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Published / 2024-12-01 20:05:06
कोडरमा : बाल विवाह निषेध पर बच्चों को दिलायी गयी शपथ

बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप : अश्विनी तिवारी

टीम एबीएन, झुमरी तिलैया। आदर्श मध्य विद्यालय कोडरमा में बाल विवाह निषेध जागरूकता अभियान के तहत कम उम्र में विवाह नहीं करने का शपथ प्रधानाध्यापक अश्विनी तिवारी ने विद्यालय के बच्चे एवं बच्चियों को दिलायी। प्रधानाध्यापक श्री तिवारी ने संबोधित करते हुए बताया कि लड़कियों के विवाह का न्यूनतम उम्र 18वर्ष एवं लड़कों के विवाह का उम्र 21 वर्ष है। इससे कम उम्र में विवाह कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। 

कम उम्र में विवाह होने से लड़के एवं लड़कियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कभी कभी तो प्रस्वावस्था में लड़कियों की मौत भी हो जाती है। कम उम्र में विवाह होने से लड़कियों एवं लड़कों की पढ़ाई भी प्रभावित हो जाता है एवं रोजगार के अवसर का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। कम उम्र में विवाह के कारण जनसंख्या में वृद्धि एवं इसके कारण रहन सहन, संतुलित भोजन शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि कई तरह की भी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। 

उन्होंने कहा कि बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है। किसी भी स्थिति में कम उम्र में विवाह नहीं करनी चाहिए। कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्षा प्रीती कुमारी वर्मा, उपाध्यक्ष पिंटू साव, सदस्य पूजा कुमारी, राधा यादव, छाया देवी, शिक्षक रजनी कुमारी, ईरशाद आलम, संजीत भारती, मंटू कुमार, प्रदीप कुमार सहित कई बच्चे मौजूद थे।

Published / 2024-11-29 19:56:15
एक दिसम्बर को मनाया जायेगा विश्व एड्स दिवस

  • एड्स एक वैश्विक समस्या, इसे लेकर समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता : संजय सर्राफ

टीम एबीएन, रांची। झारखंड अभिभावक मंच के प्रांतीय प्रवक्ता सह इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के आजीवन सदस्य संजय सर्राफ ने कहा है कि हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनियाभर में एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके फैलाव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने का आह्वान करता है। 

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को एचआईवी और एड्स के बारे में जानकारी देना, समाज में फैली भ्रांतियों को समाप्त करना और एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति और समर्थन बढ़ाना है। एड्स एक ऐसा रोग है, जो शरीर की इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है।

एचआईवी वायरस के कारण यह रोग उत्पन्न होता है, जो शरीर में प्रवेश करने के बाद इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देता है। जब इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, तो शरीर कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है, जैसे कि टीबी, कैंसर आदि। यह रोग किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन विशेष रूप से उन व्यक्तियों में इसका खतरा अधिक होता है, जो असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं।

नशीली दवाओं का सेवन करते हैं और जिनके पास उपयुक्त चिकित्सा सुविधा नहीं होती। विश्व एड्स दिवस की शुरुआत 1988 में की गई थी और तभी से यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है। यह दिन सभी देशों के लिए एक अवसर है, ताकि वे एचआईवी और एड्स की रोकथाम के लिए बेहतर नीतियां बनाएं, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएं और समाज में जागरूकता फैलाएं। 

भारत में भी इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि एचआईवी के मामले यहां काफी अधिक हैं। इसलिए भारत में एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि स्वास्थ्य शिविर, सेमिनार, और प्रचार अभियान।

एचआईवी संक्रमण के प्रमुख कारणों में असुरक्षित यौन संबंध, रक्त का आदान-प्रदान, संक्रमित सुइयों का प्रयोग, और मां से बच्चे में संक्रमण का जोखिम शामिल है। इसलिए एड्स से बचाव के लिए सबसे प्रभावी उपाय सुरक्षित यौन संबंध बनाना, रक्त के सुरक्षित परीक्षण का पालन करना और संक्रमण से बचने के लिए उचित एहतियात बरतना है। 

इसके साथ ही एचआईवी और एड्स से संबंधित सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे जुड़ी हुई समाज में कई भ्रांतियां और अज्ञानता है। अक्सर लोग इस बीमारी को लेकर गलत धारणाओं का शिकार होते हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि एचआईवी केवल विशेष समूहों को ही प्रभावित करता है, जबकि यह गलत है। 

एड्स एक वैश्विक समस्या है, और इसे लेकर समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विश्व एड्स दिवस का मुख्य संदेश यही है कि एड्स को फैलने से रोका जा सकता है, अगर हम सभी मिलकर इसके प्रति जागरूकता बढ़ाएं और संक्रमित व्यक्तियों के साथ सहानुभूति दिखाएं। 

इसके साथ ही, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एचआईवी और एड्स के मरीजों को समाज में समान अधिकार मिले और उनका सामाजिक बहिष्कार न हो। आखिरकार, यह हमारा सामूहिक दायित्व है कि हम एचआईवी और एड्स के खिलाफ एकजुट होकर काम करें और इसे फैलने से रोकने में अपनी भूमिका निभाएं। तभी हम एक स्वस्थ और सुरक्षित समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

Published / 2024-11-28 20:37:57
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के समर्थन में झारखंड के हजारों लोगों ने ली शपथ

  • केंद्र सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के समर्थन में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) एलायंस के कार्यक्रमों में झारखंड में हजारों लोग हुए शामिल  
  • पूरे राज्य में निकाले गए पैदल मार्च में बड़ी तादाद में शामिल बाल विवाह पीड़ितों, पुलिस अफसरों, शिक्षकों, अभिभावकों व पंचायत प्रतिनिधियों ने ली बाल विवाह की रोकथाम की शपथ 
  • जेआरसी एलायंस पूरे देश में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है 
  • एलायंस में शामिल संगठनों ने देश में 2,50,000 से भी ज्यादा बाल विवाह रुकवाये हैं 

एबीएन सोशल डेस्क। केंद्र सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत के आह्वान पर झारखंड के बाजारों, स्कूलों, गांवों और कस्बों में हजारों लोग ढोल नगाड़ों के साथ सड़कों पर उतरे और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) एलायंस के जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल होकर इसका समर्थन किया। राज्य के 24 जिलों के 4450 गांवों में लोगों ने जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया और बाल विवाह के खिलाफ मशाल जुलूस निकाले एवं रैलियां की। 

एक सामाजिक उद्देश्य के लिए एकजुटता के अभूतपूर्व प्रदर्शन में, पुलिस स्टेशनों, अदालतों, पंचायत सदस्यों, धार्मिक नेताओं, स्कूली बच्चों, शिक्षकों, धर्मगुरुओं, हलवाइयों और बाल विवाह पीड़ितों ने इस बुराई को समाप्त करने और कहीं भी बाल विवाह की जानकारी मिलने पर संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देने की शपथ ली। 

बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए 250 से भी अधिक गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस बाल विवाह के खात्मे के लिए झारखंड के 24 जिलों में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ काम कर रहा है। जेआरसी एलायंस ने कानूनी हस्तक्षेपों और परिजनों को समझा बुझा कर देश में 2,50,000 से अधिक बाल विवाह रोके हैं।

इस दौरान पूरे राज्य में हुए कार्यक्रम प्रतिज्ञाओं से गूंज उठे, मैं बाल विवाह के खिलाफ हरसंभव प्रयास करने की शपथ लेता हूं। मैं यह सुनिश्चित करने की शपथ लेता हूं कि मेरे परिवार, पड़ोस या समुदाय में कोई बाल विवाह नहीं होगा। मैं बाल विवाह के किसी भी प्रयास की रिपोर्ट पंचायत और सरकारी अधिकारियों को करने की प्रतिज्ञा करता हूं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएचएफएस 2019-21) के आंकड़ों के अनुसार देश में 18 से 24 आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का बाल विवाह हो जाता है जबकि झारखंड में यह आंकड़ा 32.2 प्रतिशत है। बाल विवाह की पीड़ित बच्ची का पूरा जीवन दासता में गुजरता है और उसके लिए स्वतंत्रता के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं। साथ ही, बाल विवाह महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है।

इस राष्ट्रव्यापी अभियान की सराहना करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) एलायं, के संस्थापक भुवन ऋभु ने देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए शुरू किए गए इस अभियान को पूर्ण समर्थन देते हुए सरकार के प्रयासों में हरसंभव सहयोग का वादा किया। उन्होंने कहा, करोड़ों माताओं और बच्चियों की पीड़ा और विषम परिस्थितियों से जूझने की उनकी इच्छाशक्ति के साथ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस के हमारे 250 से भी ज्यादा संगठनों के सहकर्मियों के अनथक देशव्यापी प्रयासों से आज हम इस ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचे हैं। 

आज आगे बढ़ते हुए हम राज्य की सरकार से उम्मीद करते हैं कि सभी हितधारकों के साथ साझेदारियों का लाभ उठाते हुए बचाव, सुरक्षा और अभियोजन की एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देगी जो लोगों के व्यवहार में स्थायी बदलाव लाने में सहायक होगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने 27 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरूआत करते हुए देश के नागरिकों से बाल विवाह के खात्मे के प्रयासों में सहभागिता का आह्वान किया। 

इस दौरान उन्होंने देशभर की पंचायतों व स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलायी। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जायेगी। आगामी महीनों में इस अभियान को झारखंड के एक-एक जिले, ब्लॉक और गांव तक पहुंचाने के लिए जेआरसी के सदस्य सरकार के साथ निकटता से कार्य करेंगे। 

गठबंधन को विश्वास है कि यह अभियान जमीनी स्तर पर ग्राम पंचायतों के साथ मिलकर बाल विवाह के खिलाफ प्रयासों को और गति देगा तथा समाज के सभी हितधारकों के सहयोग से जनता को जागरूक कर इस अपराध के खात्मे में सहायक होगा।

Published / 2024-11-28 20:26:02
बचाकर रखनी है ऊनी कपड़ों की लाइफ, तो अपनायें ये टिप्स

ऊनी कपड़ों को धोते समय भूल से भी न करें ये गलतियां, खराब हो जायेंगे आपके ब्रांडेड स्वेटर

एबीएन सेंट्रल डेस्क। सर्दियां आ गयी हैं। इस मौसम में ठंडी हवाएं चलने लगती हैं और तापमान कम होने के कारण ठंडक महसूस होती है। ठंड से बचने के लिए लोग इस मौसम में गर्म कपड़े पहनते हैं। ऊनी कपड़ों में स्वेटर, मफलर, टोपी, ऊनी दस्ताने आदि कई तरह के कपड़े शामिल हैं। इन कपड़ों का रखरखाव थोड़ा सावधानी से करना होता है, क्योंकि ऊनी कपड़ों में रोएं आ सकते हैं। 

इसके अलावा गर्म कपड़ों की रंगत जल्दी चली जाती है। आपके नए और ब्रांडेड स्वेटर सही रखरखाव न मिल पाने के कारण पुराने लगने लगते हैं। इसका एक कारण ऊनी कपड़ों को गलत तरीके से धोना है। अक्सर लोग ये गलती करते हैं कि गर्मियों वाले कपड़ों की तरह ही ऊनी कपड़ों को भी धो देते हैं। इससे कपड़े खराब हो जाते हैं। सर्दियों वाले कपड़ों को धोते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए। 

यहां आपको वह गलतियां बतायी जा रही हैं जो ऊनी कपड़ों को धोते समय कभी नहीं करनी चाहिए। सर्दियों में गर्म पानी का उपयोग बढ़ जाता है। लोग नहाने से लेकर बर्तन और कपड़े धोने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि ऊनी कपड़ों को गर्म पानी से धोना सबसे बड़ी गलती होती है। ऊन काफी संवेदनशील होता है। इसे गर्म पानी से धोने से कपड़ा सिकुड़ जाता है और कपड़े का आकार छोटा हो सकता है। 

इसके अलावा गर्म पानी से स्वेटर या अन्य गर्म कपड़े धोने से कपड़े में दरार आ सकती है। इसलिए ऊनी कपड़ों को हमेशा ठंडे या गुनगुने पानी से धोना चाहिए। ऊनी कपड़ों और अन्य कपड़ों के फैब्रिक में काफी अंतर होता है। सूती या अन्य फैब्रिक के कपड़ों को आप किसी भी डिटर्जेंट व साबुन से धो सकते हैं लेकिन ऊनी कपड़े काफी संवेदनशील होते हैं। उन्हें धोने के लिए साधारण डिटर्जेंट नहीं, बल्कि माइल्ड, सॉफ्ट और लिक्विड डिटर्जेंट का उपयोग करें।

वॉशिंग मशीन की बजाय ऊनी कपड़ों को हाथ से धोयें। ऊनी कपड़ों को उल्टा करके धोना चाहिए। स्वेटर, जैकेट आदि को धोते समय और सुखाते समय सीधा नहीं बल्कि कपड़े को उल्टा कर लें। इससे कपड़ा डायरेक्ट डिटर्जेंट या धूप के संपर्क में नहीं आता और कपड़े की रंगत नहीं जाती। इसके साथ ही ऊनी कपड़ों को धोते समय जोर से रगड़े या सुखाने के लिए मरोड़े नहीं। ऊनी कपड़े को हल्के हाथों से धोना और हल्के से पानी को निचोड़ना चाहिए। 

