लाल बहादुर शास्त्री के दोनों दामादों क्रमश: कौशल कुमार और विजय नाथ सिंह की भी। ये हमेशा विवादों से परे रहे। कौशल कुमार बड़े दामाद थे। उनकी पत्नी कुसुम का बहुत पहले निधन हो गया था। कौशल कुमार आईएएस अफसर थे। उनका जीवन भी बेदाग रहा। विजय नाथ सिंह सरकारी उपक्रम में काम करते थे। लाल बहादुर शास्त्री ने कभी भी अपने बच्चों या दामादों को इस बात की इजाजत नहीं दी कि वे उनके नाम या पद का दुरुपयोग करें। क्या इस तरह का दावा वाड्रा या प्रियंका कर सकते हैं। चौधरी चरण सिंह की भी चार बेटियां थीं। उनके सभी दामाद भी कभी विवादों में नहीं रहे। एक दामाद डॉ जेपी सिंह राजधानी के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रमुख भी रहे। पीवी नरसिंह राव के तीन पुत्र और पांच पुत्रियां थीं। राजनीति में आने के बाद उनका अपने बेटों या बेटियों से किसी तरह का घनिष्ठ संबंध नहीं था। वे जब प्रधानमंत्री भी बने तब भी उनके पास उनका कोई बेटा या बेटी नहीं रहते थे। राव साहब की पत्नी के 70 के दशक में निधन के बाद उनका अपने परिवार से कोई खास संबंध नहीं रहा। जब उनका कोई पुत्र या पुत्री उनके पास आते भी थे तो वे उनसे मिलने के कुछ देर के बाद ही उन्हें विदा कर देते थे। एचडी देवागौड़ा की दोनों पुत्रियों डी अनुसूईया और एडी शैलेजा के पति डॉ सीएन मंजूनाथ और डा. एच.एस.जयदेव मेडिकल पेशे से जुड़े हैं। इन पर भी कभी अपने ससुर के नाम का बेजा इस्तेमाल का आरोप नहीं लगा। अगर बात डॉ मनमोहन सिंह के दामादों की करें तो ये भी विवादों से बहुत दूर ही रहे। उनकी सबसे बड़ी पुत्री डॉ उपिंदर सिंह के पति डॉ विजय तन्खा दिल्ली यूनिवर्सिटी में अध्यापक रहे। दूसरी बेटी दमन सिंह के पति अशोक पटनायक आईपीएस अफसर थे। तीसरी बेटी अमृत सिंह अमेरिका में अटार्नी हैं। उसके पति अध्यापक हैं। मतलब साफ है कि रॉबर्ट वाड्रा इन सबसे अलग हैं। उनमें कोई गरिमा नाम की चीज नहीं है। इसलिए ही उनके प्रति देश लेश मात्र भी सम्मान का भाव नहीं रखता है। वे इस देश के एक खास परिवार के दामाद है। वे अपने सम्मान को तार-तार कर चुके हैं।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse