झारखंड कल, आज और कल विषय पर संगोष्ठी संपन्न

 

जो झारखंड में रहकर राज्य का हित चाहता है और यहां के लिए काम करता है वह झारखंड का : पद्मश्री बलबीर दत्त 

टीम एबीएन, रांची। 11 दिसंबर 2025 को रांची प्रेस क्लब में झारखंड निर्माण के 25 वर्ष पूरे होने पर एक संगोष्ठी झारखंड कल, आज और कल विषय पर आयोजित की गयी। इस संगोष्ठी में महेश पोद्दार, पद्मश्री बलबीर दत्त, रवींद्र राय और महेश शर्मा ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त किये।  
पद्मश्री बलबीर दत्त ने कहा कि झारखंड बनने के बाद राजनीतिक दूरदर्शिता की कमी रही। 

यही कारण रहा कि राज्य बनने के 25 सालों के बाद भी हम  पिछड़े रहे। भविष्य के झारखंड के लिये राज्य के युवाओं को सही तरीके से निखारना होगा। यहां आदिवासी, स्थान, बाहरी भितरी, दिकु से हमें बाहर निकलना होगा। झारखंड बनाने में गैर आदिवासियों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। 

छत्तीसगढ़ में झारखंड से ज्यादा आदिवासी हैं, पर वहां आदिवासी गैर आदिवासी की समस्या नहीं। हालांकि 25 साल में झारखंड ने बहुत तरक्की किया है, पर एक बड़ी आबादी को आज तक झारखंड बनने का कोई लाभ नहीं मिला। हमें इस आबादी के लिये काम करना होगा। आज भी झारखंड में डायन बिसाही की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं। 

रवींद्र राय ने कहा कि गैर आदिवासियों के लिए एक मुश्किल राज्य है झारखंड। यह भविष्य के लिए राज्य को संकट में डाल सकता है। आरक्षण और नीतियों की यह खामी रही है आज हालात हैं कि झारखंड के दर्जन भर जिलों में गैर-आदिवासी मुखिया का चुनाव भी नहीं लड़ सकता। यह स्थिति एक आक्रोश पैदा करता है। जबकि यहां आवश्यकता है कि सभी के बीच मधुरता हो और सबों को उनका अधिकार मिले। 

महेश पोद्दार ने कहा कि राज्य ब्रेन ड्रेन से गुजर रहा है और भविष्य अस्पष्ट सा है। राज्य से युवा निकल कर बाहर पढ़ लिख कर बस जा रहे हैं और उनके माता पिता या मजबूरीवश रहने वालों का राज्य बन गया है झारखंड। खनिज समृद्ध 25 साल बाद भी झारखंड लेबर सप्लाई वाला राज्य बन गया है। जहां पूरा विश्व नये सेक्टर और एनर्जी सेक्टर से काम कर रहा है। 

महेश शर्मा  ने कहा कि रिसोर्सेस के बाद भी झारखंड का पिछड़ना दुर्भाग्य की बात है। आस्ट्रेलिया भी झारखंड की आबादी इतना ही एक खनिज संपदा से संपन्न मुल्क है लेकिन वहां लोग संपन्न और विकसित हैं। झारखंड में हार्टिकल्चर की बहुत उम्मीद है जिसपर अब तक कम काम हुआ है। 

सुनील सिंह बादल ने कहा कि व्यावसायी झारखंड में सिर्फ पैसा कमाने नहीं आते। यहां बड़े बड़े व्यावसायियों को भी उद्योग लगाने में परेशान किया गया, हमें इस मानसिकता से निकलने की जरूरत है कि उद्योगपति झारखंड को सिर्फ लूटने ही आते हैं। उद्योगों के लगने से रोजगार भी आते हैं। 

सबने एक साथ झारखंड के भविष्य को लेकर चिंता भी व्यक्त की और कल के झारखंड के लिये काम करने की आवश्यकता बतायी। संगोष्ठी का संचालन सुनील सिंह बादल ने किया और धन्यवाद ज्ञापन मनोज कुमार शर्मा ने किया। संगोष्ठी में आदित्य मल्होत्रा, अमृतेश पाठक, संजय सर्राफ, एपी सिंह, मनोज कुमार, विभूति शरण, राजीव थेपड़ा, अशोक कुमार साह, मोनिका गुंजन व अन्य उपस्थित थे।

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