एबीएन सेंट्रल डेस्क। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय घरेलू निवेशकों ने देश के शेयर बाजार में बेहतरीन भरोसा दिखाया है। कैलेंडर ईयर 2025 में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भारतीय इक्विटी मार्केट में रिकॉर्ड 6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह 2007 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की ओर से डेटा एकत्रित करने की शुरुआत के बाद से अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024 में डीआईआईएस का कुल निवेश 5.26 लाख करोड़ रुपये था, जबकि 2025 में यह बढ़कर अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। घरेलू निवेशकों ने मुख्य रूप से बैंक, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड, घरेलू वित्तीय संस्थान और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) जैसे साधनों में निवेश किया है।
दूसरी ओर, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2025 में भारतीय बाजार से जोरदार बिकवाली की है। एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, इस साल एफआईआई ने करीब 23.3 अरब डॉलर (लगभग 2.03 लाख करोड़ रुपये) की निकासी की। हालांकि, कुछ विदेशी निवेशकों ने भरोसा दिखाते हुए करीब 49,590 करोड़ रुपये का निवेश भी किया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका की नीतियों का असर भी इस रुझान पर पड़ा है। अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा रखा है और एच-1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी की है। इसके चलते कई विदेशी निवेशकों ने भारत से निवेश घटाकर अमेरिका, चीन, जर्मनी और ब्राजील जैसे बाजारों की ओर रूख किया है। वहीं, जापान, भारत और दक्षिण कोरिया से पूंजी की निकासी हुई है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भी भारतीय घरेलू निवेशक शेयर बाजार पर भरोसा बनाए रखेंगे, क्योंकि एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में लगातार निवेश बढ़ रहा है। इससे बाजार को स्थिरता और मजबूती मिल रही है।
हालांकि, यदि वैश्विक भू-राजनीतिक या आर्थिक संकट गहराता है, तो उसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल सकता है। कुल मिलाकर, 2025 भारतीय निवेशकों के आत्मविश्वास और बाजार की मजबूती का साल साबित हुआ है, जिसने विदेशी बिकवाली के बावजूद घरेलू पूंजी प्रवाह को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है।
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