टीम एबीएन, रांची। गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे एचइसी कर्मियों का जहां 28 माह का वेतन बकाया हो गया है। वहीं पिछले एक माह से अस्थायी रूप से नियुक्त किये जा रहे सप्लाई कर्मी अपनी बीमारी को इस उम्मीद में पाल रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द इएसआइ की सुविधा मिलेगी। जानकारी के अनुसार प्रत्येक दिन औसतन 15 से 20 अस्थायी कर्मी अपना तथा परिजन की बीमारी के इलाज के लिए एचइसी मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं।
कर्मियों का कहना है कि एचइसी वेलनेस सेंटर में सुविधा नगण्य हैं। वहां मरहम-पट्टी भी खुद खरीद कर लाना पड़ता है। ऐसे में गंभीर बीमारी से ग्रस्त कर्मी एमआरआइ, सीटी स्कैन, सीवीसी, लीपिड प्रोफाइल, सिरम क्रिटनीन, थॉयराइड की जांच कहां करायेंगे।
कर्मी पिछले एक माह से प्रबंधन की पहल पर प्लांटों में कार्य कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मेडिकल सुविधा नहीं मिल रही है। हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री लीलाधर सिंह ने कहा कि प्रबंधन से इएसआइ सुविधा जल्द बहाल करने की मांग की गयी है।
लेकिन प्रबंधन आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कह कर समय ले रहा है। जल्द ही यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल मिलकर प्रबंधन पर दबाव बनायेगा। वहीं एचइसी सप्लाई संघर्ष समिति के मनोज पाठक ने कहा कि इलाज के लिए कई कर्मी इंतजार में हैं।
इएसआइ जल्द लागू होने से उनका इलाज संभव हो सकेगा। हटिया कामगार यूनियन के उपाध्यक्ष लालदेव सिंह ने कहा कि कंपनी एक्ट के तहत अस्थायी कर्मियों को तत्काल इएसआइ की सुविधा मिलनी चाहिए। प्रबंधन यह सुविधा नहीं देकर कर्मियों के साथ न्याय नहीं कर रहा है।
एचइसी में कार्यरत स्थायी कर्मियों की भी मेडिक्लेम की सुविधा नवंबर में समाप्त हो गयी है। जब तक प्रबंधन राशि जमा नहीं करेगा, स्थायी कर्मियों को भी इलाज कराने में परेशानी है। प्रबंधन का कहना है कि जल्द इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाया जायेगा।
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