टीम एबीएन, रांची। झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष अजय राय एवं प्रवक्ता संजय सर्राफ ने राजधानी कोतवाली थाना क्षेत्र में एक स्कूली की छात्रा के साथ छेड़खानी की घटना की कड़ी शब्दों में निंदा की है। तथा उन्होंने पुलिस प्रशासन से ऐसे मनचलों को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राजधानी में शर्मनाक एवं घृणित कार्य तेजी से बढ़ रहा है।
रांची मे झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से भी छात्राएं पढ़ाई करने आती है। अपराधकर्मियों का पुलिस का खौफ बिल्कुल खत्म हो गया है। राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है। तथा अपने बेटियों की सुरक्षा को लेकर सभी अभिभावक चिंतित एवं परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि झारखंड पुलिस उन सभी क्षेत्रों को चिन्हित कर सभी क्षेत्रों में पुलिस की गश्त तेज करते हुए छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें। राजधानी में ऐसी हरकत करने वालो को अति शीघ्र गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि बेटियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
एबीएन सोशल डेस्क। विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि अन्नपूर्णा जयंती हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो देवी अन्नपूर्णा की जयंती के रूप में मनाया जाता है। अन्नपूर्णा का अर्थ है जो अन्न प्रदान करने वाली हैं, और उन्हें भोजन, पोषण और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है।
पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती होती है इस वर्ष 14 दिसंबर को 4 बजकर 58 मिनट से मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरूआत होगी. इस तिथि की समाप्ति 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती होगी। माना जाता है कि मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि पर ही मां पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप धारण किया था, इसलिए हर साल इसी तिथि पर अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है।
अन्नपूर्णा देवी का पूजन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए होता है, जो अन्न, भोजन और समृद्धि की कामना करते हैं। देवी अन्नपूर्णा का प्रमुख स्वरूप एक महिला देवी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो एक कटोरी में अन्न लेकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा ने भगवान शिव को भोजन दिया था, जब वे भूख से व्याकुल थे।
इस प्रकार अन्नपूर्णा देवी को संसार में अन्न और खाद्य की देवी माना जाता है,और उनकी पूजा से घरों में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है। अन्नपूर्णा जयंती का पर्व विशेष रूप से घरों में पूजा और व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है और घरों में साफ-सफाई की जाती है। भक्तगण देवी अन्नपूर्णा के मंदिरों में जाकर उनकी पूजा करते हैं और अन्न, चावल, फल, और अन्य खाद्य सामग्री का भोग अर्पित करते हैं।
इसके साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन दान करने की परंपरा भी है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्नपूर्णा जयंती पर विशेष रूप से यह संदेश दिया जाता है कि हमें अन्न का सदुपयोग करना चाहिए और उसे व्यर्थ नहीं फेंकना चाहिए। देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त शुद्ध आस्था और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं, ताकि जीवन में समृद्धि, सुख, और शांति का वास हो सके।
इस दिन को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने का भी महत्व है, खासकर खाद्य संकट और भुखमरी जैसी समस्याओं के संदर्भ में। अन्नपूर्णा जयंती इस बात का प्रतीक है कि हर व्यक्ति को पर्याप्त भोजन मिले और कोई भी भूखा न रहे। इसके माध्यम से हम अपने समाज में एक सकारात्मक और समृद्ध वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। अंतत:, अन्नपूर्णा जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में अन्न की महत्ता, परिश्रम, और दान की भावना का पाठ भी पढ़ाती है।
