एबीएन सेंट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रूसी भाषा में लिखी भगवद्गीता की प्रति भेंट की। यह भेंट दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान हुई, जिसने भारत-रूस संबंधों में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का नया आयाम जोड़ दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि गीता का ज्ञान और संदेश दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रेरणा देता है और इसकी शिक्षाएं हर युग में मानवता को सही दिशा दिखाती हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एयरपोर्ट पर औपचारिक स्वागत किया गया है। एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति पुतिन से केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह समेत तमाम रूसी सैन्य अधिकारियों ने मुलाकात की है। इस दौरान उनके स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये गये।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास सात लोक कल्याण मार्ग पहुंच गए हैं। पीएम मोदी ने वहां राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत किया है। रूसी राष्ट्रपति भारत की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं। वे 5 दिसंबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
रूसी राष्ट्रपति का स्वागत करने के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने लिखा- मुझे अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन का दिल्ली में स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। मैं आज शाम और कल हमारी बैठकों को लेकर आशान्वित हूं। भारत और रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है; इससे हमारे लोगों को अपार लाभ हुआ है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय महत्वपूर्ण भारत यात्रा को लेकर राजधानी दिल्ली पहुंच गए हैं। भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं पालम एयरपोर्ट पर पहुंचकर अपने खास दोस्त पुतिन का गर्मजोशी से व्यक्तिगत स्वागत किया।
इसके बाद पीएम मोदी टोयोटा फॉर्च्यूनर में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपने साथ बैठाकर एयरपोर्ट से बाहर निकले। कड़ी सुरक्षा के बीच रेड कारपेट पर पुतिन आए तो अपने दोस्त पीएम मोदी को देखते ही पहले हाथ मिलाया और फिर गले लग गए। के ये दो शक्तिशाली देशों की ऐसी जुगलबंदी थी कि दुनिया में सिहरन फैलाने के लिए काफी थी।
गर्मजोशी से भरी इस मुलाकात के बाद, दोनों नेता एक ही कार में सवार होकर एयरपोर्ट से आगे के लिए रवाना हुए। पीएम मोदी से मिलने के बाद पुतिन ने भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की। इसके बाद पुतिन के स्वागत में एयरपोर्ट पर ही नृत्य संगीत का कार्यक्रम हुआ, जिसे देख पुतीन मुस्कुराए और फिर दोनों एक ही गाड़ी में चल दिए।
एबीएन सेंट्रल डेस्क (नयी दिल्ली)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार को अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस पर वन्य प्रेमियों को बधाई देते हुए कहा है कि देश में चीतों की बढ़ती आबादी बेहद उत्साहजनक है और भारत में जन्मी एक मादा चीता द्वारा पांच शावकों को जन्म देना इस बात का सशक्त प्रमाण है कि चीते भारतीय वातावरण में पूरी तरह रच-बस चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के लिखे एक लेख को साझा किया है जिसमें बताया गया है कि कैसे चीता पुनर्वास कार्यक्रम वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर हमारी प्रतिबद्धता को दशार्ता है।
श्री मोदी ने कहा कि देश में चीतों की बढ़ती आबादी बेहद उत्साहजनक है। श्री मोदी ने कहा, भारत में जन्मी एक मादा चीता द्वारा पांच शावकों को जन्म देना इस बात का सशक्त प्रमाण है कि चीते भारतीय वातावरण में पूरी तरह रच-बस चुके हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीमद्भगवद्गीता के अवतरण से जुड़े पावन दिवस गीता जयंती पर देशवासियों को बधाई दी है।
श्री मोदी ने कहा कि कर्तव्य पालन के अमूल्य संदेशों से सुशोभित इस दिव्य ग्रंथ का भारतीय पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन में अत्यंत विशिष्ट स्थान रहा है। श्री मोदी ने कहा, इसके दिव्य श्लोक हर पीढ़ी को निष्कांम कर्म के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
देशभर के मेरे परिवारजनों को श्रीमद्भगवद्गीता के अवतरण से जुड़े पावन दिवस गीता जयंती की ढेर सारी शुभकामनाएं। कर्तव्य-पालन के अनमोल संदेशों से सुशोभित इस दिव्य ग्रंथ का भारतीय पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन में अत्यंत विशिष्ट स्थान रहा है। इसके दिव्य श्लोक हर पीढ़ी को निष्काम कर्म के लिए प्रेरित करते रहेंगे। जय श्री कृष्ण!
