एबीएन बिजनेस डेस्क। सप्ताह की शुरुआत शेयर बाजार के लिए अच्छी नहीं रही। सोमवार को सेंसेक्स-निफ्टी में जोरदार गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों की चिंता और गहरा गई है। सेंसेक्स 572 अंक लुढ़ककर 80,891 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी भी 156 अंक गिरकर 24,680 के स्तर पर बंद हुआ।
केवल तीन कारोबारी सत्रों में ही 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक की निवेशकों की संपत्ति स्वाहा हो चुकी है। बाजार में भारी गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं वे 5 बड़े कारण, जिन्होंने बाजार को हिला कर रख दिया।
शुक्रवार को एफआईआई ने ₹1,980 करोड़ की भारी बिकवाली की। पूरे पिछले सप्ताह में यह आंकड़ा ₹13,552 करोड़ तक पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस लगातार बिकवाली से बाजार में भरोसे की कमी आई है।
बैंक के शेयर में करीब 7% की गिरावट आई। Q1FY26 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा ₹4,472 करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी तिमाही में ₹7,448 करोड़ था। हालांकि, पिछली बार के मुनाफे में जनरल इंश्योरेंस यूनिट की बिक्री से आई ₹3,000 करोड़ की एकबारगी आय भी शामिल थी। साथ ही, बैंक ने अपने रिटेल कमर्शियल व्हीकल पोर्टफोलियो में कमजोरी की बात भी मानी है।
एशियाई बाजारों में भी गिरावट का माहौल रहा। जापान का निक्केई, कोरिया का कोस्पी और चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। इसका सीधा असर घरेलू निवेशकों की धारणा पर पड़ा।
ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.29% चढ़कर 68.64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। भारत जैसे बड़े तेल आयातक देश के लिए ये वृद्धि महंगाई और आयात लागत दोनों को बढ़ाती है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ी है।
TCS, विप्रो, HCL टेक और टेक महिंद्रा जैसे दिग्गज IT शेयरों में भारी गिरावट आई। खासतौर से TCS द्वारा अपने 2% ग्लोबल वर्कफोर्स की संभावित छंटनी की खबर ने पूरे सेक्टर में नकारात्मक माहौल बना दिया।
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