रांची। मशहूर फाइनेंसर राजू धानुका की हत्या के बाद दुस्साहस ऐसा बढ़ा कि अरुण शर्मा और अनिल सिंह को बोला, तुझे इधर-उधर नहीं, घर में घुस कर मारेंगे। और ठीक ऐसा ही कर दिखाया। अरुण और अनिल को उनके घर के बाहर ही गोलियों से भून डाला। तब तीन ही नाम उछले थे। पहला लखन सिंह, दूसरा तौकिर आलम उर्फ राज और तीसरा सुधीर कुमार उर्फ टप्पू। फाइनेंसर राजू धानुका की हत्या ने रांची पुलिस की नींद उड़ा कर रख दी थी। इन दोनों वारदातों के बाद लखन और तौकिर उर्फ राज का नाम अपराध जगत में ऐसा उछला कि दोनों शार्प शूटर बन गये। सबसे पहले इन दोनों ने कोयलांचल के कुख्यात सरगना भोला पांडे (अब मृत) के इशारे पर लोगों को टारगेट करना शुरू किया और अपराध के दलदल में धंसते चले गये। आईपीएस प्रवीण कुमार (अब स्वर्गीय) ने जब रांची में पुलिस कप्तान की कमान संभाली, तो मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची अपने टेबल पर मंगवाई। नाम तो उनमें कई थे, पर उनका पहला टारगेट बने शार्प शूटर लखन और उसका भाई अमर सिंह और साथी तौकिर उर्फ राज। पूरी ताकत झोंकी गयी। नतीजतन कोलकाता में बहुत मशक्कत के बाद पकड़ा गया लखन तुपुदाना हाजत से फरार हो गया, फिर आज तक उसका कुछ भी पता नहीं चला। उसके बारे में पुलिस महकमे में ही दो तरह की बातें हैं। कोई कहता है जिंदा है लखन, कोई कहता है-मारा गया। लखन के बाद बारी आयी तौकिर उर्फ राज की। लगातार कई ताबड़तोड़ और दुस्साहसिक अपराधों को अंजाम देकर मोस्ट वांटेड बना राज के ताल्लुकात कुछ तथाकथित पुलिसकर्मियों से भी हो गये। शायद यही वजह थी कि गुजरे 14 साल तक वह बेखौफ वही करता रहा, जो चाहता था। इस बार पुलिस ने उसे अरगोड़ा थाना क्षेत्र में कोलकाता के एक स्वर्ण व्यापारी से 25 लाख रुपये मूल्य का सोना लूटने के मामले में पकड़ा है। तौकिर ने करीब दो दशक पहले पहली बार अरगोड़ा थाना क्षेत्र में ही एक ‘फादर’ से 50 हजार रुपये लूट कर अपराध जगत में कदम रखा था। तब भी खूब हाय तौबा मची थी रांची में, क्योंकि एक फादर को लूटा गया था। मेन रोड में सर्जना चौक के पास पुलिस से खूब उठापटक होने के बाद वह पहली बार 2004 में गिरफ्त में आया था। तब उसने इकबालिया बयान में खुलासा किया था कि वह क्रिकेटर बनना चाहता था। लखन का छोटा भाई अमर सिंह और तौकिर बढ़िया क्रिकेटर माने जाते थे। क्रिकेट टूर्नामेंट करवाता था। इसके लिए पैसे की जरूरत पड़ती थी। इसके बाद ही तौकिर ने अमर और लखन के साथ मिल कर लूटपाट से अपराध की गाथा लिखनी शुरू की। उस समय झारखंड पुलिस फाइल में संगठित गिरोह का सरगना भोला पांडे ने इन तीनों को हायर किया। पहला काम मिला रांची के मशहूर फाइनेंसर राजू धानुका को सलटाने का। कचहरी रोड में पंचवटी टावर से निकलते समय सरेराह राजू धानुका को गोलियां मार रांची पुलिस फाइल में मोस्ट वांटेड बना। यह वारदात मार्च 2009 की है। इसी साल 17 अक्तूबर 2009 को नामकुम के चाय बागान में अरुण शर्मा और अनिल सिंह की हत्या कर सुपारी किलर बन गया। फिर मुड़ कर कभी नहीं देखा और अपराध के दलदल में धंसता चला गया। अपराध जगत में शार्प शूटर तौकिर को लोग राज नाम से ज्यादा जानते हैं।
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