एबीएन सोशल डेस्क। अखिल विश्व गायत्री परिवार शान्तिकुञ्ज हरिद्वार के तत्वावधान में चलाये जा रहे दिव्य अखंड ज्योति व भव्य कलश रथ दर्शन में आध्यात्मिक भक्तजनों की दर्शन व अभिनंदन में भीड़ उमड़ रही है। आज गुरुवार को करमटोली, मोराबादी एदलहातु, सिद्धो-कान्हो पार्क, राम मंदिर, जवाहर नगर, गांधी नगर, सीएमपीडीआई , ब्रह्मचारी नगर सहित कई क्षेत्र, कई मुहल्ला, कस्बों में भ्रमण दर्शन हुआ।
इस बीच विचार क्रांति अभियान के अंतर्गत प्रचार प्रसार करने वाली एक समय बिहार भोजपुर आरा टीम नायक के मार्गदर्शन व सम्पर्क में गायत्री परिवार के तत्कालीन कुछ नये जुड़े साधकों ने याद करते हुए बताया कि वो वर्ष 1988 का वह दिनांक 12-12-88 था, तब गायत्री महाविद्या का एक शिक्षण दिवस था जिसमें यह साधक श्रद्धा पूर्वक जुड़ा और इस 24 अक्षर वाला गायत्री महामंत्र सस्वर पाठ व संवाद हमेशा हर साल विशेष वर्षगांठ के रूप में याद करता है।
आज फिर साधक ने याद किया और याद कर बताया कि इसी अखंड ज्योति सानिध्य में परम पूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति-तपोनिष्ठ पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य दादा गुरुदेव के सानिध्य,मार्गदर्शन संरक्षण में 24-24 लाख की 24 की गायत्री महामंत्र का पुरश्चक्रण अनुष्ठान संपन्न किये थे और परम वंदनीया माताश्री भगवती देवी द्वारा अपने समयकाल में लगभग 24 देश- विदेशों 24 से अधिक अश्वमेध महायज्ञ भी कराये।
उसी दिव्य अखंड ज्योति प्रकाश के प्रसार-विस्तार में यह ज्योति कलश रथ-दर्शन यात्रा भ्रमण कर अपना प्रचंड विस्तार में है। बताया गया यह रथ-दर्शन भ्रमण यात्रा झारखंड प्रान्त के 24 जिला और इसके समस्त प्रखंड पंचायत में भी जन-जन को दर्शन करायेगी। टीम नायक साहुजी ने बताया कि यह भव्य ज्योति कलश रथ दर्शन यात्रा विचार क्रांति अभियान का भाग है। उक्त जानकारी गायत्री परिवार के वरिष्ठ साधक सह प्रदेश प्रचार-प्रसार प्रमुख जय नारायण प्रसाद ने दी।
टीम एबीएन, लोहरदगा। हनुमान जी की जन्मस्थली अंजन धाम में दस से 12 जनवरी 2025 तक तीन दिवसीय माता अंजनी महोत्सव का आयोजन किया जायेगा। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानंद की जयंती के दिन संपन्न होगा। 12 जनवरी को श्री रामभक्त हनुमान जी को समर्पित भजन सह भक्ति संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। यह जानकारी अंजन धाम समिति राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा दिवाकर पाठक ने दी।
वह कमेटी के सदस्यों के साथ 10 दिसंबर को लोहरदगा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को अपराह्न तीन बजे से सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। इसमें डेढ़ लाख से अधिक राम हनुमान भक्त शामिल होंगे। गतवर्ष एक लाख लोग सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पाठ में सहभागिता किए थे।
बाबा दिवाकर पाठक ने कहा कि हनुमान जन्मस्थली अंजन धाम को वैश्विक पहचान दिलाने के उद्देश्य से पिछले कुछ वर्षों से यह कार्यक्रम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का शुभारंभ 10 जनवरी को सुबह आठ बजे से होने वाले 48 घंटे के अखंड हरी कीर्तन से होगा। इसी दिन दोपहर एक से लगातार तीन दिनों तक भंडारा चलता रहेगा। अखंड हरी कीर्तन में बंगाल, छत्तीसगढ़ और मेजबान झारखंड के कई कीर्तन मंडलियां भाग लेंगी।
12 जनवरी को प्रात: आठ बजे से काशी- विश्वनाथ के 11 विप्र जनों की अगुवाई में रुद्राभिषेक और माता अंजनी और हनुमान जी की विशेष पूजा अर्चना की जायेगी। पूर्वाहन 11बजे से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भजनिक आदर्श मिश्रा, अर्चना राज और सुरेश मिश्रा आदि की अगुवाई में सुंदरकांड भजन और आध्यात्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जायेगा।
बाबा दिवाकर पाठक ने बताया कि कार्यक्रम को लेकर प्रधानमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों झारखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री समेत देश के बड़े साधु- संतों को भी कार्यक्रम में आने का निमंत्रण भेजा जा रहा है। अतिथियों को सम्मानित किया जाएगा। यही नहीं पूजा में सहभागिता करने वाले तमाम भक्तों के लिए अंजन धाम समिति की ओर से पूजन सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तमाम सदस्यों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे घोर अन्याय और अत्याचार की कड़ी निंदा करते हुए यूनाइटेड नेशन से हस्तक्षेप करने की मांग की गयी। इसके अलावा अंजन धाम समिति ने भारत और झारखंड सरकार से रांची लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा जिले के धार्मिक स्थलों को पर्यटक पर्यटन कॉरिडोर बनाने की मांग कर इसके लिए पहल करने की मांग की।
इस कॉरिडोर में लोहरदगा के चूल्हापानी स्थित दामोदर उद्गम स्थल, खखपरता शिव धाम,कोराम्बे महामाया मंदिर, महादेव मंडा सलगी, गढ़गांव चंदवा, गुमला जिले के टांगीनाथ धाम, हापामुनि मंदिर, नवरत्नगढ़ सिंसई, सिरासीता धाम, रांची जिला के जगन्नाथ मंदिर, सिमडेगा जिला के रामरेखा धाम आदि को जोड़कर पर्यटन कॉरिडोर बनाने की मांग की गई है।
समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड आगमन पर अंजन धाम का उल्लेख करने और लोहरदगा के सांसद सुखदेव भगत के द्वारा लोकसभा में अंजन धाम को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग के लिए धन्यवाद जताते हुए आभार प्रकट किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में समिति के सुनील अग्रवाल, उदय मुखर्जी, मुकेश कुमार सिंह पप्पू, कुमार विजय भगत, अभय महतो, महेंद्र प्रजापति, प्रदीप सिंह, पवन भगत, मनीष राजगढ़िया, विनीत कुमार, जागेश्वर साहू, बबलू महतो आदि मौजूद थे।
टीम एबीएन, रांची। आज झारखंड की राजधानी रांची में सर्व सनातन समाज के नेतृत्व चिन्मय मिशन अखिल भारतीय संत समाज समिति, मेन रोड गुरुद्वारा, श्वेतांबर जैन समाज, बौद्ध समाज, आदिवासी समाज, बंगाली एसोसिएशन, जनजाति विकास परिषद के विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद, एकल विद्यालय, वनवासी कल्याण केंद्र के कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के हजारों की संख्या में लोगों ने बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार और उनके मानवाधिकार हनन के खिलाफ मोरहाबादी मैदान से फिरायालाल होते हुए राज्यपाल भवन तक धरना प्रदर्शन, रैली और ज्ञापन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। आक्रोश मार्च राजभवन पहुंचकर एक सभा में तब्दील हो गयी। आक्रोश सभा का संचालन विजय कुमार ने किया।
इस ऐतिहासिक आयोजन में करीब 10, 000 लोगों ने हिस्सा लिया। विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधि, जिनमें हिंदू, सिख, जैन और सनातनी समाज के लोग शामिल थे, ने इसमें अपनी सक्रिय भागीदारी दी। आक्रोश सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सोमा उरांव ने कहा कि आज हम सब बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपना समर्थन देने के लिए एकजुट हुए हैं और आज मांग करते हैं कि जेहादियों पर कड़ी कार्रवाई हो। आज जो स्थिति बांग्लादेश में है अगर हिंदू समाज नहीं जागा, तो झारखंड में भी वह स्थिति बहुत जल्द होगी। भारत को अब एक हिंदू राष्ट्र घोषित करना होगा।
समाजसेवी राकेश लाल ने संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश भारत का ही अंग था, जिसे जिहादियों ने छीन लिया था। पाकिस्तानी सेना बांग्लादेशियों पर हमला और महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था। तब उनकी रक्षा भारत ने ही किया था। आज उसी बंग्लादेश के मुसलमान हिंदुओ के साथ अत्याचार कर रहे हैं। उनको मार रहे हैं। ये जिहादी आज जिस इस्कॉन के लोगों ने उन्हें रोटी दी। बंग बंधु ने बांग्लादेश को आजादी दी। उन्हीं के कार्यकर्ताओं के खिलाफ अत्याचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यूनुस खान का नोबेल का शांति का अवार्ड वापस होना चाहिए। यह भीड़ एक झांकी है अभी पूरी पिक्चर बाकी है। उन्होंने सर्व समाज को आह्वान करते हुए कहा कि इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठायें।
सभा को प्रांत मंत्री विश्व हिंदू परिषद के मिथलेश्वर मिश्र ने संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार को देखकर वेदना होती है इससे हम सभी आक्रोशित हैं। हिंदू समाज बसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करने वाले संप्रदाय है। हम सभी अहिंसा के पुजारी हैं लेकिन जब हमें उकसाया जाता है तो हम इसका विरोध करते हैं।
