चीनी कंपनियों को सरकार से बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की उम्मीद

 

  • उद्योग ने कहा- समस्या पैदा कर रहीं मौजूदा नीतियां 
  • राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ ने सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहा है। 

सुशील मिश्र 

एबीएन बिजनेस डेस्क। बढ़ती उत्पादन लागत से परेशान चीनी मिलों को राहत देने के लिए सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य  में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ ने सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहा है। ताकि बढ़ती उत्पादन लागत के बीच मिलों को परिचालन जारी रखने में मदद मिल सके। 

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड के निदेशक जयप्रकाश दांडेगावकर ने कहा कि केंद्र सरकार के त्वरित निर्णय नहीं लेने से चीनी उद्योग में कार्यशील पूंजी में कम मुनाफा, कर्ज जैसी समस्याएं फिर से उत्पन्न हो सकती हैं। सरकार ने गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य तीन बार बढ़ाया है, लेकिन चीनी के टरढ में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। सभी राज्य महासंघ पांच साल से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने सकारात्मक रूप से इस पर विचार नहीं किया। 

उन्होंने दावा किया कि ऐसी नीतियां चीनी उद्योग के लिए समस्या उत्पन्न कर रही हैं। हम सिर्फ चीनी उत्पादन की लागत की मांग कर रहे हैं। हम उत्पादन लागत के रूप में कम से कम 41 रुपये प्रति किलोग्राम चाहते हैं। गन्ने की लागत बढ़ गई है, परिवहन लागत बढ़ गयी है और मजदूरी शुल्क भी बढ़ा दिया गया है, लेकिन चीनी की कीमत वही है। 

अध्यक्ष और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के निदेशक, पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मिलों को लेकर अगले दस साल का रोड मैप तैयार किया गया है और चीनी उद्योग में आमूल-चूल परिवर्तन किये जायेंगे। गन्ने का ऋफढ बढ़ रहा है, चीनी की कीमत इसकी तुलना में नहीं बढ़ रही है। इसके कारण चीनी मिलों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए अगर चीनी उद्योग को बचाना है तो चीनी की न्यूनतम कीमत 4200 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में की गई है। 

गौरतलब है कि साल 2019 में चीनी का एमएसपी बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो किया गया था। उस समय गन्ने का एफआरपी 275 रुपये प्रति क्विंटल था । धीरे धीरे गन्ने का एफआरपी बढ़ाकर 340 रुपये क्विंटल हो गया जबकि चीनी की टरढ 31 रुपये प्रति किलो ही है। गन्ने के उचित मूल्य की घोषणा फरवरी में की गई थी, लेकिन यह एक अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले चीनी सत्र से ही प्रभावी होगा। 

चीनी उद्योग को उम्मीद है कि सरकार चीनी एमएसपी को संशोधित करेगी और इसे गन्ने के एफआरपी में वृद्धि के साथ लागू करेगी, जिससे चीनी उद्योग की तरलता में सुधार होगा और उन्हें गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी।

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