एबीएन डेस्क, रांची। कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने हेतु लोगों को अपनी जिम्मेवारी का एहसास कराने को लेकर विश्व संवाद केंद्र, झारखंड एंड आईआरडीए के संयुक्त तत्वावधान में सोशल रिस्पांसिबिलिटी ऑफ़ स्टूडेंट एंड इंफॉर्मेशन प्रोफेशनल इन कोविड-19 पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन गूगल मीट पर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं को सुनने के लिए देश के कई राज्यों से 175 इंफॉर्मेशन प्रोफेशनल एवं विद्यार्थियों ने अपना पंजीकरण करवाया। कार्यक्रम में प्रीति सिंह ने कहा कि इस महामारी में धैर्य से कार्य कर रहे स्वास्थ्यकर्मी हमारे समाज के ढाल हैं, जिनके आड़ में हम कोविड-19 से बचे हुए हैं। हमारे देश का आपदा प्रबंधन बाकी सब देशों की तुलना में कितना बेहतर है और हमारी सरकार और जनता इसके लिए कितना सजग है।बीआईटी मेसरा के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर भास्कर करण ने कहा कि आज इस वैश्विक महामारी में हमारे देश के बहुत से युवाओं ने अपने रोजगार खो दिये हैं। ऐसी परिस्थिति में हमें निराश न होकर नए-नए तकनीक सीखना चाहिए। इंटरनेट की सहायता से बहुत कम खर्च में आप अपनी तकनीकी ज्ञान को बढ़ा सकते हैं और इस परिस्थिति में एक नई तकनीकी क्रांति लाकर नये रोजगार का सृजन कर सकते हैं। इनफार्मेशन सर्विसेस टाटा स्टील के सीनियर मैनेजर प्रेम राज मिश्रा ने कहा कि आज के इस दौर में विद्यार्थी रिमोट लर्निंग शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और रियल टाइम इंजीनियरिंग चैलेंज को अपनाकर बहुत सारी गुड्स बना रहे हैं। साथ ही उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड भी कर रहे हैं। इस तरह से इन विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ रहा है और इनका रुझान तकनीकी क्षेत्र में बढ़ रहा है। कांके स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री (सीआइपी) के सीनियर लाइब्रेरियन ने कहा कि समाज में केवल सत्य और वास्तविक सूचनाओं का ही प्रचार-प्रसार हो। किसी भी सूचना की वास्तविकता जाने बगैर किसी भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर शेयर न करें। इंटरनेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट शशिभूषण पांडे ने कहा कि हमें कोरोना से लड़ना है और बिना किसी भेदभाव के एक सामाजिक प्राणी के नाते सभी लोगों को मदद करना है। जिन लोगों के पास कोरोना से जुड़ी उपचार और सावधानी बरतने के दिशा निर्देशों का समुचित भंडार हो, उन्हें अवश्य ही दूसरे लोगों के साथ साझा करना चाहिए। इंफॉर्मेशन साइंटिस्ट भारत भूषण ने कहा कि इस कोरोना वैश्विक महामारी में हम लोगों ने अपनों को खोया है। यह समय विलाप करने का नहीं, बल्कि जो बचे हैं उन्हें बचाने के लिए सशक्त होने का है। यह समय एक दूसरे पर दोषारोपण का भी नहीं है, बल्कि मिलजुल कर कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने का है। कार्यक्रम को सफल बनाने में सुप्रिया भारती, रविन कुमार, नीरज कुमार, अब्दुल रजाक, रामेश्वर सिंह, शहजाद कुरेशी, वीरेंद्र नाग, गणेश एवं रवि कंदवे ने सहयोग किया।
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