एबीएन नॉलेज डेस्क। चैटजीपीटी निर्माता ओपनएआई ने सर्चजीपीटी लांच किया है, जो एक एआई संचालित सर्च इंजन है, यह वेब पर रियल टाइम पर सूचना तक एक्सेस प्रदान करता है। सैम ऑल्टमैन द्वारा संचालित कंपनी ने कहा कि वह सर्चजीपीटी का टेस्टिंग कर रही है, जो नए एआई सर्च फीचर्स का एक टेंपरेरी प्रोटोटाइप है, यह आपको तेज और समय पर जवाब देता है। ओपनएआई ने कहा कि वह सबसे पहले फीडबैक प्राप्त करने के लिए यूजर्स और पब्लिशर्स के एक छोटे ग्रुप के साथ सर्च इंजन लॉन्च कर रहा है।
कंपनी ने कहा- हालांकि यह प्रोटोटाइप टेंपरेरी है, लेकिन हम भविष्य में इनमें से बेस्ट फीचर्स को सीधे चैटजीपीटी में एकीकृत करने की योजना बना रहे हैं। यूजर्स को सर्च में पब्लिशर्स को लिंक कर उनसे जुड़ने में मदद करने के लिए सर्चजीपीटी को डिजाइन किया गया है। आप फॉलो-अप सवाल पूछ सकेंगे, जैसे आप किसी व्यक्ति से बातचीत में करते हैं।
ओपनएआई ने कहा कि रिस्पांस में क्लीयर, इन-लाइन, नेम और लिंक होते हैं, ताकि यूजर्स को पता चले कि जानकारी कहां से आ रही है और वे सोर्स लिंक वाले साइडबार में और भी ज्यादा रिजल्ट्स के साथ जल्दी से जुड़ सकते हैं। कंपनी ने कहा कि वह लोकल जानकारी और कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में सुधार करती रहेगी।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। एलियंस से बात करने का खुल गया राज! 22 करोड़ किलोमीटर दूर स्पेस से NASA के पास आया मैसेज
आपको ऋितिक रोशन की कोई मिल गया फिल्म जरूर याद होगी। इस मूवी में सुपरपावर्स से लैस जादू एलियन ऋितिक की बहुत मदद करता है।
यह तो एक मूवी है, लेकिन अगर सच में एलियंस मौजूद हों तो हम उनसे कैसे बात कर पाएंगे? एलियंस हैं या नहीं है, इसकी चर्चा पूरी दुनिया में चर्चा चलती रहती है, लेकिन यह सच है कि एलियंस की मौजूदगी अब तक साबित नहीं हुई है। हम केवल फिल्मों आदि में ही एलियंस देखते हैं या फिर कभी-कभी अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (UFO) के पृथ्वी पर आने की अफवाह सुनते हैं जिन्हें एलियंस का स्पेसक्रॉफ्ट कहा जाता है।
बहरहाल, एलियंस का होना या ना होना एक अलग बहस है, लेकिन अगर एलियंस मौजूद हैं तो उनसे बात करने की संभावना बढ़ गई है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. हाल ही में नासा को पृथ्वी पर स्पेस में 22.5 किलोमीटर दूर से मैसेज रिसीव करने में सफलता मिली है।
इंटरप्लेनेटरी कम्युनिकेशन की दिशा में नासा ने बड़ी छलांग लगाई है। इसके Psyche नामक स्पेसक्रॉफ्ट ने 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर स्पेस से एक लेजर मैसेज को सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापस भेजा है। यह सफलता ना केवल फास्ट स्पेस कम्युनिकेशन की क्षमता को दिखाती है, बल्कि इतने बड़े स्पेस में डेटा सेंड करने और रिसीव करने के तरीके के लिए नया दरवाजा भी खोलती है।
नासा ने Psyche मिशन को अक्टूबर 2023 में लॉन्च किया था। यह एक रोबोटिक स्पेसक्रॉफ्ट है जो Psyche 16 नामक मेटल-रिच एस्टेरॉयड का पता लगाने के मिशन पर है, जो मंगल और बृहस्पति के बीच एस्टेरॉयड बेल्ट में रहता है। स्पेसक्रॉफ्ट एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस है, जिसमें डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (DSOC) सिस्टम शामिल है, जिसे स्पेस में लेजर कम्युनिकेशन के साथ एक्सपेरिमेंट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी में प्रोजेक्ट की ऑपरेशन प्रमुख मीरा श्रीनिवासन ने कहा कि हमने 8 अप्रैल को एक पास के दौरान लगभग 10 मिनट के डुप्लिकेट स्पेसक्रॉफ्ट डेटा को डाउनलिंक किया। तब तक हम Psyche से अपने डाउनलिंक में टेस्ट और डॉयग्नोस्टिक डेटा भेज रहे थे। यह प्रोजेक्ट के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ कि कैसे ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी स्पेसक्रॉफ्ट के रेडियो फ्रीक्वेंसी कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ इंटरफेस कर सकती है।
