श्वेतांबर जैनधर्म के पर्युषण पर्व में जुटी रही लोगों की भारी भीड़

 

टीम एबीएन, रांची। श्वेतांबर जैनधर्म का पर्युषण पर्व का कार्यक्रम डोरंडा जैन मंदिर एवं दिगम्बर जैन भवन में चल रहा है। पर्युषण पर्व अंतर्गत श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ का डोरंडा जैन मंदिर में धर्म आराधना चल रही है एवं श्री साधुमार्गी जैन श्वेतांबर संघ एवं तेरापंथ धर्मसंघ का दिगम्बर जैन भवन में पर्युषण कार्यक्रम हो रहा है। 

जैन मंदिर डोरंडा में आज पर्युषण पर्व के पांचवे दिवस पर सुबह 6.30 बजे नमिनाथ जिनालय में सामुहिक अभिषेक व स्नान, पूजा संपन्न हुई। तत्पश्चात कल्पसूत्र वाचन हुआ, जिसमें आज भगवान महावीर के जन्म के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया एवं श्रद्धालुओं द्वारा जन्म उत्सव मनाया गया। स्नात्र पूजा अर्थात जब भगवान का जन्म होता है तब इन्द्र महाराजा, भगवान को ले जाकर मेरुपर्वत पर सभी देवी देवाताओं के साथ पूजा करते है। 

आज पुज्य लयस्मिता की शिष्या जिनवर्षा जी ने भगवान पार्श्वनाथ जी का जीवन परिचय दिया, भगवान पार्श्वनाथजी को इतनी महिमा है कि हर मंदिर में इनकी मूर्ति होती है। नेमिनाथ जीवन चरित्र का वर्णन किया गया, नेमिनाथ भगवान श्रीकृष्ण के चचेर भाई हैं जिनका मोक्ष गिरनार पर्वत पर हुआ है। 

भगवान महावीर के जन्म पर वाचन किया गया, बताया गया कि जब भगवान का जन्म होता है, तब उनकी माता त्रिशला  चौदह चौदह स्वप्न देखते है। उन सपनों को प्रदर्शित किया गया एवं उनके बारे में साध्वी जी के द्वारा विस्तार पूर्वक बताया गया एवं श्रद्धालुओं के द्वारा सपनों की पुजा करके सबको दर्शन करवाया गया। भगवान पालना के सामने आज शाम में भक्ति भजन कार्यक्रम रखा गया है। 

सम्पतलाल रामपुरिया, सुभाष बोथरा, सुरेश बोथरा, आनंद गोठी, विनय नाहटा, अनिल कोठारी, संजय कोठरी, राजू रामपुरिया, बालवीर बोथरा, अक्षय सेठिया, विनायक मेहता, रिखभ चंद भंसाली, प्रमोद बोथरा, धर्म चंद भंसाली, प्रमोद बोथरा आदि के साथ काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। 

इधर, दिगंबर जैन भवन में पर्युषण महापर्व के अपने आधे मार्ग को तय करते हुए आज चतुर्थ दिन श्री साधुमार्गी जैन श्वेतांबर संघ के स्वाध्यायी बंधु गौतम जी रांका एवं सुरेश जी बोरडिया ने प्रवचन दिया कि आत्म साधना के लिए पारिवारिक शांति कि आवश्यकता होती है। व्यक्ति अगर किसी तरह के पारिवारिक तनाव में रहकर जीता है तो वह धर्म कि सम्यक आराधना नहीं कर सकता, आत्म साधना के लिए घर का वातावरण भी सहायक होता है।

धर्म आराधना जैसे कल्याणकारी कार्य के लिए परिवार में शांति कि आवश्यकता होती है। एक आदर्श सुखकर परिवार का निर्माण संस्कारों कि नींव पर आधारित होती है। परिवार में हर सदस्य एक दूसरे के प्रति सहज सरल समर्पित रहें, बड़ों का आदर और छोटों पर महर हो तो वह परिवार सुखी बना रहेगा, ऐसे सुखी परिवार के बीच मयार्दा का प्रस्फुटन स्वत: हो जाता है। राजेश पींचा एवं प्रकाश नाहटा ने अपने विचार प्रस्तुत किये। 

आज वाणी संयम दिवस अवसर पर वाणी कि सुचिता रखने कि चर्चा कि गयी अंत: गढ़ सूत्र की वाचना एवं अभय कुमार के जीवन चरित्र के माध्यम से धर्म जागरण और ज्ञान, दर्शन, चरित्र तप जीवन, परिवार और समाज में महत्व कीबात बताई गई। इस अवसर पर देव पींचा, राजेश बच्छावत, अर्जुन बोहरा, मोहन लाल नाहटा, मूलचंद सुराणा, केसर देवी पींचा, सरिता दस्सानी, पुष्पा बछावत, करुणा चोरड़िया, रेशमा बोहरा, पुष्पा सुराणा सहित कई श्रावक और श्राविकाएं उपस्थित थे। 

मीडिया प्रभारी सुरेश जैन ने बताया कि दिगंबर जैन भवन में सुबह 8 बजे से अंत: गढ़ सूत्र वांचन एवं तत्पश्चात 8:30 बजे से प्रवचन एवं दोपहर में ज्ञान शाला एवं शाम में प्रतिक्रमण किया जायेगा।

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