कुटुंब प्रबोधन का काम समाजव्यापी करेंगे : नन्दलाल जोशी

 

  • संपूर्ण विश्व का कल्याण हिंदू चिंतन में ही निहित है
  • दुनिया भर में हिंदुत्व की स्वीकारता बढ़ रही है
  • शील अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर परिसर स्थित वीर बुधु भगत बहुउद्देशीय प्रेक्षागृह में परिवार प्रबोधन कार्यक्रम का हुआ आयोजन
  • सैकड़ो परिवार के लोगों ने सामूहिक रूप से भोजन किया

टीम एबीएन, लोहरदगा। भारतीय संस्कृति, परंपरा, सभ्यता और रीति रिवाज को समाज के युवा वर्ग तेजी से स्वीकार करने लगे हैं। इसे और बेहतर ढंग से अंगीकार करने की जरूरत है। दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और परंपरा को लोग अपना कर अपने जीवन शैली को बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं। चाहे वह किसी भी संप्रदाय के क्यों नहीं हो। वह योग- प्राणायाम, पर्यावरण, गौ सेवा धर्म, धर्म जागरण और ग्राम विकास को समाज के हर परिवार तक पहुंच कर सामाजिक समरसता के जरिए कुटुंम प्रबोधन को सशक्त बनाना है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परिवार प्रबोधन के राष्ट्रीय अधिकारी राजस्थान प्रांत के वरिष्ठ पूर्व प्रांत प्रचारक नंदलाल जोशी उर्फ नंदलाल बाबा ने कही। वह लोहरदगा के शीला अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर परिसर स्थित वीर बुधु भगत बहुउद्देशीय प्रेक्षागृह में 29 नवंबर को आयोजित जिला स्तरीय परिवार प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अब हमारे बच्चे भी अपने धर्म-संस्कृति, संस्कार, परंपरा, सभ्यता, अध्यात्म और भजन कीर्तन के बारे में बेहतर ढंग से समझने का प्रयास कर रहा हैं। लोहरदगा के कार्यक्रम में सैकड़ो परिवार के लोग शामिल हुए कार्यक्रम के उपरांत सभी परिवार के लोगों ने बच्चों समेत सामूहिक रूप से भोजन किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परिवार प्रबोधन के राष्ट्रीय अधिकारी वरिष्ठ प्रचारक राजस्थान प्रांत के प्रांत प्रचारक रहे, नंदलाल जोशी ने कहा कि सामाजिक समरता, पर्यावरण, नागरिक अनुशासन और स्वदेशी के साथ कुटुंब प्रबोधन हमारे पंच परिवर्तन में शामिल हैं। ऐसा नहीं है कि संघ ने पहली बार कुटुंब प्रबोधन की बात कही है। संघ काफी वक्त से इस पर काम कर रहा है। यह संघ का शताब्दी वर्ष है। 

शताब्दी वर्ष में देश के हर परिवार तक पहुंचा जा रहा है दुनिया भर में हिंदुत्व सनातन की स्वीकारता बढ़ रही है अबूधाबी में मंदिर का निर्माण हुआ है। इंडोनेशिया में फिर से नवजागरण हो रहा है। सभी संप्रदाय और धर्म के लोग हिंदुत्व की स्वीकारता को गले लगा रहे हैं। यह एक जीवन पद्धति है, जो इंसान को शिखर तक ले जाती है। उन्होंने कहा कि लंबे वक्त से हो रहा कुटुंब प्रबोधन पर काम को  शताब्दी वर्ष पूरा होने के बाद कुटुंब प्रबोधन का काम समाजव्यापी करेंगे। 

अभी एक साल स्वयंसेवक अपने जीवन में, अपने परिवार और अपने आसपास इन बातों को लेकर जाएंगे। जिसके बाद समाज के बीच लेकर इन्हें जाएंगे। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ संघ का विषय नहीं है। यह पूरे समाज का विषय है। समाज में हर कोई चाहता है, कि अपना परिवार अच्छा और संस्कारित हो। उन्होंने कहा कि संघ लंबे वक्त से कुटुंब प्रबोधन का काम कर रहा है।

