एबीएन सेंट्रल डेस्क। एक नयी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ( आइसीएमआर) के अनुसार, देश के 21 प्रमुख अस्पतालों में सुपरबग्स की खतरनाक उपस्थिति देखी गई है। इन सुपरबग्स के कारण अस्पतालों में भर्ती मरीजों के जीवन को खतरा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा क्लासीफाइड सुपरबग्स (क्लेबसिएला न्यूमोनिया और एस्चेरिचिया कोलाई) मुख्य रूप से एम्स दिल्ली, पीजीआइ चंडीगढ़, अपोलो अस्पताल चेन्नई और दिल्ली के गंगाराम अस्पताल सहित कई अन्य अस्पतालों में पाये गये।
आईसीएमआर रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सुपरबग्स मरीजों के सैंपल में पाये गये, जिनमें खून, यूरीन और अन्य तरल पदार्थ शामिल हैं, जो आउट पेशेंट विभागों (ओपीडी), वार्डों और आईसीयू से एकत्र किए गए थे। इस खुलासे से अस्पतालों में अलार्म बज गया है और उन्हें सुपरबग्स के आगे प्रसार को रोकने के लिए दवाओं का बेहतर मैनेजमेंट और जीवाणु अपशिष्ट के निपटान के लिए सख्त प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी गयी है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) द्वारा इस साल की शुरुआत में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2050 तक सुपरबग्स कैंसर जितने बड़े खतरे में हो सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे सुपरबग्स के प्रत्यक्ष आर्थिक परिणाम 2030 के अंत तक लगभग 3.4 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष होंगे। इसके अलावा, 24 मिलियन लोग चरम गरीबी में धकेले जा सकते हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि पशु पालन और फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा प्रदूषण से सुपरबग्स का उदय बढ़ गया है।
सुपरबग्स बैक्टीरिया, वायरस, फंगी या परजीवी के ऐसे स्ट्रेन हैं जो ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रजिस्टेंस होते हैं, जिनमें आधुनिक दवाएं भी शामिल हैं। वे अक्सर एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग के कारण होते हैं। कीटाणुनाशक, एंटीसेप्टिक्स और एंटीबायोटिक्स जो जर्म्स को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं, हर जगह मौजूद हैं, टूथपेस्ट और शैम्पू से लेकर गाय के दूध और गंदे पानी तक।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse