टीम एबीएन, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बख्तियारपुर में हमला हुआ है। एक शख्स ने उनके ऊपर मुक्का चलाया। हालांकि सीएम को चोट नहीं लगी। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है। सीएम अपने निजी कार्यक्रम के तहत निजी कार्यक्रम के तहत बख्तियारपुर गए थे। जब बख्तियारपुर बाजार से होकर गुजर रहा था, तभी सड़क किनारे खड़े लोगों की भीड़ को देखकर सीएम ने अपनी गाड़ी रुकवा दी। इसके बाद वे नीचे उतर कर उन लोगों से मिलने लगे। इसी दौरान एक शख्स ने उन्हें मुक्का मारने की कोशिश की। सीएम को मारा मुक्का : बताया जा रहा है कि रविवार को सीएम नीतीश कुमार का काफिला बख्तियारपुर बाजार से होकर गुजर रहा था, तभी सड़क किनारे खड़े लोगों की भीड़ को उनके लिए नारे लगाता देखकर उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवा दी और वो नीचे उतरकर लोगों से मिलने लगे। इसी दौरान युवक जबरदस्ती मुख्यमंत्री के पास जाने की कोशिश कर रहा था। उसने सीएम पर मुक्का चला दिया। हालांकि सीएम की सुरक्षा में तैनात जवानों ने फौरन उस शख्स को पकड़ लिया। सीएम नीतीश कुमार पर हमले की घटना के बाद हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात जवानों ने फौरन उस सिरफिरे शख्स को पकड़ लिया। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी युवक को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि आरोपी युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है। बताते चलें कि सीएम इन दिनों जन संवाद यात्रा पर हैं और बाढ़ संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे हैं। शनिवार को धनरूआ के ससौना गांव में पहुंचे। जहां पर हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्होंने उनकी समस्याओं को सुना इस दौरान कई महिलाओं ने शराबबंदी पर सवाल उठाए। महिलाओं ने उन्हें बताया कि स्थानीय थाना पदाधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं। गांव-गांव में शराब की बिक्री हो रही है। जनसंवाद यात्रा के दौरान कई लोगों ने जमीन से संबंधित वाद विवाद के निपटारे में आ रही समस्या के बारे में बताया। कई लोगों ने पैक्स में धांधली के बारे में बताया। वहीं, कई लोगों ने धनरूआ के साई खेल मैदान में स्टेडियम, केंद्रीय विद्यालय और शहादत नगर में शहीद के नाम पर सड़क बनाने के अलावा कई सड़कों को पीडब्ल्यूडी से बनाने की मांग की है।
टीम एबीएन, पटना। सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। बिहार सरकार आने वाले समय में पुलिस विभाग के अंतर्गत एक लाख भर्तियां करेगी। इस बात की सूचना बिहार के पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल ने बिहार चैंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दी। उन्होंने कहा कि पुलिस महकमे में भी गलत लोग मौजूद है। आगामी समय में प्रशासनिक तंत्र में सुधार करने के लिए बड़ें स्तर पर भर्तियां की जाएगी। ट्रैफिक समस्या के लिए आइजी रैंक का सृजन : राज्य में ट्रैफिक की समस्या से निपटने के लिए पुलिस विभाग में आईजी रैंक का सृजन किया गया है। बताया गया है कि विभाग में आधुनिकिकरण का कार्य जारी है। जल्द ही परिवर्तन और सुधार देखने को मिलेगा। राज्य में अगले तीन महीने में इमरजेंसी रिस्पॉन्ड सपोर्ट सिस्टम का संचालन शुरू हो जाएगा। इसके अलावा 112 (इमरजेंसी रिस्पॉन्ड) नंबर को शुरू किया जाएगा और 400 आधुनिक तकनीक वाले वाहन भी लिए जाएंगे। राज्य के सभी पुलिस थाने को सीसीटीवी से लैस किया जाएगा। नितिश कुमार भी कर चुके चर्चा : बिहार के सीएम नितिश कुमार ने भी बीते माह पुलिस सप्ताह समापन कार्यक्रम के दौरान इतनी बड़ी संख्या में भर्ती के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि राज्य में प्रति एक लाख की आबादी पर 170 पुलिसकर्मियों की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए सीएम नितिश कुमार ने चयन प्रक्रिया में तेजी लाने के भी निर्देश जारी किए थे।
टीम एबीएन रांची। वीआईपी चीफ मुकेश सहनी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के तीनों विधायकों ने पाला बदल लिया है। राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्रीलाल यादव ने विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंचकर उन्हें पत्र सौंपा है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका समर्थन बीजेपी के साथ है। यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे : मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है। न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की। सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है। माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं। अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है। नहीं मिला विधायकों का साथ : मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ तेवर कड़े कर रखे थे। उन्होंने सरकार में अपनी ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश की, लेकिन उनको अपने ही विधायकों का साथ नहीं मिला। साहेबगंज से वीआईपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि उनका यूपी जाना सामूहिक निर्णय नहीं था। साथ ही एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कह दिया कि एनडीए विधायकों की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला समझ से परे है। यह उनका निजी फैसला है। इसके बाद धी-धीरे सहनी के तेवर नरम पड़ने लगे, क्योंकि ये साफ हो गया था कि उनके विधायक उनके साथ नहीं हैं। वैसे भी 4 में ज्यादातर विधायक बीजेपी बैकग्राउंड से आते हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। चारा घोटाला में सजायाफ्ता और पूर्व सांसद आरके राणा का निधन हो गया है। पूर्व सांसद रबींद्र कुमार राणा का दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। उन्हें एक दिन पहले मंगलवार को रिम्स रांची से एयर एंबुलेंस के जरिए एम्स ले जाया गया था। उन्होंने अपराह्न लगभग साढ़े तीन बजे आखिरी सांस ली। बताया जा रहा है कि आरके राणा की मृत्यु मल्टी ऑर्गन फेलियर की वजह से हुई है। 15 मार्च को रांची के होटवार जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद राणा को रांची स्थित रिम्स में दाखिल कराया गया था। यहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। मेडिकल बोर्ड ने उनकी बिगड़ती स्थिति को देख उन्हें मंगलवार को एम्स के लिए रेफर किया था। आरके राणा 14वीं लोकसभा में बिहार के खगड़िया संसदीय क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल की ओर से सांसद रह चुके थे। वह बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके थे। आरके राणा को रांची के डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में अदालत ने 21 फरवरी को दोषी ठहराया था। उन्हें पांच साल की कैद और 60 लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी गई थी। इसी मामले में लालू प्रसाद यादव को भी पांच साल की सजा हुई है। इसके पहले देवघर कोषागार से 89 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में भी उन्हें सजा हो चुकी थी।
टीम एबीएन, पटना। बिहार के तीन जिलों में अलग-अलग जगहों पर 30 लोगों की मौत शनिवार और रविवार को संदिग्ध हालात में हो गई। उल्टी, दस्त और पेटदर्द के लक्षण सबमें पाये गये। मृतकों में 17 भागलपुर जिले के, 11 बांका जिले के और दो मधेपुरा जिले के हैं। बीमार चल रहे कुछ लोगों के आंख की रोशनी भी कम हो गयी है। भागलपुर में दो मृतकों के परिजनों ने बताया कि शराब पीने के बाद मौत हुई है। हालांकि प्रशासन इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। भागलपुर शहरी क्षेत्र के साहेबगंज में गुस्साए लोगों ने रविवार सुबह हंगामा किया और चार घंटे तक सड़क को जाम रखा। भागलपुर में होली के मौके पर शराब पीने से सभी की मौत होने की आशंका जताई जा रही है। शराब से मौतों की चर्चा के बाद डीएम और एसएसपी रविवार शाम विश्वविद्यालय थाना पहुंचे। पुलिस ने कई इलाकों में शराब को लेकर छापेमारी शुरू कर दी है। कई लोगों को हिरासत लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। इससे पहले सुबज सात बजे मृतकों के परिजन मुआवजा तथा शराब के धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए सड़क पर बैठ गए। चार घंटे बाद पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारियों के समझाने के बाद लोग सड़क से हटे। भागलपुर शहरी क्षेत्र में पांच लोगों के अलावा, नारायणपुर में चार, गोराडीह में तीन, कजरैली में तीन, नवगछिया के परबत्ता में एक और शाहकुंड में एक व्यक्ति की मौत हुई है। मृतकों में रेलकर्मी और पूर्व सैनिक भी शामिल हैं। भागलपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि मौत के कारणों का पता लगाने के लिए दो शवों का पोस्टमार्टम कराया गया है। कई परिवार वालों ने बीमारी से मौत की बात लिखकर दी है। अन्य परिवारों से संपर्क किया जा रहा है। शराब का धंधा करने वालों के विरुद्ध छापेमारी की जा रही है।
टीम एबीएन, पटना। बिहार में भी अगले कुछ महीने बुलडोजर चर्चा में रहने वाला है। बिहार के सभी जिलों में अप्रैल से जून तक अतिक्रमण हटाओ अभियान चलेगा। इस दौरान सरकार जमीन पर किये गये अतिक्रमण को मुक्त कराने के लिए सरकार बुलडोजर चलाएगी। भूमि सुधार व राजस्व मंत्री राम सूरत कुमार ने कहा कि राज्य के सभी शहरों में अप्रैल से जून तक अतिक्रमण हटाओ अभियान चलेगा। इस दौरान सरकार जमीन पर किये गये अतिक्रमण को हटाने के लिए बुलडोजर भी चलेगा। इसके साथ ही उन्होंने सदन में यह भी कहा कि सभी सदस्यों से आग्रह है कि जब कार्रवाई शुरू हो तो अतिक्रमणकारियों को बचाने के लिए किसी प्रकार की पैरवी मत कीजिएगा। किसी की नहीं चलेगी पैरवी : मंत्री ने कहा कि किसी भी प्रकार की पैरवी नहीं चलेगी। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई अप्रैल से जून तक चलेगी। चूंकि इस दौरान बारिश नहीं होती है। ऐसे में हटाने में किसी प्रकार की परेशानी भी नहीं होगी। बिहार विधानमंडल का बजट सत्र मार्च तक चलेगा। इसके बाद अप्रैल से अतिक्रमण पर बुल्डोजर चलाया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों में 10-10 लाख का फंड भी जारी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिन-जिन स्थानों पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है, अब सरकार उन जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराएगी। अभियान के दौरान जिन जमीनों पर अतिक्रमण पाया जाएगा उन्हें ध्वस्त किया जाएगा। सभी विभाग अपने जमीनों की कराए पैमाइश : मंत्री राम सूरत कुमार विधान परिषद में डॉ संजीव कुमार सिंह के तारांकित प्रश्न का जवाब दे रहे थे। संजीव कुमार सिंह ने सभी शिक्षण संस्थानों के जमीन का डिजिटल ब्योरा बनाने की मांग की थी। जिसके जवाब में भूमि सुधार व राजस्व मंत्री ने कहा कि सभी विभागों को कहा गया है कि वह अपनी जमीन की जमाबंदी करा लें। साथ ही अतिक्रमण हो तो उसकी सूचना दें। पैमाइश कराकर सरकार बुल्डोजर चलाकर अतिक्रमण हटाएगी सरकारी कर्मचारियों की भी जवाबदेही तय होगी। इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि अतिक्रमण हटाने में सरकारी कर्मचारियों की भी जवाबदेही तय होगी। सरकारी भूमि के संरक्षण में शिथिलता या फिर लापरवाही बरतने वाले राजस्व अधिकारियों और कर्मियों को चिह्नित कर विभागीय एवं अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। जिन कर्मियों की कर्तव्यहीनता के चलते सरकार को क्षति पहुंचेगी, उनसे उक्त सरकारी भूमि के समतुल्य राशि की वसूली होगी।
