तीन नवंबर को मनाया जायेगा भैया दूज

 

भैया दूज भाई-बहन के अटूट और अनन्य प्रेम का प्रतीक का पर्व : संजय सर्राफ

एबीएन सोशल डेस्क। विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि हिंदू धर्म का पवित्र त्यौहार भैया दूज इस वर्ष  3 नवंबर को मनाया जायेगा। कार्तिक मास द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर को रात में 8 बजकर 22 मिनट पर हो जायेगा। एवं कार्तिक द्वितीया तिथि 3 नवंबर को रात में 10 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। 

उदया तिथि होने के कारण भैया दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जायेगा। पांच दिवसीय दीपोत्सव का ये अंतिम दिन है। भैया दूज गोवर्धन पूजा के अगले दिन मनाया जाता है यह त्यौहार भाई-बहन का त्योहार है इसमें बहन अपने भाई को तिलक लगाती है उसकी आरती उतारती है और मुंह मीठा करती है। 

इस दिन बहनें अपने भाई को श्रीफल यानी नारियल का गोल देती है कहा जाता है कि बहन भाई को नारियल का गोला देकर उसकी सुख  शांति और समृद्धि की कामना करती है। नारियल के गोले को भाई की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। श्रीफल के साथ बहन अपने भाई को आशीर्वाद भी देती है इसके लिए पूजा की थाली में रोली, मोली, चंदन, फूल, मिठाई, आरती और सुपारी के साथ तिलक लगाकर आरती करती है। 

पूजा पूरी होने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं। भाई दूज का त्यौहार लगभग पूरे देश में मनाया जाता है। इसे अलग-अलग जगह में अलग नाम से जाना जाता है। बंगाल में भाई दूज के पर्व को भाई फूटा, महाराष्ट्र और गोवा में भाऊ व्रत, और नेपाल में इसको भाई तिहाड़ के नाम से जाना जाता है।

भारत में भाई-बहन के प्रेम एवं पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन और भैया दूज दो महत्वपूर्ण त्यौहार है दोनों ही त्योहारों में भाई और बहन एक दूसरे के प्रति परंपरागत तरीके से स्नेह प्रकट करते हैं भैया दूज भाई बहन के अटूट और अनन्य प्रेम का प्रतीक पर्व है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं।

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि पर यम अपनी बहन के घर आये थे। वहां उनकी बहन ने उनका खूब आदर सत्कार किया था जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया था कि जो भाई-बहन इस दिन यमुना में स्नान करके यम पूजा करेंगे वह मृत्यु के बाद यमलोक नहीं जायेगा। बहने अपने भाई को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए यह देवता की पूजा करती है। 

भैया दूज को लेकर एक पौराणिक कथा यह भी है कि भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध करके द्वारका लौटे थे तो भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फूल, मिठाई और अनेकों दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। इस दिन सुभद्रा ने भगवान कृष्ण के मस्तक पर टीका लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना की थी तभी से भैया दूज पर्व मनाने की परंपरा शुरू हो गया।

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