सभा में सामाजिक कार्यकर्ता बिनोद गाडयान ने कहा कि दुनियाभर के देशों ने बंग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार का विरोध किया है। उन्होंने पूरी दुनियां से मांग करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हनन के खिलाफ पूरी दुनियां आवाज उठाये।
सभा को संबोधित करते हुए राजेन्द्र कृष्ण ने कहा कि बांग्लादेश के अस्तित्व भारत के कारण है, लेकिन वहां हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है वह काफी अफसोसजनक है। विश्व मानवाधिकार आयोग से आह्वान करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार को जल्द से जल्द समाप्त किया जाये।
इस्कॉन के सदस्य प्रकाश ने उपस्थित जनसमूह से हिंदुओं को जागने का आह्वान किया और बांग्लादेश में हो रहे क्रूरता के खिलाफ एकजुट होने पर बल दिया।
विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री याज्ञवल्कय ने कहा कि बांग्लादेश के उदय में लाखों भारतीयों ने अपनी शहादत दी थी आज उनके साथ अत्याचार हो रहा है। आज बंग्लादेश में एक विचार पनप गया है कि जिसकी आबादी ज्यादा होगी वह कम आबादी वाले समाज के लोगों को जिंदा रहने नही देंगे। भारत एक संवेदनशील देश है, दुनिया में जहां कहीं भी लोगों के साथ अत्याचार होता है भारत अत्याचार के खिलाफ उनके साथ खड़ा होता है।
सुनीता कुमारी गुप्ता ने कहा कि बांग्लादेश में हो रही अत्याचार की जितनी निंदा की जाये कम है,बांग्लादेश के मुसलमान हिंदुओं को कम आंक रहे हैं, जो बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। रवि शंकर ने हिंदू समाज को धन्यवाद दिया और कहा कि आज हिंदू समाज एकजुट होकर बांग्लादेश के हिंदुओं के समर्थन में खड़े हुए यह काबिले तारीफ है।
सर्व सनातन समाज का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें भूतेशानंद जी महाराज, सरदार बिक्रम सिंह, पवन लामा, बिनोद जैन, स्वामी परिपूर्णानंद महाराज, बिनोद जालान, राकेश लाल, पवन मंत्री, शेखर चोधरी, रवि मुंडा, बिनोद गाडयान, प्रशुन रायपत, सुनीता गुप्ता शामिल होकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में मुख्य बिंदुओं पर राज्यपाल का ध्यानाकर्षण कराया गया :
रैली के प्रतिभागियों ने नारे लगाते हुए बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि मानवाधिकारों का उल्लंघन तुरंत रोका जाये।
इस आयोजन में हिंदू, सिख, जैन, और सनातनी समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर मानवता और न्याय के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की।
रैली के समापन पर राजभवन में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गयी।
रैली के दौरान लोगों को बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया गया।
टीम एबीएन, रांची। सोमवार को आर्चबिशप हाऊस, रांची में आज कुवांरी माता मरियम के निष्कलंक गर्भागमन के पर्व के अवसर पर आर्चबिशप हाऊस के गार्डेन में, माता मरियम के आदर में नवनिर्मित ग्रोटो का आशीष किया। बहुत दिनों से निमार्णाधीन ग्रोटो का काम समाप्त होने पर आज रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद ने ग्रोटो की आशीष कर इसके सम्मुख आ कर प्रार्थना करने के लिए इसे खोल दिया है।
इसके पहले महाधर्माध्यक्ष ने कुंवारी माता मरियम की प्रतिमा की आशीष की और इसके बाद प्रतिमा को ग्रोटो में स्थापित कर ग्रोटो की आशीष एवं उद्धघाटन किया। ऐसे शुभ अवसर पर विंसेंट आइंद ने अपने आशीर्वचन में इसके सम्मुख आ कर प्रार्थना करने और आशीष प्राप्त करने का आह्वान किया। आशीष के समय हल्की बारिश को महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद ने प्रभु की आशीष कहा।
इस छोटे और साधारण ग्रोटो के आशीष धर्मविधि में महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आइंद, आर्चबिशप हाऊस के फा सेबास्टियन तिर्की, फा मुकुल कुल्लू, फा सुशील बेक, फा सहदेव प्रजापति, फा वाल्टर किस्पोट्टा, फा असीम मिंज एवं सहायक कर्मचारी मौजूद रहे।
टीम एबीएन, रांची। अखिल भारतीय श्रोत्रिय ब्राह्मण महासंघ के राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी पंडित अमीर राज पांडेय विद्यार्थी को राष्ट्रवाद व सनातन धर्म के प्रति समर्पित और भारत निर्वाचन आयोग से निबंधित एकमात्र राजनीति पार्टी राष्ट्रीय सनातन पार्टी का झारखंड सुप्रीम (झारखंड प्रांत का प्रदेश अध्यक्ष) बनाया गया है।
