बिहार

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Published / 2025-11-20 21:52:59
बिहार चुनाव में गड़बड़ी को लेकर खुला पत्र जारी

बिहार चुनाव पर नया तूफान: 175 नामचीन हस्तियों का खुला पत्र जनादेश में गड़बड़, विपक्ष नतीजे ठुकराये 

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के औपचारिक नतीजे सामने आने के बाद अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। देश के 175 प्रतिष्ठित नागरिक जिनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, पूर्व वरिष्ठ प्रशासक, अर्थशास्त्री, कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं ने विपक्षी दलों को संबोधित एक खुला पत्र जारी कर चुनाव परिणामों को अविश्वसनीय और संदिग्ध बताया है। इस पत्र पर सबसे प्रमुख हस्ताक्षर पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी सुदर्शन रेड्डी के हैं। इनके साथ कई पूर्व नौकरशाहों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपने नाम दर्ज किये हैं। 

चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल: मतदाता सूची से छेड़छाड़ हुई 

  • पत्र का मुख्य आरोप यह है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) ने पूरी चुनावी प्रक्रिया को असमान और पक्षपाती बना दिया। हस्तियों ने दावा किया— 
  • लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए, 
  • हर नागरिक पर नये फॉर्म भरने का दबाव बनाकर भ्रम की स्थिति पैदा की गयी 
  • और अंतिम मतदाता सूची में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव रहा। 
  • इनका आरोप है कि इस बदलाव का परिणाम एक ऐसी मतदाता सूची के रूप में सामने आया जिसने चुनावी संतुलन को बिगाड़ दिया और लोगों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर किया। 

लोकतांत्रिक ढांचे पर चोट—हस्तियों ने उठाई आवाज 

पत्र में यह भी कहा गया कि मौजूदा परिस्थिति लोकतंत्र के लिए गंभीर चेतावनी है। हस्तियां लिखती हैं मतदाताओं को हटाना और चुनिंदा इलाकों में नये मतदाता जोड़ना, यह सब एक बड़े राजनीतिक उद्देश्य से किया गया प्रयास प्रतीत होता है। 

देश के नागरिकों के रूप में हम इस चुनाव को निष्पक्ष नहीं मानते और ऐसे जनादेश को वैधता नहीं दे सकते। इन नागरिकों ने विपक्ष से स्पष्ट रूप से आग्रह किया कि वह नतीजों को औपचारिक रूप से खारिज करे और जनता के मताधिकार की रक्षा के लिए एकजुट होकर आंदोलन करे। 

चुनाव आयोग पर कड़ा प्रहार 

  • पत्र में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी असाधारण रूप से तीखा हमला किया गया है। हस्तियों का दावा है 
  • आयोग अपनी संवैधानिक भूमिका निभाने में विफल रहा, 
  • उसके निर्णय लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं, 
  • और मौजूदा नेतृत्व की कार्यप्रणाली उसे रक्षक से भक्षक की स्थिति में ले जा रही है। 
  • उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोग वर्तमान स्वरूप में भरोसे के योग्य नहीं रह गया है और इसे नए सिरे से, निरपेक्ष और गैर-राजनीतिक ढंग से पुनर्गठित किया जाना चाहिए। 

विपक्ष की रणनीतिक कमी नागरिकों की नाराजगी 

खुले पत्र में यह भी उल्लेख है कि विपक्षी दलों ने नागरिक समाज और जमीनी अभियानों के साथ बेहतर तालमेल नहीं बनाया जबकि लाखों लोग मतदाता अधिकार की लड़ाई में सड़क पर उतर रहे थे। 

हस्तियां कहती हैं 

  • विपक्ष ने बदले हुए चुनाव मॉडल में भाग लेकर अनजाने में पूरी प्रक्रिया को वैधता दे दी। 
  • लोकतंत्र की रक्षा के लिए दलों और जनता को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। 
  • आने वाले 12 राज्यों में भी रकफ लागू होने की चेतावनी 
  • पत्र में यह भी कहा गया है कि रकफ की प्रक्रिया अब 12 और राज्यों में शुरू होने वाली है। 

हस्तियों ने संकेत दिया— 

  • वे इस प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी करेंगे, 
  • और किसी भी तरह की अनियमितता को चुनौती देंगे। 

किन-किन ने किया हस्ताक्षर? 

इन 175 प्रमुख हस्तियों में शामिल नाम— 

  1. बी. सुदर्शन रेड्डी (पूर्व रउ जज) 
  2. देवश्याम एमजी (पूर्व कअर अधिकारी) 
  3. पराकला प्रभाकर (राजनीतिक अर्थशास्त्री) 
  4. शंकर केजी (पूर्व हाईकोर्ट जज, आंध्र प्रदेश) 
  5. प्रकाश राज (अभिनेता) 
  6. माधव देशपांडे (तकनीकी व सुरक्षा विशेषज्ञ) 
  7. राम शरण (जनतंत्र समाज, बिहार) 
  8. राशिद हुसैन (सामाजिक कार्यकर्ता) 
  9. कई प्रतिष्ठित जन-प्रतिनिधि एवं चिंतक।

Published / 2025-11-20 20:36:31
बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बने दीपक प्रकाश

कौन हैं जींस-शर्ट में शपथ लेने पहुंचे दीपक प्रकाश, अब तक विधायक नहीं; जानें किस नेता से संबंध 

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। आज बिहार में नई सरकार का शपथ ग्रहण हुआ। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कुल 27 मंत्रियों ने शपथ ली। इसमें एक ऐसा नाम भी है जो बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बन गया। बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद बिहार में अब नयी सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ 27 मंत्रियों ने मंत्रिपद की शपथ ली है। 

सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। नीतीश कुमार के साथ जिन 26 कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली, उनमें से 14 भाजपा से, 9 जदयू से, 2 लोजपा से और एक-एक हम और रालोमो से हैं। एनडीए की इस कैबिनेट में नौ नए चेहरों को शामिल किया गया है। 

इनमें लोजपा के संजय कुमार सिंह भी शामिल हैं, जिन्होंने महुआ विधानसभा सीट पर लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप यादव को हराया था। 26 मंत्रियों में से सिर्फ़ एक मुस्लिम सदस्य है। इस कैबिनेट में एक नाम ऐसे भी है जिसे बिना चुनाव लड़े ही शपथ दिलायी गयी है। उस मंत्री का नाम है दीपक प्रकाश। 

कौन है जींस-शर्ट में शपथ लेने दीपक प्रकाश  

दीपक प्रकाश को एनडीए में शामिल रालोमो के नेता उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं। रालोमो को एनडीए में चुनाव लड़ने के लिए छह सीट मिली थी जिसमें से वह चार सीट जीतने में सफल रहे। उपेंद्र कुशवाहा ने अपने विधायकों पर विश्वास न जताकर बेटे को मंत्री पद दिलवाया है। 

दीपक प्रकाश ने बिहार चुनाव नहीं लड़ा है। वह कहीं से विधायक नहीं हैं। उन्हें मंत्री पद पर बने रहने के लिए छह महीने के भीतर विधानसभा और विधान परिषद का सदस्य बनना होगा। 2019 में दीपक प्रकाश की शादी हुई थी।  

जींस-शर्ट पहनकर शपथ लेने पहुंचे दीपक  

दीपक प्रकाश इकलौते ऐसे मंत्री दिखे जो जींस-शर्ट पहनकर शपथ लेने पहुंचे। आमतौर पर मंत्री पद की शपथ लेने नेता कुर्ता पहनकर पहुंचते हैं। लेकिन उनके परिधान में युवा मंत्रिमंडल की छवि देखने को मिली। 

सफेद रंग की शर्ट और नीले रंग की जींस पहनकर पहुंचे दीपक प्रकाश युवाओं के मंत्रिमंडल में शामिल होने का संदेश दे रहे थे। उनके माथे पर तिलक भी लगा हुआ था। इसके बाद वह प्रधानमंत्रा नरेंद्र मोदी से भी मिले।  

बिहार में चार सीटों पर जीती रालोमो 

रालोमो ने बिहार में 6 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसमें बाजपट्टी, मधुबनी, सासाराम, दिनारा, उजियारपुर और पारु शामिल हैं। इनमें से बाजपट्टी से रामेश्वर कुमार महतो, मधुबनी से माधव आनंद, सासाराम से स्नेहलता और दिनारा से आलोक कुमार सिंह ने जीत हासिल की। सासाराम से रालोमो की प्रत्याशी स्नेहलता पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी है। 

उपेंद्र कुशवाहा के परिवार में कौन-कौन है 

उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता पहली बार सासाराम ने विधायक चुनी गयी हैं। उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सदस्य हैं। वह लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। 2000 में जंदाहा सीट से विधानसभा पहुंचे थे। वह बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। अब उन्होंने अपने बेटे दीपक प्रकाश को राजनीति में प्रवेश कराया है। दीपक ने बिना चुनाव लड़े मंत्री पद की शपथ ली है।

Published / 2025-11-20 20:34:21
लालू के हनुमान रामकृपाल नीतीश सरकार में बने मंत्री

लालू के हनुमान नीतीश कुमार की 10वीं सरकार में बने मंत्री, भाजपा का यादव चेहरा कौन? 

रामकृपाल 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले लालू यादव की राजद और उससे पहले जनता दल में थे। 1990 और 2000 के दशक में वह लालू के हनुमान कहे जाते रहे। वह लालू के सबसे करीबी लोगों में थे, जो साये की तरह हमेशा उनके साथ रहा करते थे। 

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार ने आज (गुरुवार, 20 नवंबर) को दसवीं बार शपथ ली। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी। 

उनके साथ भाजपा नेता सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, मंगल पांडेय और जनता दल यूनाइटेड के विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार और बिजेंद्र प्रसाद यादव समेत कुल 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। भाजपा कोटे से रामकृपाल यादव को भी मंत्री बनाया गया है। वह दानापुर विधानसभा सीट से राजद के रीतलाल यादव को हराकर विधायक बने हैं। 

लालू के हनुमान रहे हैं रामकृपाल 

रामकृपाल 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले लालू यादव की राजद और उससे पहले जनता दल में थे। 1990 और 2000 के दशक में वह लालू के हनुमान कहे जाते रहे हैं। वह लालू के सबसे करीबी लोगों में थे, जो साए की तरह हमेशा उनके साथ रहा करते थे। 

लालू-राबड़ी कार्यकाल में और बाद तक राम और श्याम (रामकृपाल यादव और श्याम रजक) की जोड़ी बिहार में चर्चित रही है। रामकृपाल करीब तीन दशकों तक लालू के सबसे भरोसेमंद सिपाही बने रहे लेकिन 2014 में दोनों की राहें जुदा हो गयीं। 

2014 में थामा था भाजपा का दामन 

दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनावों में जब लालू यादव ने पाटलीपुत्र संसदीय क्षेत्र से अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को राजद का उम्मीदवार बनाया तो लालू के हनुमान और समाजवादी चेहरा रामकृपाल भाजपा के पाले में चले गये। 

उनके इस कदम ने बिहार की राजनीति में एक नयी हलचल पैदा कर दी क्योंकि अब तक वह न सिर्फ लालू के भरोसेमंद सिपाही थे बल्कि उससे भी ज्यादा रणनीतिकार थे जो पार्टी में संगठन से लेकर सरकार तक लालू का संदेशवाहक के रूप में जाने जाते थे। 

पटना के मेयर और मोदी के मंत्री भी रहे 

पटना में रेलवे जंक्शन से सटे गोरिया टोली के रहने वाले और 12 अक्टूबर 1951 को जन्मे रामकृपाल यादव ने अपनी राजनीतिक शुरुआत भी पटना के स्थानीय निकायों से ही की थी। वह पटना के मेयर बने फिर धीरे-धीरे जमीनी नेता बन गये और लालू की टीम का हिस्सा हो गये। राजद के टिकट पर वह तीन बार लोकसभा सांसद चुने गये थे। 

2014 में जब उन्होंने राजद से नाता तोड़कर मीसा भारती के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बनाया। इस पर रहते हुए उन्होंने 2014 से 2019 तक ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़क, आवास और मनरेगा से जुड़े कई कार्यक्रमों पर कई काम किये। 

