एबीएन बिजनेस डेस्क। कुछ ही हफ्तों पहले तक निवेशकों की आंखों का तारा बनी चांदी अब अचानक फीकी पड़ती नजर आ रही है। ₹1.70 लाख प्रति किलो का रिकॉर्ड स्तर छूने के बाद अब इसकी कीमत ₹1.53 हजार तक लुढ़क गई है।
यानि करीब 20 हज़ार चांदी सस्ती हो गई है। इसकी वजह अमेरिका-चीन के बीच कम होता व्यापारिक तनाव और बाजार में मुनाफावसूली बताई जा रही है। हालांकि जानकारों की मानें तो यह सिर्फ एक सांस लेने की ब्रेक है - असली रफ्तार अभी बाकी है।
बीते शुक्रवार, 17 अक्टूबर को MCX पर चांदी की फ्यूचर ट्रेडिंग में ₹1,70,415 से गिरकर ₹1,53,700 प्रति किलो तक की बड़ी गिरावट देखने को मिली यानी करीब ₹16,700 की तेज गिरावट। हालांकि दिन के दूसरे हिस्से में हल्की रिकवरी आई और यह ₹1,57,300 तक चढ़ी। सोमवार, 20 अक्टूबर को कीमत मामूली तेजी के साथ ₹1,56,755 पर ट्रेड कर रही थी।
अमेरिका-चीन व्यापार तनाव में नरमी चांदी की गिरावट की सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीकारा कि चीन पर लगाया गया 100% टैरिफ स्थायी विकल्प नहीं है, और बीजिंग ने उन्हें यह कदम उठाने को मजबूर किया। इस बयान के बाद ग्लोबल निवेशकों ने सेफ-हेवन डिमांड से दूरी बना ली और मुनाफा वसूली शुरू कर दी।
MCX पर ₹1,70,415 के रिकॉर्ड हाई से गिरकर ₹1,53,700 पर आ गई चांदी
फिलहाल 10% नीचे ट्रेड कर रही है।
Motilal Oswal का अनुमान: यह अस्थायी गिरावट है। ब्रोकरेज फर्म Motilal Oswal का कहना है कि यह गिरावट सिर्फ एक शॉर्ट-टर्म कूल-ऑफ है। रिपोर्ट में कहा गया कि: यह रैली सट्टेबाज़ी नहीं, बल्कि मजबूत औद्योगिक मांग और सप्लाई की सीमाओं पर आधारित है। यह 1980 और 2011 जैसी फुल-स्पेकुलेटिव रैली नहीं है। ब्रोकर हाउस का मानना है कि चांदी अभी स्ट्रक्चरल बुल फेज में है, यानी कीमतों की लंबी अवधि की मजबूती अभी जारी रह सकती है।
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