चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ 5 नवंबर से

 

छठ पर्व मे सूर्य, जल और वायु तीनों तत्वों की होती है पूजा : संजय सर्राफ

टीम एबीएन, रांची। विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 5 नवंबर दिन मंगलवार को कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से नहाए खाय के साथ शुरू हो रहा है। 6 नवंबर को खरना मे छठ व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेगी तथा 7 नवंबर गुरुवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। 

छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन शुक्रवार 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लिया जायेगा। छठ पूजा एक ऐसा महापर्व है जो अपने आप में विश्वास, श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार झारखंड एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश मे धूमधाम से मनाया जाता है। 

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है सूर्य देव को जीवन दाता माना जाता है और छठी मैया को संतान की देवी, इस पर्व मे सूर्य, जल और वायु तीनों तत्वों की पूजा की जाती है। छठ पूजा करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। छठ पूजा के दौरान सभी लोग मिलजुल कर पूजा करते हैं जिससे सामाजिक एकता बढ़ती है। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पहली बार त्रेता युग में माता सीता ने छठ का व्रत किया था तो वही भगवान श्री राम ने सूर्य देव की आराधना की थी इसके अलावा द्वापर युग में दानवीर कर्ण और द्रौपदी ने भगवान सूर्य की पूजा और उपासना की थी। तब से ही छठ का त्यौहार बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। एक और मान्यता है कि प्रियंवद ने सबसे पहले छठ माता की पूजा की थी। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने वाले जातकों के जीवन से सभी प्रकार से दुख कष्ट दूर हो जाते हैं। 

हिंदू धर्म में छठ पूजा में छठ मैया और सूर्य देवता की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। दीपावली के 6 दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा 4 दिनों तक चलता है जिसमें शुरूआत होती है नहाए खाय और खरना से, फिर डूबते और उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। 

इसमें व्रती महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हुए पूरी निष्ठा एवं पवित्रता के साथ फल, मिष्ठान, नारियल, पान, सुपारी, माला, फूल अरिपन से डाला सजाकर छठ घाट नदी, तालाबों में कमर तक जल में डूब कर सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करती है। सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शांति, उन्नति व प्रगति होती है तथा छठ मैया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता, सुख- समृद्धि, संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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