नीतीश सरकार में दो यादव मंत्री 

2019 में वह फिर सांसद चुने गये लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में मीसा भारती के हाथों उनकी हार हुई। ऐसे में पार्टी ने उन्हें पटना से सटे दानापुर से विधानसभा का चुनाव लड़वाया और वे जीतकर नयी सरकार में मंत्री बने। बड़ी बात यह भी कि इनके खिलाफ चुनाव प्रचार करने खुद लालू यादव दानापुर गये थे लेकिन जीत रामकृपाल की हुई। 

अब वह भाजपा कोटे से यादव मंत्री हैं। नीतीश कुमार की 10वीं सरकार में दो यादव मंत्री बनाये गये हैं। एक जदयू कोटे से और एक भाजपा कोटे से। जदयू से बिजेंद्र यादव फिर मंत्री बनाये गये हैं। वह हर बार नीतीश सरकार में मंत्री रहे हैं।

Published / 2025-11-19 17:43:59
बिहार चुनाव : कल 10वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे नीतीश कुमार

नीतीश जदयू तो सम्राट चौधरी चुने गये भाजपा विधायक दल के नेता 

नीतीश कुमार जदयू विधायक दल के नेता चुने गये, सम्राट चौधरी ने रखा प्रस्ताव; कल लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ 

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। पटना में विधानसभा के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक हुई। इसमें भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी के सभी नवनिर्वाचित विधायक और नीतीश कुमार, चिराग पासवान, संतोष सुमन, उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा मौजूद रहे। 

भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गये सम्राट चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। सर्वसम्मति से, फिर से नीतीश कुमार का नारा लगाते हुए एनडीए विधायक दल ने कल के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी कर ली। 

एबीएन बगैर किसी संशय के बार-बार यह बात सामने ला रहा था कि अगर एनडीए बहुमत में आता है तो ज्यादा विधायकों की स्थिति में भी भाजपा नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनायेगी। 

वही बात आज साबित हुई। कल 10वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने नीतीश कुमार गांधी मैदान पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में शपथ ग्रहण समारोह होगा। सीएम नीतीश कुमार कुछ देर में राजभवन जायेंगे। वहां राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे।

Published / 2025-11-18 18:14:46
बिहार: जदयू स्पीकर पद छोड़ने के लिए तैयार! भाजपा के सामने रख दी ये बड़ी शर्त

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। बिहार में स्पीकर पद पर भाजपा और जदयू दोनों दावा कर रही है। सूत्रों ने ये बड़ी जानकारी दी है। सूत्रों के मुताबिक, बातचीत कर रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। जदयू चाहती है कि अगर भाजपा स्पीकर पद ले तो फिर एक ही डिप्टी सीएम बनाये। जदयू नहीं चाहती है कि बिहार में दो डिप्टी सीएम हों। 

बिहार में नयी सरकार का शपथ ग्रहण 20 नवंबर को होगा। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होना है। इस बीच आज (18 नवंबर) को सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के साथ गांधी मैदान पहुंचे और शपथ ग्रहण के कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लिया। 

कल भाजपा विधायक दल की बैठक 

बिहार में कल बुधवार (19 नवंबर) को दिन अहम होने वाला है। कल भाजपा के विधायक दल की बैठक होनी है। इस बैठक में बीजेपी के विधायक दल का नेता चुना जायेगा। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को इस बैठक लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। पटना में भाजपा दफ्तर में सुबह 10 बजे बैठक होगी। 

कल ही एनडीए के विधायक दल की बैठक भी हो सकती है। इस बैठक में एनडीए के विधायक दल का नेता चुनाव जायेगा। जिस नेता का चुनाव होगा वो राज्यपाल के पास विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपकर नयी सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। एनडीए में जेडीयू और भाजपा के अलावा चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल है। 

सीएम के लिए नीतीश कुमार का नाम फाइनल! 

सूत्रों की मानें तो सीएम पद के लिए भाजपा और जदयू में सहमति हो चुकी है। नीतीश कुमार का नाम फाइनल माना जा रहा है। लेकिन सरकार में अन्य मंत्रालयों को लेकर चर्चा जारी है। सीएम पद के लिए नीतीश कुमार के नाम पर उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी पहले ही अपनी सहमति दे चुके हैं।

Published / 2025-11-17 20:22:12
बिहार चुनाव : राजद विधायक दल के नेता बने तेजस्वी

बिहार चुनाव परिणाम के खिलाफ कोर्ट जायेगा राजद! तेजस्वी यादव विधायक दल के नेता चुने गये

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद आज पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेताओं के साथ समीक्षा बैठक की। पटना के एक पोलो रोड स्थित तेजस्वी आवास पर यह बैठक हुई है। करीब चार घंटे तक बैठक चली। राजद नेताओं के साथ तेजस्वी ने बिहार विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा की गयी। इसके बाद तेजस्वी को विधायक दल का नेता चुन गया। 

राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि तेजस्वी को विधानमंडल दल का नेता चुना गया है। वह विधानसभा में पार्टी के नेता होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस चुनाव में इन मशीनों का दुरुपयोग किया गया। जनता के साथ गलत किया गया। बैठक में विधायक आलोक मेहता ने कहा कि चुनाव के गड़बड़ी हुई है। इसीलिए ऐसा चौंकाने वाला परिणाम आया है। राजद के महज 25 प्रत्याशी ही विधानसभा चुनाव जीत पाये।

चुनाव परिणाम को लेकर कोर्ट जाने की चर्चा

मामले में राजद नेता रामानुज यादव ने बताया कि बैठक के हर एक नेता से बातचीत की गयी। रिपोर्ट कार्ड देखा गया। इसके साथ ही चुनाव के परिणाम को लेकर कोर्ट जाने पर भी चर्चा हुई। इसे लेकर महागठबंधन के नेताओं की भी राय ली जायेगी। 

इधर, लालू परिवार में जारी घमासान के बीच इस बैठक में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती भी शामिल हुईं। उनके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बाहुबली सूरजभान सिंह, विधायक भाई वीरेंद्र समेत कई वरिष्ठ नेता पहुंचे।

तेजस्वी विधायक दल का नेता चुने गये

बताया जा रहा है कि तेजस्वी यादव ने चुनाव में जीते और हारे हुए विधायकों को बुलाया है। सभी राजद नेता अपना अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर आये हैं। बैठक में तेजस्वी चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों से फीडबैक लिया। इसके बाद राजद विधायकों ने सर्वसम्मति से तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुन लिया। 

राजद सूत्रों का कहना है कि इस बैठक का मकसद यह पता करना था कि आखिर चूक कहां रह गयी? जिन सीटों पर बेहद ही कम अंतर से हार मिली है उन सीटों की भी समीक्षा की जा रही। साथ ही सीमांचल में राष्ट्रीय जनता दल की जड़ें कमजोर होने की वजह भी खोजी जा रही।

Published / 2025-11-17 17:55:27
अटल जी के कहने पर पहली बार मुख्यमंत्री बने थे नीतीश

जानिये नीतीश कुमार ने कब-कब ली सीएम पद की शपथ 

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। बिहार में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। कुल 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए को 202 सीटें मिली हैं, जो उसे दो-तिहाई से भी ज्यादा बहुमत दिलाती है। 

एनडीए की इतनी बड़ी जीत के बाद, नीतीश कुमार की बिहार में मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। अगर ऐसा हुआ इस बार नीतीश कुमार 10 वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे। बात करें 2000 के विधानसभा चुनाव की तो उस समय किसी एक पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला था। 

चुनाव के बाद अटल बिहारी लाल जी के पर भाजपा के समर्थन से ही नीतीश ने पहली बार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। तब नीतीश अटल सरकार में कृषि मंत्री थे। लेकिन, बहुमत नहीं होने के कारण उन्होंने 7 दिन में ही इस्तीफा दे दिया था। 

