एबीएन सेंट्रल डेस्क। खुशी तो सबकी अपनी-अपनी है, लेकिन आंकड़े भी तो कुछ कहते हैं ना! टाइम आउट के सिटी लाइफ इंडेक्स 2025 में लोगों से पूछा गया कि उनका शहर कितना मजेदार है, नाइटलाइफ कैसी है, खाना कितना लाजवाब, जिंदगी की क्वालिटी क्या है और सबसे जरूरी - क्या ये शहर उन्हें खुश रखता है और यहां के लोग पॉजिटिव लगते हैं? नतीजा एशिया की सबसे खुशहाल शहर की ताज मुंबई के सिर सजा, जिसने बीजिंग, शंघाई, चियांग माई और हनोई को पछाड़ दिया।
बीजिंग और शंघाई दूसरे-तीसरे नंबर पर हैं, जहां क्रमश: 93 फीसदी और 92 फीसदी लोग खुश हैं। ये दोनों मेगा शहर सेफ्टी, सुविधा, खर्च और कल्चर में टॉप पर हैं, और जेन के लिए फ्यूचर वाली जीवंत जगहें बने हुए हैं।
थाइलैंड का चियांग माई और वियतनाम का हनोई टॉप फाइव में हैं। दोनों में 88 फीसदी लोग कहते हैं कि उनका शहर उन्हें खुशी देता है। रोजमर्रा की खुशी में हनोई ने थोड़ा आगे निकला। दोनों ही शहर हरे-भरे स्पेस, सुस्त रफ्तार और गहरे कम्युनिटी बॉन्ड के लिए मशहूर हैं : शांति और कनेक्शन ढूंढ़ने वालों के लिए परफेक्ट।
कुछ बड़े शहर क्यों पीछे रह गये? हर बड़ा शहर टॉप पर नहीं पहुंचा। सियोल, सिंगापुर और टोक्यो नीचे हैं, टोक्यो में तो सिर्फ 70 फीसदी लोग ही कहते हैं कि शहर उन्हें खुश रखता है। लंबे वर्किंग आॅवर्स और तेज रफ्तार जिंदगी थका देती है, जिससे साफ पता चलता है कि पार्क, बाथहाउस और नेचर ट्रिप्स कितने जरूरी हैं स्ट्रेस कम करने के लिए।
चाहे मुंबई का स्ट्रीट फूड हो, बीजिंग-शंघाई की मॉडर्न सुविधाएं, या चियांग माई-हनोई के हरे-भरे कोने - ये सर्वे साबित करता है कि खुशी एक फीलिंग भी है और शहर की दी हुई जिंदगी का आइना भी।
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