टीम एबीएन, रांची। श्री जैन श्वेतांबर साधुमार्गी संघ रांची के परम पूज्य आचार्य भगवन 1008 श्री रामलाल जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती साध्वियां शासन दीपिका समिया श्री जी म.सा. आदि ठाना 4 के रांची प्रवास के दौरान आज शुभकरण बच्छावत के आवास पर प्रवचन हुआ।
आज के प्रवचन में शासन दीपिका समिया श्री जी म.सा. ने कर्मों के फल पर सम्बोधित करते हुए बताया कि मनुष्य के द्वारा स्वयं से बांधे हुए कर्मों को काटे बिना मुक्ति नहीं मिलती हैं। कर्म काटने के लिए तपस्या और त्याग करते है किन्तु इनके अलावा भी हम अपने दैनिक दिनचर्या को सही करके उसमें धर्म को समाहित करके कर्मों की निर्जरा कर सकते हैं।
यहां तक कि श्रमण भगवान महावीर स्वामी को भी अपने पूर्व जन्म के कर्मों को भोगना पड़ा था।उनके तपस्या काल में उनके कानों में कील तक ठोक दी गई थी! आपके पास जो दुख आ रहे हैं वह पूर्व कर्मों के कारण ही हैं! हमारी आत्मा का उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना होना चाहिए।
ऐसे कर्म नहीं करने चाहिए कि नरक की गति मिले। भगवान ने जो सही व सच्चा रास्ता दिखाया है वह जानकर उस रास्ते पर चलना होगा।अपनी आत्मा को क्रोध, मोह, मान, लोभ के दोष से दूर करना चाहिए। क्रोध का मूल कारण मनुष्य की स्वयं की इच्छाओं की पूर्ति न होना है, मनुष्य को स्वयं पर संयम रखना चाहिए!
प्रवचन के अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए उत्तम जैन ने कहा कि यह रांची संघ का सौभाग्य है की ऐसी चरित्र आत्माएं रांची में विचरण करते हुए यहां प्रवास कर रही हैं। आज के प्रवचन में रांची संघ के राजेश पींचा, पूनम भंसाली, बिनोद बैंगानी, उत्तम कोठारी सहित कई श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे। प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 से 10 एवं ज्ञान चर्चा के लिए दोपहर में 2 से 4 तक का समय रखा गया है।
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