रांची। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन मंगलवार को भीड़, हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 पास हो गया है। इसमें दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लिंचिंग में किसी को चोट आती है तो दोषी को तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपये से तीन लाख रुपये तक का दंड दिया जा सकेगा। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने विधेयक को सदन में प्रस्ताव रखा। इस पर स्पीकर ने मतदान कराया और सभी ने अपना मत भी रखा। विधेयक पर चर्चा के दौरान BJP ने जमकर हंगामा किया। BJP के विधायक वेल तक पहुंच गए। उन्होंने इस कानून सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप भी लगाया। पार्टी के तीन विधायकों अमर बाउरी, अमित मंडल और रामचंद्र चंद्रवंशी ने संशोधन प्रस्ताव भी लाए, लेकिन सभी खारिज कर दिए गए। BJP के विधायक अमित मंडल ने कहा कि सरकार का ये काला अध्याय पूरे झारखंड में लिखा जाएगा। कहा कि भीड़ को अंग्रेजी में मॉब लिखा गया है और उसके बारे में कहा गया है कि दो या दो से अधिक। किस आधार पर दो व्यक्ति को मॉब लिखा गया है। ये सरकार को खुश करने के लिए IAS अधिकारियों का कारनामा है। वहीं अमर बाउरी ने कहा कि किसी विशेष वर्ग को तुष्टीकरण के लिए आदिवासी भाइयों पर अत्याचार कर रहे हैं। ये झारखंड विरोधी बिल है। अगर कोई साजिश रचता है या किसी को लिंचिंग करने के लिए उकसाता है, किसी भी तरह की मदद पहुंचाता है तो उसे उसी ढंग की सजा दी जाएगी, जैसा लिंचिंग करने वाले अपराधी को। अगर कोई आरोपी को गिरफ्तार करने में या सजा के दौरान बाधा पहुंचाता है, तो उसे तीन साल की सजा और एक से तीन लाख तक जुर्माना हो सकेगा। लिंचिंग के अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वाले को भी अपराधी मान कर एक साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। अगर कोई लिंचिंग का माहौल तैयार करने में सहयोग करता है तो वैसे व्यक्ति को तीन साल की सजा और एक से तीन लाख तक जुर्माना होगा। दंडिता प्रक्रिया संहिता के तहत जांच के जो प्रावधान बताए गए हैं, वही प्रक्रिया यहां भी अपनाई जाएगी। इस अधिनियम से जुड़े अपराध गैरजमानतीय होंगे।
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