16 साल में 10 गुणा से ज्यादा बढ़ गया पाकिस्तान का कर्ज

 

पाकिस्तान पर 16 साल पहले था 6.1 लाख करोड़ का कर्ज, 2024 के हालात जान चौंक जायेंगे आप! 

  • पहले से ही कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान का कर्ज दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब में संसद को बताया है कि पिछले 16 साल में पाकिस्तान पर सार्वजनिक कर्ज 11 गुना बढ़ चुका है। इसके 2024 के अंत तक 67 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचने का अनुमान है।

प्रियेश मिश्र 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान की माली हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। जिन्ना के सपनों का यह देश एक बार फिर दिवालिया होने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसका प्रमुख कारण पाकिस्तान पर लदा कर्ज का भार है। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को संसद में बताया है कि करीब 16 साल में पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण 61.4 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ चुका है। यह ऋण 2008 में 6.1 लाख करोड़ रुपये था, जिसके 2024 के अंत तक 67.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। 

पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने क्या बताया 

पाकिस्तानी वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने प्रश्नकाल के दौरान संसद के साथ डेटा साझा किया। मंत्री ने सीनेट को बताया कि पाकिस्तान पर कर्ज के बढ़ने में विभिन्न कारकों ने भूमिका निभाई, जिसमें 10.2 ट्रिलियन रुपये का प्राथमिक घाटा, 32.3 लाख करोड़ रुपये का ब्याज व्यय और विनिमय दर/लेखा समायोजन शामिल हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, जून 2024 के अंत तक वाणिज्यिक बैंकों का कुल ऋण 38,531 अरब रुपये था, जो कुल ऋण का 22.8% है। वाणिज्यिक बैंकों ने जून 2024 तक सरकारी क्षेत्र को 27,246 अरब रुपये उधार दिए थे। जबकि, वाणिज्यिक बैंकों से निजी क्षेत्र को दिए गए ऋण 8,776 अरब रुपये थे। 

2008 में पाकिस्तान पर कितना था कर्ज 

पाकिस्तान पर जून 2008 में आंतरिक ऋण 3.3 लाख करोड़ रुपये और बाहरी ऋण 2.9 लाख करोड़ रुपये था। जून 2024 में आंतरिक ऋण 43.4 लाख करोड़ रुपये और बाहरी ऋण 24.1 लाख करोड़ रुपये था। इसलिए, आंतरिक ऋण 40.2 लाख करोड़ रुपये और बाहरी ऋण 21.3 लाख करोड़ रुपये बढ़ गये। सीनेट के साथ साझा किए गए विवरण से पता चलता है कि प्राथमिक घाटे के कारण ऋण 10.2 लाख करोड़ रुपये, ब्याज व्यय के कारण 32.3 लाख करोड़ रुपये और अन्य चीजों के कारण 18.9 लाख करोड़ रुपये बढ़ गये। 

पाकिस्तान पर कैसे बढ़ता गया कर्ज 

पाकिस्तान पर 2008 में, सरकारी ऋण 6.1 लाख करोड़ रुपये था जो 2013 में 12.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 2013 में कर्ज 14.3 अरब रुपये था, जो 2018 में बढ़कर 25 अरब रुपये हो गया। 2019 में सरकारी कर्ज 32.7 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022 में 49.2 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2023 में सरकारी कर्ज 62.9 लाख करोड़ रुपये था। मार्च 2024 में राष्ट्रीय कर्ज 67.5 लाख करोड़ रुपये था। 2019 में कर्ज 7.8 लाख करोड़ रुपये, 2022 में 9.4 लाख करोड़ रुपये और 2023 में 13.6 लाख करोड़ रुपये बढ़ा।

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