एबीएन हेल्थ डेस्क। नौली एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है एक व्यायाम जो शरीर के आंतरिक अंगों की मालिश करके पेट के क्षेत्र को साफ करने के लिए किया जाता है। इसे अंग्रेजी में आइसोलेशन आॅफ द बेली भी कहा जाता है। योगाचार्य महेशपाल विस्तार से बताते हैं कि इस अभ्यास के चार अलग-अलग संस्करण हैं: मध्यान नौली, वामा नौली, दक्षिणा नौली और भ्रमर नौली क्रिया।
नौलि क्रिया में पेट की आन्तरिक मांसपेशियों को गोल-गोल घुमाया जाता है जिससे उनकी मालिश होता है। इस क्रिया को करने के लिये खड़े होकर, पैरों के बीच कुछ दूरे रखते हुए, घुटनों को मोड़कर किया जाता है। उड्डियान बन्ध, नौलि में किया जाने वाला बन्ध। नौलि छह षटकर्मों में से एक है, जो पारंपरिक हठ योग में प्रयुक्त शुद्धिकरण है।नौली शुरू करने के लिए क्लासिक स्थिति यह है कि खड़े होकर धड़ को थोड़ा आगे की ओर झुकायें और हाथों को जांघों पर टिकाएं।
पूरी सांस बाहर छोड़ी जाती है और फिर पेट को अंदर लाया जाता है। फिर पेट की मांसपेशियों को अलग किया जाता है और एक सर्कल में घुमाए जाने से पहले उन्हें सिकोड़ा जाता है। यह हठ योग में इस्तेमाल किए जाने वाले छह षट्कर्म या शुद्धिकरण विधियों में से एक है। माना जाता है कि नौली समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है और जीवन शक्ति को बढ़ाती है।
यह मणिपुर और स्वाधिष्ठान चक्रों को भी सक्रिय करती है नौली क्रिया में उड्डियन बन्ध में फेफड़ों को खाली किया जाता है, और पेट पसली के निचले किनारे के नीचे अंदर और ऊपर की ओर खींचा जाता है मध्यान नौलि : केवल पेट की केंद्रीय मांसपेशियां सिकुड़ती हैं वाम नौलि मैं केवल पेट की बाईं मांसपेशियां सिकुड़ती हैं दक्षिण नौलि मैं केवल पेट की दाहिनी मांसपेशियां सिकुड़ती हैं।
योग का एक नियम है कि प्रत्येक मांसपेशी एक दिन में कम से कम एक बार गतिशील अवश्य हो। इससे हमारी ऊर्जा पुन: प्रवाहित होने लगती है और रुकावटें दूर होती हैं। ऊर्जा पानी के समान है। जो पानी एक जगह ठहरा रहता है वह अशुद्ध और दुर्गंधयुक्त हो जाता है। इसके विपरीत, जो पानी बहता रहता है हमेशा शुद्ध रहता है। यही कारण है कि हमें भी अपने पेट की मांसपेशियों और आंतों को रोजाना गतिशील करना चाहिये। नौलि अति प्रभावी रूप से पाचन में सहायक है और इस प्रक्रिया में आने वाली रुकावटों को दूर करती है।
नौली योगिक क्रिया के पेट की मांसपेशियों को मजबूत करती है और आंतों व पेट के निचले अवयवों की मालिश करती है। यह रक्तचाप को नियमित करती है और मधुमेह के खिलाफ सुरक्षात्मक परहेजी प्रभाव रखती है। यह अम्ल शूल और चर्म रोगों (मुहांसों) को दूर करने में सहायक है संपूर्ण पाचक प्रणाली पर सकारात्मक असर और रुकावटें दूर करने से नौलि हमारे स्वास्थ के लिए सर्वोत्तम व्यायामों मैं से एक है।
बहुत सारे रोगों का मूल हमारी पाचन प्रणाली में ही है : सिर दर्द, चर्म रोग, कई बार कैंसर भी। विषैले पदार्थ और व्यर्थ उत्पाद जो समय पर बाहर नहीं निकल पाते वे हमारे शरीर में जमा हो जाते हैं - ये ही विषम परिस्थितियों का बनते नौली योगिक क्रिया करने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। खाली पेट ही यह अभ्यास करें।
गर्भावस्था की स्थिति में या गुर्दे और पित्ताशय में पथरी हो तो इसका अभ्यास नहीं करें। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नौली क्रिया एक उन्नत योगिक अभ्यास है और इसे किसी अनुभवी योग प्रशिक्षक या योगाचार्य के मार्गदर्शन में सीखा और अभ्यास किया जाना चाहिए। उचित निर्देश के बिना इस तकनीक का प्रयास करने से चोट या असुविधा हो सकती है।
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