25 को है आमलकी एकादशी, दूसरे करेगी समाज की हर बाधाएं

 

सनातन धर्म के अनुसार जैसे प्रदोष की तिथि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होती है, उसी प्रकार भगवान विष्णु को एकादशी अत्यंत प्रिय मानी गई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार आमलकी का मतलब आंवला होता है, जिसे हिंदू धर्म और आयुर्वेद दोनों में श्रेष्ठ माना गया है। पद्म पुराण के अनुसार भगवान विष्णु को आंवले का वृक्ष अत्यंत प्रिय होता है। माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में श्री हरि और लक्ष्मी जी का वास होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के कृष्ण शुक्ल पक्ष को आती है। इसे आमलक्य एकादशी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह हर साल फरवरी या मार्च महीने में मनाई जाती है। वहीं इस बार 2021 में यह आमलकी एकादशी 25 मार्च को पड़ रही है। आमलकी एकादशी को कई शुभ मुहूर्तों के रूप में भी बांटा गया है, जो इस वर्ष निम्न प्रकार से हैं : सुकर्मा - 24 मार्च की सुबह 11 बजकर 41 मिनट से 25 मार्च की सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक। धृति - 25 मार्च की सुबह 10 बजकर 03 मिनट से 26 मार्च की सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक। पारणा मुहूर्त- 26 मार्च को 06:18:53 से 08:46:12 तक। अवधि-2 घंटे 27 मिनट माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होने की वजह से उसी के नीचे भगवान का पूजन किया जाता है, यही आमलकी एकादशी कहलाती है। इस दिन आंवले का उबटन, आंवले के जल से स्नान, आंवला पूजन, आंवले का भोजन और आंवले का दान करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। पीपल और आंवले के वृक्ष को हिंदू धर्म में देवता के समान माना गया है। माना जाता है कि जब भगवान श्री हरि विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया, उसी समय भगवान विष्णु ने आंवले के वृक्ष को भी जन्म दिया। इसी कारण आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। आंवले वृक्ष के हर अंग में ईश्वर का निवास माना गया है। आमलकी एकादशी में आंवले का विशेष महत्व है। इस दिन पूजन से लेकर भोजन तक हर कार्य में आंवले का उपयोग किया जाता है। ऐसे समझें आमलकी एकादशी की पूजा विधि... 1. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करना चाहिए। 2. व्रत का संकल्प लेने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। घी का दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। 3. वहीं पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करना चाहिए। यदि आंवले का वृक्ष उपलब्ध नहीं हो, तो आंवले का फल भगवान विष्णु को प्रसाद स्वरूप अर्पित करें। 4. आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत आदि से पूजन कर उसके नीचे किसी गरीब, जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। 5. इसके बाद अगले दिन यानि द्वादशी को स्नान कर भगवान विष्णु के पूजन के बाद जरुतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को कलश, वस्त्र और आंवला आदि दान करना चाहिए। फिर भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।

Newsletter

Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.

We do not share your information.

abnnews24

सच तो सामने आकर रहेगा

टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।

© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse