नई दिल्ली में पक रही खिचड़ी से कितना प्रभावित होगा झारखंड

 

  • दिल्ली में हेमंत और कल्पना सोरेन की मौजूदगी से सियासी हलचल, नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज

टीम एबीएन, रांची। झारखंड के राजनीतिक गलियारों में सियासी हलचल लगातार बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झामुमो विधायक कल्पना सोरेन राज्य स्थापना दिवस समारोह (28 नवंबर) के तुरंत बाद अचानक दिल्ली रवाना हो गए। 

चार दिन गुजर जाने के बाद भी उनकी वापसी न होने से राजनीतिक अटकलों को और हवा मिल गई है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की भाजपा के शीर्ष नेताओं से अहम बैठक हुई है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में झारखंड में संभावित नेतृत्व परिवर्तन पर चर्चा हुई। 

कयास लगाये जा रहे हैं कि समीकरण के तहत मुख्यमंत्री पद कल्पना सोरेन को मिल सकता है, जबकि उपमुख्यमंत्री पद भाजपा के खाते में जाने की संभावना पर भी बात हुई। इसके साथ ही हेमंत सोरेन को केंद्र सरकार में मंत्री पद दिए जाने की चर्चा भी जोरों पर थी। हालांकि, झामुमो और भाजपा दोनों दलों ने इन अटकलों को सिरे से खारिज किया है।

इधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने इन अटकलों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन मजबूत है और मुख्यमंत्री 4 दिसंबर को रांची लौट आएंगे। पांच दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले मुख्यमंत्री सत्तापक्ष के विधायकों की बैठक भी करेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हाल के दिनों में हेमंत सोरेन की चुनौतियां बढ़ी हैं। एक ओर ईडी की कार्रवाई जारी है, वहीं दूसरी ओर राज्य की वित्तीय स्थिति गंभीर बनी हुई है। फंड की कमी के कारण कई विकास योजनाएँ रुकी हुई हैं।

उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित होने के कारण केंद्र से मिलने वाली राशि अटकी पड़ी है, और सरकार कर्मचारियों तथा संवेदकों को समय पर भुगतान नहीं कर पा रही है। इन परिस्थितियों ने झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा दिया है।

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