रांची। तत्कालीन रघुवर दास की सरकार में राज्य के 6500 स्कूलों को विलय करने के नाम पर बंद कर दिया गया था। उस वक्त इसे लेकर काफी विरोध हुआ था। यहां तक की भाजपा सांसदों ने भी तत्कालीन सीएम को पत्र लिख नाराजगी जतायी थी। चुनाव पूर्व जेएमएम ने भी कहा था कि सरकार में आने पर वह स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार करेगी। अब इस वादे को सरकार पूरा करना चाह रही है। य्इसी कड़ी में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने मर्जर स्कूलों को खोलने की कवायद शुरू की है। यही कारण है कि विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिख विलय किये गये स्कूलों को फिर से खोलने पर रिपोर्ट मांगी है। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने भी पिछले दिनों मीडिया से बातचीत में स्वीकारा है कि कोरोना संक्रमण को खत्म होते ही सभी उपायुक्तों से इस बाबत रिपोर्ट मांगी गयी है। विभागीय मंत्री ने पूछा है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी कि स्कूलों को विलय करने की दिशा में काम हुआ। इसके अलावा स्कूलों को फिर से खोले जाने की कितनी आवश्यकता है? बताते चलें कि नीति आयोग के सुझाव पर तत्कालीन रघुवर सरकार ने 2018 में ऐसे सभी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के विलय का फैसला किया था, जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या 30 से कम थी। कई ऐसे स्कूलों का भी विलय हुआ था, जहां एक ही स्थान पर कई स्कूल थे। उस वक्त करीब 6500 स्कूलों का विलय किया गया था। हालांकि विलय के निर्णय पर झारखंड विधानसभा में तत्कालीन विपक्ष (जेएमएम-कांग्रेस) ने भी जोर-शोर से मसला उठाया था। वहीं भाजपा के 12 सांसदों ने भी तत्कालीन सीएम को पत्र लिख कहा था कि विद्यालयों के बंद होने से जनता में आक्रोश बढ़ रहा है। इसका खमियाजा जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ सकता है।
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