इस डेमो में लेजर कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी को आज गहरे स्पेस मिशन से इस्तेमाल की जाने वाली मॉडर्न रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम की तुलना में 10 से 100 गुना तेज स्पीड से स्पेस से डेटा ट्रांसमिट करने के लिए डिजाइन किया गया है। 13 अक्टूबर, 2023 को लॉन्च होने के बाद से स्पेसक्रॉफ्ट स्वस्थ और स्थिर बना हुआ है, यह अभी भी अच्छी तरह से काम कर रहा है। इसकी मंजिल Psyche एस्टेरॉयड है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। उत्तर पश्चिमी चीन में जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से अंतरिक्ष यान शेनझोउ-18 चालक दल के साथ बीजिंग समय के अनुसार गुरुवार को रात 8:59 बजे प्रक्षेपित किय जायेगा। चीन मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी (सीएमएसए) ने बुधवार को इसकी घोषणा की। सीएमएसए के उप निदेशक लिन ज़िकियांग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अंतरिक्ष यान शेनझोउ-18 अंतरिक्ष उड़ान मिशन को पूरा करने के लिए तीन अंतरिक्ष यात्रियों - ये गुआंगफू, ली कांग और ली गुआंगसु - को ले जायेगा और श्री ये इसके कमांडर होंगे। शेनझोउ-18 चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम का 32वां उड़ान मिशन है और चीन के अंतरिक्ष स्टेशन के अनुप्रयोग और विकास चरण के दौरान तीसरा मानवयुक्त मिशन है। चालक दल लगभग छह महीने तक कक्षा में रहेगा और उनका इस साल अक्टूबर के अंत में उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में डोंगफेंग लैंडिंग साइट पर लौटने का कार्यक्रम है। लिन ने कहा प्रक्षेपण में लॉन्ग मार्च-2एफ वाहक रॉकेट का उपयोग किया जायेगा, जो जल्द ही प्रणोदक से भर जायेगा। लिन ने कहा, शेनझोउ-18 चालक दल को कक्षा में काम सौंपने के बाद शेनझोउ-17 चालक दल 30 अप्रैल को डोंगफेंग लैंडिंग साइट पर लौटने वाला है।
अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)
एबीएन एडिटोरियल डेस्क। पिछले कई दिनों से समाचार चैनलों, सोशल मीडिया और सुबह टेबल पर रखें अखबारों में राजनीति की एक खबर कॉमन देखने को मिली, वो थी कांग्रेस के फलां दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल हुए।
फिर वो बॉक्सिंग का माहिर खिलाड़ी हो या संख्याओं में शून्य खोजने का महारथी प्रवक्ता, नाथ के हनुमान से लेकर नामी व्यवसाइयों तक, पिछले कुछ महीनों में 80 हजार से अधिक विपक्षी नेता अपनी-अपनी पार्टी का दामन झटककर, भारतीय जनता पार्टी की झोली में आ गिरे हैं। और इस गिरावट का सबसे अधिक शिकार कांग्रेस ही हुई है। अब लगातार दिखती एक जैसी खबर ने दिमाग में घर कर लिया था, और इस घर में एक सपने का जन्म हुआ था।
चूंकि सपने अक्सर दिनभर की गतिविधियों से जुड़े ही होते हैं, और आपकी भावनाओं को हकीकत में बदलने का संसाधन बनते हैं, लिहाजा ये ख्वाब था कांग्रेस अध्यक्ष बनने का, डूबती कांग्रेस का खेवनहार बनने का, हाथ छुड़ाकर दूर जाते साथियों को वापस लाने का, आजादी की लड़ाई में शामिल रही पार्टी को खोया सम्मान पुन: दिलाने का...