  1. पहली बार (03-03-2000 से 10-03-2000) : नीतीश कुमार पहली बार मार्च 2000 में मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण महज सात दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।  
  2. दूसरी बार (24-11-2005 से 25-11-2010) : नीतीश कुमार दूसरी बार नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री बने।  
  3. तीसरी बार (26-11-2010 से 19-05-2014) : नवंबर 2010 में नीतीश कुमार ने फिर से मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।  
  4. चौथी बार  (22-02-2015 से 19-11-2015) : फरवरी 2015 में नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने। 
  5. पांचवीं बार  (20-11-2015 से 26-07-2017) : इसके बाद एनडीए से अलग होकर वह लालू यादव के करीब आ गये और नवंबर 2015 में वह महागठबंधन सरकार (राजद और कांग्रेस के साथ) में मुख्यमंत्री बने थे। 
  6. छठवीं बार  (27-07-2017 से  12-11-2020) : जुलाई 2017 में नीतीश ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया और फिर एनडीए के तरफ से मुख्यमंत्री बने।  
  7. सातवीं बार (16-11-2020 से 09-08-2022) : नवंबर 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद वह एनडीए सरकार में मुख्यमंत्री बने।  
  8. आठवीं बार (10-08-2022 से 28-01-2024) : नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में फिर से राजद के साथ महागठबंधन की सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बने।  
  9. नौवीं बार (28-01-2024) : जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया और फिर एनडीए में शामिल होकर नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।  
  10. दसवीं बार : वहीं अब नीतीश कुमार 2025 में 10वीं बार सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

Published / 2025-11-15 22:05:39
25 की उम्र में मैथिली ने रचा इतिहास!

मैथिली ठाकुर बनीं बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक, जानें पिछले युवा विजेताओं की लिस्ट 

एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। मैथिली ठाकुर 25 साल की उम्र में बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक बनकर इतिहास रचती हैं, जबकि इस साल कई युवा उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। बिहार की अलीनगर सीट से बीजेपी की प्रत्याशी और लोकगायिका मैथिली ठाकुर शुक्रवार को जीत कर इतिहास रच दिया। महज 25 साल की उम्र में उन्होंने राज्य की अब तक की सबसे कम उम्र की विधायक का रिकॉर्ड बना लिया है। 

काउंटिंग के 25 दौर के बाद मैथिली ने 84,915 वोट पाकर जीत हासिल की। राष्ट्रीय जनता दल के बिनोद मिश्रा को उन्होंने 11,730 वोटों के बड़े अंतर से हराया। मैथिली का राजनीतिक सफर भी चर्चा में है, वे अक्टूबर में बीजेपी में शामिल हुईं और उसी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। उनकी पार्टी के लिए यह एक रणनीति भी मानी जा रही है कि मिथिलांचल में युवा वोटरों से जुड़ा जा सके। 

सांगीतिक पृष्ठभूमि को लेकर मैथिली को बचपन से ही पिता ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ट्रेनिंग दी। वे मैथिली, भोजपुरी और हिन्दी लोकगीतों की जानकार हैं और अक्सर अपने भाइयों के साथ मंच साझा करती रहती हैं। यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उनकी लाखों की फैन फॉलोइंग है, जिससे उनकी लोकप्रियता सभी समुदायों में फैली हुई है और यही डिजिटल पहुंच चुनाव में काम आयी। 

बिहार चुनाव 2025: सबसे कम उम्र के उम्मीदवार और विधायक 

बिहार में इस बार चुनाव में कई युवा चेहरे मैदान में हैं। फरवरी 2005 में तौसीफ आलम 26 साल की उम्र में बहादुरगंज सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर बिहार के सबसे युवा विधायक बने थे। हालांकि, उस साल जल्द ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। इसके बाद तौसीफ आलम कांग्रेस के टिकट पर फिर से चुनाव लड़े और 2020 तक अपनी सीट बनाये रखी। इस साल वह अकटकट के टिकट पर फिर से बहादुरगंज सीट पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं। 

भाजपा की श्रेयसी सिंह 2020 में 30 साल की उम्र में जामुई सीट जीतकर बिहार की सबसे युवा महिला विधायक बनी थीं। इस साल वह इसी सीट से फिर चुनाव लड़ रही हैं। इस साल के चुनाव में मैथिली ठाकुर के अलावा और भी कई युवा उम्मीदवार शामिल हैं। इस बार बिहार की राजनीति में युवा नेताओं की भागीदारी देखने लायक होगी।

  • जेडीयू की रवीना कुशवाहा, 27 साल, विभूतिपुर 
  • राजद की शिवानी शुक्ला, 28 साल, ललगंज 
  • कांग्रेस के नवीन कुमार, 25 साल, बटहनाहा 
  • दीपु सिंह, 28 साल, संडेह 
  • रवि रंजन, 29 साल, अष्टावन 

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