एबीएन सेंट्रल डेस्क (नयी दिल्ली)। 29 नवम्बर (वार्ता) रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगले महीने होने वाली बहुप्रतीक्षित भारत यात्रा से पहले रूसी संसद के निचले सदन स्टेट डूमा में भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को मंजूरी दिए जाने की पूरी संभावना है। श्री पुतिन 23 वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए चार से पांच दिसम्बर तक भारत की दो दिन की यात्रा पर आ रहे हैं।
दोनों देशों के बीच पारस्परिक लॉजिस्टिक्स समर्थन समझौते (आरईएलओएस) को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही है। इसका उद्देश्य लंबे समय से चले आ रहे रणनीतिक सैन्य सहयोग को और सुदृढ़ करना है। इस समझौते पर गत 18 फरवरी को मास्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस के तत्कालीन रक्षा उप मंत्री अलेक्ज़ेंडर फोमिन ने हस्ताक्षर किये थे।
रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी इतर तास के अनुसार रूसी सरकार ने स्टेट डूमा में इस समझौते के अनुमोदन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इस समझौते में दोनों देश एक-दूसरे की भूमि पर सैन्य कर्मियों, युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की पारस्परिक तैनाती की प्रक्रिया को निर्धारित किया गया है।
समाचार एजेन्सी के अनुसार इस प्रस्ताव में रूस और भारत के बीच उस समझौते को मंजूरी देने की बात कही गयी है जिसके तहत रूसी सैन्य इकाइयों, युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती भारतीय ठिकानों पर और भारत की सैन्य इकाइयों, युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती रूसी ठिकानों पर की जा सकती है साथ ही उन्हें तकनीकी और लॉजिस्टिक सहयोग भी प्रदान किया जाएगा।
प्रस्ताव के अनुसार सैन्य बलों को संयुक्त अभ्यासों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों, मानवीय सहायता, आपदा राहत तथा दोनों पक्षों द्वारा सहमत अन्य परिस्थितियों में भेजा जा सकता है। रूसी सरकार का मानना है कि इस दस्तावेज़ के अनुमोदन से भारत और रूस के बीच सैन्य क्षेत्र में सहयोग और मजबूत होगा।
उल्लेखनीय है कि भारत इससे पहले अमेरिका के साथ भी इसी तरह का समझौता कर चुका है।
उल्लेखनीय है कि भारत और रूस के बीच सशक्त रक्षा साझेदारी है जिसे नियमित त्रि-सेवा अभ्यास इन्द्र और कई उच्च-स्तरीय संयुक्त सैन्य कार्यक्रमों जैसे ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल परियोजना, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) कार्यक्रम, और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान कार्यक्रमों से मजबूती मिल रही है। भारतीय सेनाओं के पास रूसी मूल के अनेक प्लेटफॉर्म जिनसे दोनों देशों के बीच दशकों पुराने घनिष्ठ सहयोग का पता चलता है।
इनमें एस- 400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली, मुख्य युद्धक टैंक टी- 90 , विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य तथा ए के-203 असॉल्ट राइफल शामिल हैं। इसके अलावा, भारत मेक इन इंडिया पहल के तहत 200 कामोव केए -226 हेलीकॉप्टरों का विनिर्माण करने जा रहा है जो द्विपक्षीय सैन्य-प्रौद्योगिकी सहयोग को और मजबूत करता है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क, भद्रचलम (तेलंगाना)। देशभर में नक्सलियों के खिलाफ सरकार की निर्णायक लड़ाई के नतीजे लगातर मिल रहे हैं। सरकार के नक्सल विरोधी अभियान के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में सक्रिय रहे ज्यादातर बड़े नक्सली मारे गये हैं या आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं।
इसी कड़ी में कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माओवादी) ने सरकार से बातचीत की पेशकश करते हुए 01 जनवरी से एक माह के लिए संघर्ष विराम की घोषणा की है।संगठन का कहना है कि इसी दौरान सरकार अगर शांति वार्ता के लिए बुलाती है तो संगठन इसके लिए तैयार है। वार्ता सफल रहने पर संगठन ने सामूहिक आत्मसमर्पण का भी वायदा किया है।
कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माओवादी) ने महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) स्पेशल जोनल कमेटी प्रतिनिधि अनंत के नाम से प्रेस बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि तीन राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को संगठन की तरफ से भेजे गये पत्र में कहा गया है कि अगर सरकार बुलाती है तो वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं।
माओवादियों ने 1 जनवरी, 2026 से एक महीने तक हत्या बंद (मारपीट बंद) और संघर्ष विराम लागू करने का फैसला किया है। अगर सरकार इस दौरान बातचीत के लिए आगे आती है तो वे बात करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए, जिससे जंगल के इलाकों की समस्याओं का हल निकलेगा।
एमसीसी की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने पहले साल 2022 में भी सीजफायर की घोषणा की थी लेकिन उस समय की सरकारों ने कोई जवाब नहीं दिया। वे चाहते हैं कि सरकारें इस बार वह गलती न दोहरायें और बातचीत के लिए आयें। कमेटी ने इन सरकारों से खुली बहस और बातचीत की मांग की। माओवादियों ने मुठभेड़ में बेगुनाहों के मारे जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि शांति वार्ता तभी सार्थक होगी, जब ये घटनाएं बंद होंगी।
संगठन ने तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे आधिकारिक तौर पर यह घोषणा करें कि बातचीत कब और कहां होगी। 1 दिसंबर से 1 जनवरी 2026 तक हर दिन सुबह 11 बजे से 11:15 बजे के बीच सलाह-मशविरा के लिए एक फोन नंबर ओपन लाइन के तौर पर जारी किया गया है।
माओवादियों ने सभी से इस फैसले का सम्मान करने और संघर्ष विराम के दौरान कोई हमला या जवाबी हमला न करने को कहा। संगठन ने एक-एक कर आत्मसमर्पण करने के बजाय सामूहिक आत्मसमर्पण का वादा करते हुए कहा कि मल्लोजुला, असन्ना के आत्मसमर्पण और हिडमा एनकाउंटर से उनका संगठन कमजोर हुआ है। संगठन का कहना है कि केंद्र की नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील के बाद यह फैसला लिया गया है।
चिट्ठी में कहा गया वे 1 जनवरी, 2026 से हथियारबंद लड़ाई छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि वे अपने हथियार सौंप देंगे और सरकार के पुनर्वास को मान लेंगे। उन्होंने कहा कि वे किसी भी राज्य में सरेंडर करने को तैयार हैं जो उनके साथ सहयोग करे।
उन्होंने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों से कहा कि जब तक सभी आत्मसमर्पण नहीं कर देते, तब तक वे संयम बरतें। माओवादियों ने पिछले हफ्ते एक चिट्ठी लिख कर आम जिंदगी और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए कुछ समय मांगा था।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। हिंद महासागर में गुरुवार को भूकंपों की एक श्रृंखला दर्ज की गई जिससे लोग दहशत में हैं। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, कुछ घंटों के भीतर तीन अलग-अलग भूकंप आये, जिनमें सबसे बड़ा भूकंप 6.4 तीव्रता का था।
सभी भूकंपों की गहराई 10 किलोमीटर रही, जो इन्हें ज्यादा खतरनाक बनाती है क्योंकि उथले भूकंपों से सतह पर तेज झटके महसूस होते हैं और आफ्टरशॉक्स आने की संभावना रहती है।
एनसीएस के मुताबिक, ताज़ा भूकंप 11:02:45 IST पर आया और इसकी तीव्रता 5.3 मापी गयी। इससे पहले सुबह 10:26:25 IST पर भारतीय महासागर में 6.4 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया था। दिन की शुरुआत भी भूकंप से हुई थी। रात 01:24:24 IST पर क्षेत्र में 4.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, 10 km जैसी उथली गहराई पर आए भूकंप ज़मीन के ऊपर ज्यादा तीव्र झटके पैदा करते हैं। हालांकि मौजूदा झटकों से किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं, लेकिन भारतीय और अंतरराष्ट्रीय भूकंपीय एजेंसियां क्षेत्र की लगातार निगरानी कर रही हैं। उथली गहराई के कारण आफ्टरशॉक्स आने की संभावना बनी हुई है।
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