इनका मनोनयन राष्ट्रीय सनातन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्वजीत सिंह अनंत की अनुशंसा पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष माननीय अमरेंद्र यादव ने किया है। राष्ट्रीय सनातन पार्टी के नवनियुक्त झारखंड प्रदेश अध्यक्ष अमीर राज पांडेय ने बताया कि इस राजनीतिक पार्टी का विस्तार पूरे झारखंड में जल्द किया जायेगा।
झारखंड के सभी विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी खड़े किये जायेंगे, जिसमें श्रोत्रिय ब्राह्मण को प्राथमिकता दी जायेगी। चूंकि सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा श्रोत्रिय ब्राह्मण को अपना प्रत्याशी बनाने में घोर उपेक्षा की जा रही है।
पूरे झारखंड से जो श्रोत्रिय ब्राह्मण विधानसभा, लोकसभा या विधान मंडल (झारखंड में अब परिसीमन के बाद) चुनाव लड़ना चाहते हैं, संपर्क कर सकते हैं और तैयारी कर सकते हैं। अखिल भारतीय श्रोत्रिय ब्राह्मण महासंघ इनके मनोनयन पर हार्दिक शुभकामनाएं व आत्मीय बधाई प्रदान करता है और साथ ही इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है। जो सनातन की बात करेगा, वही दिलों पर राज करेगा...
एबीएन सोशल डेस्क। विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग व राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि गीता जयंती का पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इस वर्ष गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 दिन बुधवार को मनायी जायेगी।
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिसकी स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। इसका महत्व भगवद गीता हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद को आधार बनाता है।
यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि जीवन के आचार-व्यवहार नीति,और दर्शन के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। गीता जयंती का पर्व इसी दिव्य ग्रंथ के उपदेशों की महिमा को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से श्री कृष्ण के उपदेशों को याद करने और उनका अनुसरण करने के लिए समर्पित होता है।
भगवद गीता का संवाद महाभारत के भीष्म पर्व में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ था। गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर हुआ, जब अर्जुन अपने कुटुंब के साथ युद्ध करने में असमर्थ महसूस कर रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कर्म, धर्म, भक्ति, और योग के माध्यम से जीवन का सही मार्ग दिखाया।
गीता के 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में जीवन के हर पहलू का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें कर्मयोग, भक्ति योग, ज्ञानयोग, और संन्यास योग जैसे प्रमुख विषयों का वर्णन है, जो व्यक्ति को अपने जीवन को संतुलित और आंतरिक शांति से भरपूर बनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
गीता जयंती पर श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस दिन विशेष रूप से गीता के पाठ का आयोजन किया जाता है, जिससे व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त कर सके। मंदिरों में गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है और लोग सामूहिक रूप से इसे सुनने के लिए एकत्रित होते हैं।
कई स्थानों पर गीता के महत्व पर प्रवचन भी होते हैं, जहां विद्वान और साधु भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का विस्तार से अर्थ बताते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक परिप्रेक्ष्य से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति को अपने जीवन में आदर्श और नैतिकता को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
इस दिन का महत्व यह भी है कि यह हमें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का सही ढंग से पालन करने की प्रेरणा देता है। गीता के उपदेशों को अपनाकर हम अपने जीवन को सरल, शांत, और उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं। गीता जयंती का पर्व हमें यह समझाता है कि भगवान श्री कृष्ण का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों साल पहले था।
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