हेमंत और हिमंता में चल रहा वार-पलटवार

 

  • हेमंत बनाम हिमंता : सोरेन के एलान के बाद, असम के सीएम बोले- हम भी दो-तीन चीजों के अध्ययन के लिए टीमें झारखंड भेजेंगे 

टीम एबीएन, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी झारखंड सीएम हेमंत सोरेन और असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है। अब असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि वह भी असम की दो टीमें झारखंड में दो-तीन चीजों का अध्ययन करने के लिए भेजेंगे। 

असम सीएम का यह बयान ऐसे समय आया है, जब हाल ही में झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने असम में चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों की दुर्दशा का अध्ययन करने के लिए सर्वदलीय टीम भेजने का ऐलान किया है।

हेमंत के सर्वदलीय दल भेजने के जवाब में हिमंता का एलान 

शनिवार रात को भाजपा नेताओं की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए हिमंता सरमा ने कहा कि 5 दिसंबर को हमारी कैबिनेट में झारखंड के कुछ इलाकों का दौरा करने का फैसला किया जायेगा। हम वहां जायेंगे और दो-तीन चीजें देखेंगे। हालांकि हिमंता ने उन चीजों के बारे में नहीं बताया, जिनके अध्ययन के लिए उन्होंने टीमें भेजने की बात कही है। 

गौरतलब है कि हिमंत बिस्व सरमा झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के चुनाव सह-प्रभारी रहे थे। चुनाव के दौरान हिमंता बिस्वा सरमा ने जहां झारखंड में अवैध घुसपैठ को मुद्दा बनाया था। वहीं हेमंत सोरेने के नेतृत्व वाली झामुमो ने असम में चाय बागानों में काम करने वाले जनजातीय श्रमिकों की दुर्दशा को मुद्दा बनाने की कोशिश की।  

झारखंड विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच रही थी तनातनी 

अब जब झारखंड चुनाव में झामुमो के नेतृत्व में इंडी गठबंधन सत्ता में आ चुका है। यही वजह है कि हेमंत सोरेन ने सीएम पद की शपथ लेते ही एक सर्वदलीय दल को असम भेजकर चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों की दुर्दशा का अध्ययन कराने का फैसला किया है। अब माना जा रहा है कि इसी के जवाब में असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने भी दो टीमें झारखंड भेजने का एलान कर दिया है। साफ है कि दोनों नेताओं के बीच झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान शुरू हुई तनातनी अभी भी जारी है। 

25 सितंबर को हेमंत सोरेन ने हिमंत बिस्व सरमा को पत्र लिखकर दावा किया था कि असम के चाय बागानों में काम करने वाली झारखंड की जनजातियों के लोगों को हाशिए पर रखा गया है, जबकि अर्थव्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। सोरेन ने जनजातीय समुदाय की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और उन्हें एसटी के रूप में मान्यता देने की वकालत की थी।  

असम में एसटी दर्जा देने की मांग कर रहे झारखंड के मूल निवासी 

असम में चाय जनजाति को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। असम में मोरन, मोटोक, चुटिया, ताई-अहोम, कोच-राजबोंगशी और चाय जनजाति समुदाय वर्षों से एसटी का दर्जा मांग रहे हैं। हेमंत सोरेन ने असम में झारखंड के सभी मूल निवासियों से वापस लौटने की अपील भी की है। झारखंड में झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन लगातार दूसरी बार सत्ता में आया और 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटें हासिल कीं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 24 सीटें मिलीं।

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