इस सपने में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सपने को साकार करने का काम कांग्रेस आलाकमान ने किया और हांसिये पर खिसकती जा रही देश में लोकतंत्र की नींव रखने वाली पार्टी की कमान मेरे हाथों में सौंप दी। इस जिम्मेदारी के साथ मेरे मन में भी कई प्रश्न आये। प्रश्न एक आजाद मुल्क को अपने पैरों पर खड़ा होने की शक्ति देने वाली पार्टी आखिर क्यों बैसाखी के सहारे चलने पर मजबूर है।
क्यों देश के आर्थिक विकास को बल देने, आईआईटी, एनआईटी जैसे शिक्षण संस्थान देने, एम्स जैसे सामुदायिक चिकित्सा केंद्र बनाने वाली पार्टी से जनता का भरोसा उठ गया है? क्यों कांग्रेस मुक्त भारत का खौफ पार्टी की कार्यप्रणाली के रगों में दौड़ने लगा है? अमूमन मेरी रातें अन्य लोगों के मुकाबले छोटी होती हैं लेकिन इन प्रश्नों के साथ ज्यों-ज्यों रात गहरा रही थी, यह सपना भी अपने चरम पर पहुंच रहा था।
ऐसे तो कोई सपना सटीक याद नहीं रहता, और ना ही क्रमबद्ध तरीके से होता है, लिहाजा मस्तिष्क में जो रहा वो यही था कि जिम्मेदारी के अनुरूप अध्यक्ष के तौर पर मैं ना केवल पार्टी के युवा और अनुभवी कांग्रेस कार्यकर्ताओं, नेताओं को पार्टी के मूल सिद्धांत से जोड़ने में कामयाब रहा बल्कि नये सदस्यों को शामिल करने में भी सफल रहा।
एक मजबूत नेतृत्व की आस में बैठे कांग्रेसियों को अब एक उम्मीद दिखने लगी है। उम्मीद पर खड़ा उतरते हुए मैं सरकार की कमजोर नीतियों को जनता जनार्दन तक मजबूती से पहुंचा पा रहा हूं और इस मुहिम में देश का बड़ा वर्ग मेरे नेतृत्व में कांग्रेस के साथ आ रहा है। सुस्त और दिशाविहीन बतायी जा रही कांग्रेस में नई जान आ गयी है और एक निश्चित दिशा में पार्टी तेजी से आगे बढ़ रही है।
मुझे याद आता है कि अब सिर्फ सोशल मीडिया पर नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी पार्टी के प्रति सकारात्मक माहौल बन रहा है। लोग कांग्रेसी नेताओं को सुनना-समझना पसंद कर रहे हैं। सरकारी जिम्मेदारों से न केवल कांग्रेसी बल्कि आम जनता भी जायज प्रश्न पूछ रही है।
धर्म के नाम पर मुख्य मुद्दे से भटक चुका युवा वर्ग, देश के विभिन्न कोनों में अपने हक की मांग उठा रहा है और महंगाई की मार झेल रहा माध्यम वर्ग ऊंचे स्वर में कांग्रेस शासन की डिमांड कर रहा है। मैं महसूस कर रहा हूं कि कांग्रेस की भीतरी गुटबाजी लगभग शून्य हो चली है और एकजुटता का एक नया सन्देश पार्टी में जोरों से गूंज रहा है। हर कार्यकर्ता आत्मविश्वास के तेज से दमक रहा है।
पार्टी में इसे उस दौर की शुरुआत समझा जा रहा है, जहां एक परिवार द्वारा राज करने का इल्जाम, चाह कर भी मुंह नहीं फाड़ रहा है। देश की जनता कांग्रेस से 70 सालों का जवाब पूछने वालों को कटघरे में खड़ा कर रही है। इस सिलसिले के जारी रहते हुए आगामी आम चुनाव में कांग्रेस 300 से अधिक सीटें हासिल करने में कामयाब हो गई है और इस कामयाबी के साथ ही अचानक... मेरी आंख खुल गयी है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। सोशल मीडिया यूजर्स को अचानक उस समय झटका लग गया जब देश और दुनिया में व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम डाउन हो गया। जिसकी वजह से यूजर्स को मैसेज भेजने और प्राप्त करने में परेशानी उठानी पड़ी। खबरों की मानें तो करीब आधे घंटे वॉट्सएप सेवाएं बाधित रही। सर्वर डाउन होने की वजह से दुनिया भर के करोड़ों यूजर्स को मैसेज भेजने में परेशानी का सामना करना पड़ा।
बताते चलें कि पिछले ही महीने फेसबुक, इंस्टाग्राम डाउन हो गया था। ऐप डाउन होने के तुरंत बाद एक्स पर #व्हाट्सएप्प डाउन और #इंस्टाग्राम डाउन ट्रेंड करने लगे। व्हाट्सऐप बुधवार को रात करीब 11:45 बजे बड़े पैमाने पर बंद हो गया। इससे दुनिया भर में यूजर्स प्रभावित हुए।
ऐप या उसके वेब वर्जन को खोलने की कोशिश करने वालों को एक एरर मैसेज मिला जिसमें कहा गया था कि सेवा अनुपलब्ध है।
एक्स सहित विभिन्न सोशल मीडिया पर, उपयोगकर्ताओं ने मैसेजिंग एप्लिकेशन पर साथ आने वाली समस्याओं के बारे में पोस्ट किया। वेबसाइट मॉनिटरिंग सेवा डाउनडिटेक्टर ने इस दौरान व्हाट्सऐप कनेक्टिविटी को लेकर समस्याओं में वृद्धि दर्ज की।
