टीम एबीएन, रांची। झारखंड की राजधानी रांची होने की वजह से इस विधानसभा क्षेत्र का अपना खास महत्व है। यह सीट रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। झारखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से इस सीट पर भाजपा की मजबूत पकड़ रही है। साल 2005 में इस सीट पर भाजपा के चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह (सीपी सिंह) विधायक चुने गये थे। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में भी इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार सीपी सिंह का ही कब्जा कायम रहा है।
वहीं साल 2019 में हुए चुनाव में रांची सीट पर भाजपा उम्मीदवार सीपी सिंह ने जीत हासिल की थी। सीपी सिंह 79 हजार छह सौ 46 वोट लाकर पहले स्थान पर रहे थे तो झामुमो उम्मीदवार महुआ माजी 73 हजार सात सौ 42 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रही थीं। वहीं निर्दलीय कैंडिडेट पवन शर्मा छह हजार चार सौ 79 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।
साल 2014 के विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो इस सीट पर भाजपा कैंडिडेट सीपी सिंह ने झामुमो की महुआ माजी को हरा दिया था। सीपी सिंह को कुल 95 हजार सात सौ 60 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहीं महुआ माजी को कुल 36 हजार आठ सौ 97 वोट मिले थे तो वहीं तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह को कुल 7 हजार नौ सौ 35 वोट से संतोष करना पड़ा था।
वहीं 2009 के चुनाव में भी रांची सीट पर भाजपा के सीपी सिंह ने ही जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप तुलस्यान को 27 हजार 111 वोटों से हराया था। सीपी सिंह को कुल 66 हजार एक सौ 61 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के प्रदीप तुलस्यान को कुल 39 हजार 50 वोट मिले थे। वहीं तीसरे स्थान पर रहे राजद के मोहम्मद सरफुद्दीन को मात्र 5 हजार एक सौ 74 वोटों से संतोष करना पड़ा था।
रांची विधानसभा सीट पर 1990 से लगातार भाजपा उम्मीदवार को ही जीत मिलती रही है। 2005 से लेकर 2019 तक हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सीपी सिंह ने रांची में हर बार भगवा परचम लहराया है। हालांकि 2019 के चुनाव में सीपी सिंह को झामुमो उम्मीदवार महुआ माजी से कड़ी टक्कर मिली थी। इसलिए इस बार भी सीपी सिंह और महुआ माजी में कांटे की टक्कर होना तय है।
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