आदिवासी विस्थापितों के साथ न्याय करे लोहरदगा हिंडाल्को पाखर माइंस : देवेन्द्र नाथ महतो

 

  • आदिवासी कुड़मी मतभेद के बीच जेएलकेएम आंदोलनकारी नेता देवेन्द्र नाथ महतो बड़ी लकीर खींचते हुए आंदोलन में आदिवासी के गढ़ में सबको एकजुट किया 
  • झारखंडी आदिवासी मूलवासी एकजुट होकर ही बाहरी ताकत के शोषण से मुक्ति संभव : देवेन्द्र नाथ महतो 

टीम एबीएन, रांची। संपूर्ण झारखंड में रैयत विस्थापितों के हक अधिकार के प्रति आंदोलन जोरों पर है। झारखंड लोहरदगा जिला किस्को थाना अन्तर्गत पाखर हिंडाल्को बॉक्साइड माइंस में रैयत विस्थापित के अधिकार को लेकर  एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। 

शाम तक कंपनी के अधिकारी वार्ता नहीं करने पर ग्रामीण आक्रोशित कंपनी के कार्यालय के अंदर घुस कर विरोध में नारेबाजी करने लगे तथा कंपनी के एचआर या मैनेजर से मुलाकाती के लिए अड़ गये।  आंदोलन का नेतृत्व केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेन्द्र नाथ महतो ने किया। तेज आंदोलन के दबाव से देर शाम कंपनी के अधिकारीयों और ग्रामीण के बीच वार्ता हुई।  

मौके पर देवेन्द्र नाथ महतो ने बताया कि झारखंड में कंपनी और बाहरी ताकत झारखंडी आदिवासी मूलवासी का शोषण कर रहे हैं। झारखंड के कुड़मी, आदिवासी, सदान, मूलवासी एकजुट होकर ही बाहरी शोषण से मुक्ति संभव है।

 लोहरदगा जिला किस्को थाना अन्तर्गत हिंडाल्को बॉक्साइड पाखर माइंस में प्रतिदिन लगभग 400 ट्रक चलती है जिससे सरकार को टेक्स लगभग प्रतिदिन 24 लाख महीना में लगभग 72 करोड़ एवं प्रतिवर्ष लगभग 86 करोड़ 40 लाख रुपये टैक्स जाता है। पिछले लगभग 78 सालों से सरकार को राजस्व मिल रहा है लेकिन दुर्भाग्य 78 साल बाद भी कंपनी के सीएसआर और डीएमफटी फंड का बंदरबांट किया जा रहा है। 

विस्थापित गांवों के लिए सड़क सुविधा तक नहीं है, शिक्षा व्यवस्था नहीं है, स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। ज्ञापन के माध्यम से पाखर से धुर्वा मोड़ किस्को तक तत्काल सड़क निर्माण किया है, सीएम एक्सलेंस स्कूल के तर्ज पर शिक्षा व्यवस्था किया जाये, सुविधा युक्त हॉस्पिटल व्यवस्था किया जाय एवं कार्यरत मजदूर न्यूनतम मजदूरी और मानक के अनुरूप सभी सुविधा प्रदान किया जाये।  

साथ ही उन्होंने कहा कि मांग पूरी नहीं होने पर निरंतर आंदोलन जारी रखने का चेतावनी दिया। कंपनी के अधिकारी सभी मांगो को जायज मानते हुए अतिशीघ्र पूरा करने का साकारात्मक आश्वासन दिया गया। कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष चैतु उरांव, वरीय उपाध्यक्ष कृष्ण बड़ाइक, सचिव किशोर उरांव, महासचिव पंचम एक्का, गुणा भगत, हजारी उरांव, के अलावा अन्य सड़कों आदिवासी रैयत मौजूद थे।

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