एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। मैथिली ठाकुर 25 साल की उम्र में बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक बनकर इतिहास रचती हैं, जबकि इस साल कई युवा उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। बिहार की अलीनगर सीट से बीजेपी की प्रत्याशी और लोकगायिका मैथिली ठाकुर शुक्रवार को जीत कर इतिहास रच दिया। महज 25 साल की उम्र में उन्होंने राज्य की अब तक की सबसे कम उम्र की विधायक का रिकॉर्ड बना लिया है।
काउंटिंग के 25 दौर के बाद मैथिली ने 84,915 वोट पाकर जीत हासिल की। राष्ट्रीय जनता दल के बिनोद मिश्रा को उन्होंने 11,730 वोटों के बड़े अंतर से हराया। मैथिली का राजनीतिक सफर भी चर्चा में है, वे अक्टूबर में बीजेपी में शामिल हुईं और उसी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। उनकी पार्टी के लिए यह एक रणनीति भी मानी जा रही है कि मिथिलांचल में युवा वोटरों से जुड़ा जा सके।
सांगीतिक पृष्ठभूमि को लेकर मैथिली को बचपन से ही पिता ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ट्रेनिंग दी। वे मैथिली, भोजपुरी और हिन्दी लोकगीतों की जानकार हैं और अक्सर अपने भाइयों के साथ मंच साझा करती रहती हैं। यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उनकी लाखों की फैन फॉलोइंग है, जिससे उनकी लोकप्रियता सभी समुदायों में फैली हुई है और यही डिजिटल पहुंच चुनाव में काम आयी।
बिहार में इस बार चुनाव में कई युवा चेहरे मैदान में हैं। फरवरी 2005 में तौसीफ आलम 26 साल की उम्र में बहादुरगंज सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर बिहार के सबसे युवा विधायक बने थे। हालांकि, उस साल जल्द ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। इसके बाद तौसीफ आलम कांग्रेस के टिकट पर फिर से चुनाव लड़े और 2020 तक अपनी सीट बनाये रखी। इस साल वह अकटकट के टिकट पर फिर से बहादुरगंज सीट पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा की श्रेयसी सिंह 2020 में 30 साल की उम्र में जामुई सीट जीतकर बिहार की सबसे युवा महिला विधायक बनी थीं। इस साल वह इसी सीट से फिर चुनाव लड़ रही हैं। इस साल के चुनाव में मैथिली ठाकुर के अलावा और भी कई युवा उम्मीदवार शामिल हैं। इस बार बिहार की राजनीति में युवा नेताओं की भागीदारी देखने लायक होगी।
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