सबसे पहले तो प्रयास करें कि ऊनी कपड़े वॉशिंग मशीन में न डालें। इसके साथ ही सर्दियों में कपड़े सुखाने के लिए ड्रायर का उपयोग सामान्य है लेकिन गर्म कपड़ों को ड्रायर से न सुखाएं। गर्म हवा ऊनी कपड़ों के लिए हानिकारक होती है। कपड़े को धूप में सुखायें लेकिन सीधी धूप न पड़ने दें, बल्कि हल्के कपड़े को स्वेटर के ऊपर कवर करें ताकि धूप सीधी न पड़े। अधिकतर लोग गंदे कपड़ों को साफ करने के लिए उसे कुछ देर पानी में भिगोकर रख देते हैं। ऊनी कपड़ों को बहुत देर तक पानी में भिगाकर नहीं रखना चाहिए। इससे कपड़े खराब होने लगते हैं।

Published / 2024-11-27 20:14:39
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान सदियों पुरानी कुप्रथा के अंत की शुरुआत : जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस

  • बाल विवाह के खात्मे के निर्णायक बिंदु तक पहुंचने के लिए 250 से भी अधिक गैरसरकारी के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस ने किया हरसंभव सहयोग का वादा
  • देश के 26 राज्यों के 416 जिलों के 50,000 गांवों में जमीनी स्तर पर काम कर रहे जेआरसी ने 2,50,000 से ज्यादा बाल विवाह रुकवाये
  • बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता के प्रसार और इसकी सूचना साझा करने के लिए जेआरसी सभी हितधारकों से तालमेल के साथ अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए करेगा काम

एबीएन सोशल डेस्क। बाल विवाह के खात्मे के लिए देश के 26 राज्यों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) एलायंस ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से शुरू किये गये बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को सही दिशा में उठाया गया एक बेहद दूरगामी कदम करार दिया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-2021) के आंकड़े बताते हैं कि देश में 20 से 24 साल की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष का होने से पूर्व ही हो गया था। 

ऐसे कोई दो राय नहीं कि सरकार के इस कदम से देश से बाल विवाह के खात्मे के प्रयासों को नयी गति और ऊर्जा मिलेगी। बताते चलें कि सरकार व स्थानीय प्रशासन के साथ करीबी समन्वय से देश के 416 जिलों में जमीनी स्तर पर काम कर रहे जेआरसी एलायंस ने प्रभावी कानूनी हस्तक्षेपों और परिजनों को समझाने बुझाने की रणनीति पर अमल करते हुए 2,50,000 से ज्यादा बाल विवाह रुकवाये हैं। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का उद्घाटन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने आज नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में किया। 

इस व्यापक अभियान का लक्ष्य बाल विवाह के खिलाफ समाज के हर तबके में जागरूकता पैदा करना है। यह अभियान बाल विवाह के खात्मे के लिए टिपिंग प्वाइंट यानी वह निर्णायक बिंदु जहां से समस्या अपने आप खत्म होने लगती है, तक पहुंचने के जेआरसी एलायंस के प्रयासों को नयी धार व ऊर्जा देगा। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इस बुराई के खात्मे में साझीदारी व भागीदारी पर जोर देते हुए खास तौर से नागरिक समाज की अहमियत को रेखांकित किया।

बाल विवाह के खिलाफ इस राष्ट्रव्यापी अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, बाल विवाह मुक्त भारत के सपने को पूरा करने के लिए काम कर रहे सभी लोगों के लिए आज एक नयी शुरुआत है। हम लंबी यात्रा तय कर इस मुकाम पर पहुंचे हैं और महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी की इस पहल से हमारे प्रयासों को व्यापक रूप से मजबूती मिलेगी। हम बाल विवाह मुक्त भारत बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाने के लिए सरकार के आभारी हैं क्योंकि हम जानते हैं कि यह देश से बाल विवाह की सदियों पुरानी कुप्रथा के अंत की शुरुआत है।

अभियान के लक्ष्यों के साथ एकरूपता में जेआरसी के सहयोगी संगठन बाल विवाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चला रहा है। गठबंधन का मानना है कि बाल विवाह मुक्त भारत अभियान पंचायतों, धार्मिक नेताओं, सामुदायिक कार्यकर्ताओं, सामुदायिक नेताओं के साथ जमीनी स्तर पर उनके प्रयासों को और मजबूती देगा। गठबंधन बाल विवाह की रोकथाम के लिए नीतियों, कानून प्रवर्तन, सतत जागरूकता और तकनीक का इस्तेमाल जारी रखेगा।

