का सीन नहीं बन पाने के कारण किशोर की फिर से राजद की वापसी की चर्चा जोरो पर चल रही है।

हालांकि वापसी के चर्चा के साथ दल के अंदर विरोध के स्वर भी उठने लगे।नामधारी और किशोर ने सन 1980 में एक साथ ही पहली बार बिहार विधानसभा में कदम रखा था। दोनों अलग अलग दल में रहे, कुछ दिनों  तक एक दल में साथ भी रहे, मगर दोनों में एक समानता रही कि किसी एक दल के खूंटे में बंध कर नहीं रहे। कांग्रेस से राजनीतिक कैरियर से शुरुआत करने वाले किशोर जदयू और भाजपा के टिकट पर भी छत्तरपुर विधानभा से चुनाव जीता 2019 में भाजपा ने टिकट नही दिया तो आजसू में शामिल हो कर चुनाव लड़े।

2024 में अभी तक दल का निर्धारण नही है। एक चर्चा इस बात को लेकर है कि किशोर फिर से जदयू में जाने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। वह इन संभावनाओं को देख रहे है कि गठबंधन के दावे को भाजपा किस हद तक स्वीकार करता है।वहीं नामधारी के साथ दूसरी स्थिति है। वह खुद सक्रिय राजनीति से दूर हैं, पर उनकी चाहत अपने पुत्र दिलीप सिंह नामधारी को राजनीतिक में स्थापित करने की है। वर्ष 2009 मे दिलीप सिंह नामधारी भाजपा के टिकट और 2014 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं।

2019 का चुनाव स्वास्थ्य कारणों से नही लडा था। 2024 में दिलीप नामधारी का चुनाव लड़ना तय है पर निर्दलीय या किसी दल से इसे लेकर फिलहाल पत्ता नही खुला है। इंदर सिंह नामधारी अविभाजीत बिहार में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। झारखंड गठन के बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे।स्थिति यह थी कि जब नामधारी बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे तो उस वक्त वर्तमान में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करता थे।

टिकट से लेकर पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी भूमिका होती थी। जब वह बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे, तो यह नारा गूंजता था देश में अटल बिहारी, बिहार में इंदर सिंह नामधारी।पर आज नामधारी हो या किशोर दोनों की परिस्थिति एक हो गयी है। जो कभी दूसरे को टिकट दिलाने की क्षमता रखते थे, जो कभी सिंबल का वितरण करते थें वैसे राजनीतिक की शख्सियत आज राजनीतिक के बर्थ में महज एक टिकट कंफर्म होने की आस में है। इसे समय का फेरा कहा जाये या राजनीतिक का असली रंग ? (वरिष्ठ पत्रकार अजित मिश्रा जी के फेसबुक वॉल से साभार)

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