क्या होता है कुटुंब प्रबोधन

2016 में भी संघ ने पूरा साल कुटुंब प्रबोधन पर फोकस किया था। इसमें संघ के स्वयंसेवकों ने परिवारों में जाकर हर फैमिली मेंबर से एक संकल्प पत्र में साइन भी करवाए। जिसमें यह लिखा था, कि हमारे परिवार के लोग हफ्ते में कम से कम एक दिन एक घंटे एक साथ बैठेंगे, साथ भोजन करेंगे। इस दौरान टीवी और सब के मोबाइल फोन बंद रहेंगे। 

संघ की तरफ से अभी भी इस पर काम हो रहा है। अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों के लिए सम्मेलन आयोजित किये गये। जिसमें फैमिली वैल्यूज की सीख दी जाती है।
फैमिली वैल्यूज को बेहतरीन अंदाज  से समाज  और सशक्त बनाना है। ताकि किसी तरह की दिक्कतें न आये। हर घर में मंगलदीप जले, यही एक सूत्र है, जिससे हमारा परिवार कुटुंब सशक्त होगा। 

परिवार के आनंद का, समाज को सशक्त होने का, एक ही सूत्र है हर घर मंगलदीप जले। परिवार में आपसी सामंजस संस्कार ही सुख का आधार है। आपसी आस-पड़ोस में हम मुस्कुराते हुए एक-दूसरे का सहयोग करें। संपूर्ण विश्व का कल्याण हिंदू चिंतन में ही निहित है। 

पाश्चात्य भोगवादी संस्कृति से उबकर अब विदेशों के लोग भारतीय जीवन शैली भारतीय चिंतन की ओर आ रहे हैं। जो कि विश्व शांति का आधार है। भारतीय कुटुंब परंपरा और परिवार व्यवस्था से ही विश्व का कल्याण हो सकता है। आज पूरा विश्व रामकृष्ण और गीता को मान रहा है। 

सऊदी अरब में गीता योग सेंटर और हिंदू मंदिर बन रहे हैं। इसके पूर्व विद्या मंदिर के विद्यार्थियों का भी कुटुंब प्रबोधन हुआ इसमें झारखंड प्रांत के संघ चालक सच्चिदानंद लाल ने कहा कि तीन स्तर पर कुटुंब प्रबोधन का काम कर रहा है। पहला स्तर है परिवार। इसमें स्वयंसेवक अपने परिवार में इसे लागू कर रहे हैं। 

हफ्ते में कम से कम एक दिन परिवार के साथ बैठकर अपनी संस्कृति, परंपरा और इतिहास पर बात करते हैं। दूसरा स्तर है स्वयंसेवकों के परिवारों की बैठक। इसमें तीन-चार महीने में स्वयंसेवकों के परिवार एकत्र हो चर्चा करते हैँ। तीसरा स्तर है स्वयंसेवकों के आसपास रहने वाले परिवार। स्वयंसेवक अपने आसपास के परिवारों के बीच इसे लेकर बातचीत करते हैं।

कुटुंब प्रबोधन संघ के छह अहम गतिविधि हैं। जिसके लिए संघ ने अखिल भारतीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक अलग टीम भी बनायी हुई है। यानी इसका पूरा एक सिस्टम है, कि कैसे इस पर आगे बढ़ना है। इसमें सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, ग्राम विकास, गौसेवा और धर्म जागरण है। उन्होंने सामाजिक समसरता और कुटुंब प्रबोधन पर सबसे ज्यादा जोर दिया है।

कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा प्रांतीय संयोजक सकलदेव चौरसिया सह विभाग संघ चालक मनोज दास, लोहरदगा जिला संघ चालक श्यामसुंदर उरांव, प्रांतीय अधिकारी मनोज सिन्हा, पुष्कर महत्व, कृष्ण यादव, प्रणव पाठक, देवेंद्र मंडल, परमेंद्र सिंह, पिंकी कुमारी, सविता, विपिन कुमार दास, श्याम सुंदर कुमार, सुरेश चंद्र पांडेय, राजीव कुमार, जयप्रकाश शर्मा समेत बड़ी संख्या में परिवार की महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।

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