टीम एबीएन, पटना। बिहार बोर्ड यानी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने बुधवार को कक्षा 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया है। इस बार बोर्ड ने 19 दिन में रिजल्ट जारी कर रिकॉर्ड बनाया है। बोर्ड के अनुसार, आधुनिक तकनीक से परीक्षा प्रणाली में काफी बदलाव किया गया है और इसी का नतीजा है कि 13,25,749 विद्यार्थियों का रिजल्ट महज 19 दिन के भीतर प्रकाशित हो गया। यह समिति के इतिहास का सबसे तेज रिजल्ट है और पूरे देश में एक रिकॉर्ड भी है। इंटरमीडिएट की ये परीक्षा 14 फरवरी, 2022 को खत्म हुई थी और 26 फरवरी से मूल्यांकन शुरू हुआ था। 13,25,749 विद्यार्थियों की करीब 70 लाख कॉपियों और करीब 70 लाख ओएमआर शीट की जांच करते हुए रिकॉर्ड 19 दिनों में रिजल्ट घोषित किया गया है, जो पूरे देश में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले साल 2021 में समिति ने इंटरमीडिएट के मूल्यांकन शुरू होने की तारीख से सिर्फ 21 दिनों के भीतर रिजल्ट जारी किया था। इस साल भी बोर्ड ने नए सॉफ्टवेयर के जरिए रिजल्ट की प्रोसेसिंग की। बिहार बोर्ड का कहना है कि नए सॉफ्टवेयर की गति पिछले सॉफ्टवेयर की तुलना में 16 गुणा अधिक है। 2020 में तैयार हुआ था सॉफ्टवेयर : इस सॉफ्टवेयर को देश में पहली बार बिहार बोर्ड ने ही साल 2020 में तैयार किया था। बता दें बिहार बोर्ड का रिजल्ट बीएसईबी की वेबसाइट biharboardonline.bihar.gov.in और biharboardonline.com पर अपलोड हुआ है। छात्र यहां जाकर इसे देख सकते हैं। इस साल 4,52,171 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में, 5,10,831 द्वितीय श्रेणी में और 99,550 विद्यार्थी तृतीय श्रेणी में पास हुए हैं। इंटरमीडिएट की इस परीक्षा में कुल 13,25,749 विद्यार्थी उपस्थित हुए थे, जिसमें 6,83,920 छात्र और 6,41,829 छात्राएं हैं।
टीम एबीएन, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा 157 साल पुराने अनुमंडल बाढ़ को जिला बनाए जाने की संभावना पर सरगर्मी बढ़ गई है। जिला बनाने के सवाल पर पिछले 30 सालों से राजनीतिक रस्साकशी चल रही है। कई बार भरोसा दिया गया लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा संकेत दिए जाने से जिला बनने की संभावना बढ़ गई है। बाढ़ को जिला बनाने के लिए पिछले तीन दशक से आंदोलन जारी है। 22 मार्च 91 को क्षेत्रीय जनता की मांग पर बाढ़ को संयुक्त बिहार का 51वां जिले का दर्जा बनाने की अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा जारी की गई थी। 2 अप्रैल 91 को बाढ़ जिला का उद्घाटन आनन-फानन में कर दिया गया। नए जिले के पहले जिला अधिकारी के रूप में पटना के तत्कालीन जिला पदाधिकारी अरविंद प्रसाद ने अनुमंडल मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर कामकाज की विधिवत शुरुआत की। इसी बीच राजनीतिक दांवपेच के कारण विरोध शुरू कर दिया गया। इस दौरान जिले के सभी सरकारी दफ्तरों को आदेश दिया गया था कि तत्काल प्रभाव से बाढ़ जिले का उल्लेख अपने कामकाज में करें। दूसरी तरफ तत्कालीन बाढ़ के विधायक और राजभाषा मंत्री विजय कृष्ण ने बाढ़ को जिला बनाने के मुद्दे पर हुए विरोधाभास के कारण इस्तीफा दे दिया था। स्थानीय सांसद नीतीश कुमार और विधायक विजय कृष्ण के बीच छत्तीस का आंकड़ा होने के कारण मामला तूल पकड़ लिया और महज 3 दिनों के भीतर अधिसूचना को राज्य सरकार के द्वारा स्थगित कर दिया गया। बाढ़ को जिला बनाने के लिए अधिवक्ता संघ ने भी हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन बात नहीं बनी। बाद में राज्य सरकार ने स्थगित अधिसूचना को हमेशा के लिए रद्द कर दिया था। प्रदेश जदयू उपाध्यक्ष विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि बाढ़ के लोगों का दिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से जीत लिया। बाढ़ की जनता अब आजीवन नीतीश कुमार की आभारी रहेगी। 70 के दशक से लगातार बाढ़ को जिला बनाने मांग चल रही थी। लेकिन लालू यादव के शासनकाल में इसे कभी पूरा नहीं किया गया। जदयू नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बाढ़ के लोगों का मान-सम्मान-अभिमान को बरकरार रखते हुए यह घोषणा कर दी कि जल्द बाढ़ जिला बनेगा। बाढ़ को जिला बनाने का संघर्ष 70 के दशक में शुरू हुआ और 22 मार्च 1991 को संयुक्त बिहार का 51वां जिला बनाने की घोषणा हुई। 1 अप्रैल को इसका औपचारिक उद्घाटन तत्कालीन डीएम अरविंद प्रसाद ने किया। लेकिन, 2 अप्रैल 1991 को ही यह फैसला रद्द हो गया। तब से ये मांग जारी है।
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