Published / 2024-11-26 20:17:45
फूड स्टाल पर लोगों को भा रहा झारखंड का व्यंजन

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के झारखंड पवेलियन में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा बढ़ा रही कौतूहल

एबीएन सेंट्रल डेस्क (नई दिल्ली)। भगवान बिरसा मुंडा (धरती आबा) देश के प्रथमस्त स्वतंत्रता सेनानियों में माने जाते हैं। झारखंड प्रदेश में भगवान माने जाने वाले इस महान पुरुष को भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक पुरुष और लोक नायक के रूप में मान्यता प्राप्त है। जिनका जन्म झारखंड के खूंटी जिले में 15 नवंबर 1875 को हुआ था। 

19 के दशक के शुरुआती सालों में ही अपनी युवा अवस्था (25) में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध जो आंदोलन बनाया, उसको जनजातीय प्रजातियों में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को धार्मिक क्रिया की तरह सोचने को तैयार किया और अपने अधिकारों को मांगने के लिए ब्रिटिश सरकार से लड़े। भगवान बिरसा मुंडा झारखंड प्रदेश में किसी भी काम के पहले याद किये जाते हैं। 

जिस कड़ी में 43वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय मेले के झारखंड पवेलियन में उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की गयी है। मेले में आने वाले लोग इस प्रतिमा को देख उत्सुकता से इनके विषय और कार्य की चर्चा कर रहे हैं। उनके जीवन पर कई साहित्य लिखे हैं और फिल्में भी बनायी जा चुकी हैं। 

इसके अलावा झारखंड पवेलियन से निकले के बाद लोग मेले में लगे फूड स्टाल में झारखंड के स्टाल में झारखंड के व्यंजन का भी लुत्फ उठा रहे हैं। लोगों को लिट्टी चोखा, मालपुआ, घुसका सब्जी, चिल्ला रोटी सब्जी, अनरसा, कुल्हड़ चाय काफी पसंद आ रहे हैं। स्टाल के संचालक राजेश ने बताया कि लोगों की भारी भीड़ झारखंड के व्यंजन को पसंद कर रहे हैं।

Published / 2024-11-20 21:52:14
राणी सती दादी जी की मंगसीर बदी नवमी 24 नवंबर को

मंगसीर नवमी दादी जी के त्याग और शक्ति का स्मरण करने का दिन

दादी जी को साहस, निष्ठा और आशीर्वाद की देवी माना जाता है : संजय सर्राफ

टीम एबीएन, रांची। राणी सती दादी जी का मंगसीर बदी नवमी 24 नवंबर को मनाया जायेगा। रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि दादी जी की सभी मंदिरों में मंगसीर नवमी का महोत्सव बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। राणी सती दादी जी जिन्हें नारायणी देवी के नाम से भी जाना जाता है, संस्कृति और धर्म में साहस, त्याग और निष्ठा का प्रतीक मानी जाती हैं। 

उनकी कथा प्रेरणादायक और मार्मिक है, जो उनकी अमर गाथा को सजीव करती है। मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके बलिदान और उनकी दिव्य शक्ति को स्मरण करने के लिए विशेष महत्व रखता है।यह कथा महाभारत काल से जुड़ी है।मंगसीर मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को श्री राणी सती दादी जी की जयंती मनायी जाती है, जिसे मंगसीर बदी नवमी के रूप में जाना जाता है। यह दिन श्री राणी सती दादी जी की मार्मिक कथा को याद करने का अवसर है, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। 

उन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद सती होने का फैसला लिया। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी भक्ति और समर्पण को देखकर उन्हें बचा लिया और उन्हें अपने चरणों में स्थान दिया। श्री राणी सती दादी जी की कथा हमें धर्म, संस्कृति और पति के प्रति समर्पण की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करती है। कि जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के लिए अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए। 

मंगसीर बदी नवमी का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन की पूजा और आराधना से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है। नारायणी देवी के सती होने के बाद उन्हें राणी सती दादी जी के रूप में पूजा जाने लगा। राणी सती दादी मारवाड़ी समाज की कुलदेवी भी है मंगसीर बदी नवमी के दिन झुंझुनू स्थित राणी सती मंदिर सहित पूरे देश के दादी के मंदिरों में विशाल महोत्सव का आयोजन होता है।

जिसमें राजस्थानी महिलाएं, पुरुष द्वारा मंदिरों में राणी सती दादी जी की पूरे विधि विधान से विशेष पूजा की जाती है। मंदिरों मे दादी जी की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार एवं भव्य झांकी सजाई जाती है। दिनभर भजन कीर्तन मंगल पाठ और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। राणी सती दादी जी को साहस, निष्ठा और आशीर्वाद की देवी माना जाता है। 

उनके भक्त जीवन के कठिन समय में उनका आह्वान करते हैं। ऐसा विश्वास है कि उनकी पूजा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। राणी  मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके त्याग और शक्ति को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन सभी भक्तों के लिए दादी जी से आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है।

Published / 2024-11-19 18:06:45
राणी सती दादी जी की मंगसीर बदी नवमी 24 नवंबर को

मंगसीर नवमी दादी जी के त्याग और शक्ति का स्मरण करने का दिन

दादी जी को साहस, निष्ठा और आशीर्वाद की देवी माना जाता है : संजय सर्राफ

टीम एबीएन, रांची। रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि राणी सती दादी जी का मंगसीर बदी नवमी 24 नवंबर को मनाया जायेगा। दादी जी की सभी मंदिरों में मंगसीर नवमी का महोत्सव चार दिनों तक बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। राणी सती दादी जी जिन्हें नारायणी देवी के नाम से भी जाना जाता है, संस्कृति और धर्म में साहस, त्याग और निष्ठा का प्रतीक मानी जाती हैं। 

उनकी कथा प्रेरणादायक और मार्मिक है, जो उनकी अमर गाथा को सजीव करती है। मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके बलिदान और उनकी दिव्य शक्ति को स्मरण करने के लिए विशेष महत्व रखता है।यह कथा महाभारत काल से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि नारायणी देवी का पूर्वजन्म वीर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के रूप में हुआ था। महाभारत के युद्ध में जब अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए, तब उत्तरा ने उनके साथ सती होने की इच्छा व्यक्त की। 

भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सती होने से रोका और कहा कि भविष्य में उन्हें यह पुण्य कर्म करने का अवसर मिलेगा। उत्तरा ने पुनर्जन्म लिया और नारायणी के रूप में जन्म लिया। उनका विवाह झुंझुनू (राजस्थान) के निवासी ठाकुर तांवर जी से हुआ। नारायणी देवी और तांवर जी का दांपत्य जीवन प्रेम और निष्ठा से परिपूर्ण था। एक बार ठाकुर तांवर जी का लड़ाई उस समय के अन्य शक्तिशाली शासक के साथ हुआ। 

उस लड़ाई में तांवर जी वीरगति को प्राप्त हो गये। जब नारायणी देवी को यह समाचार मिला, तो उन्होंने अपने पति के साथ सती होने का निश्चय किया। उनकी सती होने की इच्छा कोई सामान्य घटना नहीं थी। यह प्रेम, निष्ठा और धर्म के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक था। जब नारायणी सती होने जा रही थीं, तो उन्होंने भगवान से यह वरदान मांगा कि भविष्य में वे सभी श्रद्धालु भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करेंगी। 

उन्होंने अपने पति के पार्थिव शरीर के साथ चिता में प्रवेश किया और सती हो गयीं। नारायणी देवी के सती होने के बाद उन्हें राणी सती दादी जी के रूप में पूजा जाने लगा। मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके बलिदान और त्याग को समर्पित है। इस दिन झुंझुनू स्थित राणी सती मंदिर सहित पूरे देश के दादी के मंदिरों में विशाल महोत्सव का आयोजन होता है। जिसमें राजस्थानी महिलाएं, पुरुष द्वारा मंदिरों में राणी सती दादी जी की विशेष पूजा की जाती है। 

मंदिरों में झांकियां और श्रृंगार दादी जी की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार कर भव्य झांकी सजायी जाती है। दिनभर  भजन-कीर्तन, मंगल पाठ और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। राणी सती दादी जी को साहस, निष्ठा और आशीर्वाद की देवी माना जाता है। उनके भक्त जीवन के कठिन समय में उनका आह्वान करते हैं।

ऐसा विश्वास है कि उनकी पूजा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। राणी सती दादी जी की कथा हमें यह सिखाती है कि प्रेम और निष्ठा जीवन के मूलभूत मूल्य हैं। मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके त्याग और शक्ति को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन सभी भक्तों के लिए दादी जी से आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है।

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