एबीएन डेस्क। संसद के निम्न सदन लोकसभा के बाद उच्च सदन में भी ओबीसी आरक्षण संशोधन बिल बुधवार को पास हो गया। पक्ष-विपक्ष ने इसे एकमत से पास कर दिया। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने इस बिल का सदन में प्रस्ताव किया और चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि ये संविधान संशोधन राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देने के लिए लाया गया है। राज्यसभा में संविधान (127वां) संशोधन विधेयक, 2021 पर चर्चा की गई। लंबी बहस के बाद इस बिल पर मत विभाजन कराया गया। कुछ सांसदों ने संशोधन भी पेश किए लेकिन संशोधन खारिज हो गए। इस तरह वोटिंग के जरिए राज्यसभा में ओबीसी आरक्षण से जुड़ा ये अहम बिल पारित हो गया। इसके पक्ष में 187 वोट पड़े। लोकसभा से ये बिल 10 अगस्त को पास हो गया था। अब बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। बिल पर चर्चा ओपन होने के बाद सबसे पहले कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ये संशोधन लाकर सरकार अपनी पुरानी गलती को सुधार रही है। लेकिन दूसरी गलती पर इस बिल में कुछ नहीं कहा गया है। सिंघवी ने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा पर इस बिल में एक शब्द भी नहीं है। सिंघवी ने कहा, ह्वसब राज्य सूचियां बना लेंगे, लेकिन इन सूचियों का क्या करेंगे। ये सूचियां सिर्फ खाली बर्तन जैसी रहेंगी। 75 प्रतिशत राज्य ऐसे हैं जहां आरक्षण पचास प्रतिशत की सीमा से आगे निकल गए हैं। आप उन्हें एक कागजी दस्तावेज दे रहे हैं और एक ऐसा सब्जबाग दिखा रहे हैं जो कानूनी रूप से कार्यान्वित नहीं हो सकता। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से भी ये मांग उठाई गई और कहा गया कि 50 फीसदी से जुड़ी एक लाइन जोड़ दीजिए ताकि राज्यों को आसानी हो सके। इसके साथ ही खड़गे ने प्राइवेट सेक्टर को भी आरक्षण के दायरे में लाने की मांग उठाई। बसपा ने भी इसका समर्थन किया। आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने संविधान संशोधन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि मैंने भी कई बार सदन में जातीय जनगणना के आंकड़ों के बारे में पूछा, जिस पर जवाब दिया गया कि आंकड़े करप्ट हो गए हैं। झा ने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा की टोपी को हटाना होगा तभी ओबीसी को लाभ मिलेगा। बिल का समाजवादी पार्टी ने समर्थन किया। बिल के समर्थन में बोलते हुए सपा सांसद रामगोपाल यादव ने ये भी कहा कि ओबीसी को धरातल पर कुछ नहीं दिया जा रहा है। यादव ने कहा कि इस बिल के बाद राज्यों को सूची बनाने का जो अधिकार मिलेगा, उसका तब तक लाभ नहीं मिलेगा जब तक 50 फीसदी का कैप नहीं बढ़ाया जाएगा। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर इस बिल को क्रांतिकारी कहा जा रहा है तो इसका श्रेय महाराष्ट्र को जाता है। लेकिन क्या इस संशोधन के बाद मराठा आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा, मुझे लगता नहीं है। आम आदमी पार्टी,टीएमसी, डीएमके और एनसीपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse