एबीएन एडिटोरियल डेस्क। श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत भाषा दिवस भी मनाया जाता है। इसे विश्व संस्कृत दिवस भी कहा जाता है। यह दिवस प्राचीन भारतीय भाषा संस्कृत के सम्मान में मनाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा अर्थात् रक्षाबंधन के दिन को संस्कृत दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 1969 में लिया था। संस्कृत को देवों की भाषा कहा गया है और यह भारत की कई भाषाओं की जननी मानी जाती है।
श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह केवल रक्षाबंधन का पर्व नहीं, बल्कि एक और दिव्य उद्देश्य से भी जुड़ा हुआ है — संस्कृत भाषा दिवस। हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस के रूप में एक विशेष आयोजन अखिल भारतीय स्तर पर किया जाता है, जो हमें हमारी गौरवशाली भाषा, उसकी परंपराओं और उसके अमूल्य साहित्य की स्मृति दिलाता है।
संस्कृति और भाषा को जोड़ने वाले सूत्र को पुन: जागृत करना
उदाहरण रूप में - एक प्रेरणास्पद संस्कृत श्लोक है -
सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात, न ब्रूयात सत्यमप्रियम।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात, एष धर्म: सनातन:॥
अर्थात सत्य बोलो, प्रिय बोलो। अप्रिय सत्य मत बोलो। प्रिय हो परंतु असत्य न बोलो- यही सनातन धर्म है।
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