बीते महीने यानी 5 फरवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम सर्वर अचानक से डाउन हो गया था। ज्यादातर लोग इंस्टाग्राम और फेसबुक नहीं चला पा रहे थे। कुछ यूजर्स फेसबुक से अचानक साइन आउट हो गये थे। इस आउटेज का असर इंस्टाग्राम के साथ-साथ मैसेंजर पर भी पड़ रहा था।
टीम एबीएन । संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी नई रिपोर्ट ‘फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर साल करीब 7.8 करोड़ टन से ज्यादा भोजन कचरे में फैंक दिया जा रहा है। प्रति व्यक्ति के हिसाब से देखें तो देश में सालाना औसतन 55 किलोग्राम भोजन बर्बाद किया जाता है। यह आंकड़े घरों में हो रहे फूड वेस्ट से जुड़े हैं। इससे पहले 2021 में जारी फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति बर्बाद किए जा रहे भोजन का यह आंकड़ा सालाना 50 किलोग्राम दर्ज किया गया था। वहीं यदि भारत में उस साल घरों के कुल फूड वेस्ट 6.88 करोड़ टन दर्ज किया गया।
दुनिया भर में 105 टन भोजन की बर्बादी
संयुक्त राष्ट्र फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024 में जारी यदि वैश्विक आंकड़ों को देखें तो सालाना कुल खाद्य उत्पादन का 19 फीसदी बर्बाद हो रहा है, जो करीब 105.2 करोड़ टन के बराबर है। दूसरी ओर दुनिया में 78.3 करोड़ लोग खाली पेट सोने को मजबूर हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का हर व्यक्ति सालाना करीब 79 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर रहा है, जो दुनिया में प्रतिदिन 100 करोड़ थालियों जितने आहार के बर्बाद होने के बराबर है। रिपोर्ट में हैरान कर देने वाली बात यह सामने आई है कि एक तरफ तो जहां कई अफ्रीका देश भुखमरी का सामना कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नाइजीरिया जैसे देश भी हैं जहां हर व्यक्ति साल में करीब 113 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है। इसी तरह मिस्र में हर व्यक्ति औसतन 163 किलोग्राम भोजन बर्बाद हो रहा है। वहीं तंजानिया में यह आंकड़ा 152 और रवांडा में 141 दर्ज किया गया है।
एबीएन नॉलेज डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने वायु सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर की मदद से शुक्रवार को रीयूजेबल लॉच व्हीकल पुष्पक की सफल लैंडिंग करायी।
पुष्पक की सफल लैंडिंग के बाद वायु सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि उसने इस अभियान के लिए चिनूक हेलिकॉप्टर की मदद ली। वायु सेना ने इस अभियान का वीडियो जारी करते हुए कहा कि पुष्पक को वायु सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर में साढे चार किलोमीटर की निर्धारित ऊंचाई और निश्चित स्थान पर ले जाकर छोड़ा गया।
इसके बाद इसरो ने इस यान की सफल लैंडिंग करायी। वायु सेना ने इस उपलब्धि के लिए इसरो को बधाई दी है। वायु सेना ने कहा है कि उसके सैनिक भविष्य में भी इस तरह के अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान देते रहेंगे।
एबीएन नॉलेज डेस्क। रिसर्च रिपोर्ट कहती है, गैस से चलने वाली कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल के ब्रेक और टायर 1850 गुना ज्यादा प्रदषण फैलाते हैं। स्टडी इसलिए चौंकाती है क्योंकि अब तक माना जाता रहा है कि पेट्रोल और डीजल के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीहल प्रदूषण के मामले में ज्यादा सुरक्षित हैं।
आमतौर पर माना जाता है कि इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं क्योंकि इनसे प्रदूषण कम फैलता है, लेकिन इस पर हुई रिसर्च रिपोर्ट चौंकाती है। एमिशन डाटा का एनालिसिस करने वाली फर्म एमिशन एनालिटिक्स ने एक स्टडी करायी। स्टडी में यह पता करने की कोशिश की गयी कि गैस और दूसरे ईधन के मुकाबले ईवी यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल पर्यावरण के लिए कितने सुरक्षित है।
रिसर्च के नतीजों में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। रिसर्च रिपोर्ट कहती है, गैस से चलने वाली कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल के ब्रेक और टायर 1850 गुना ज्यादा प्रदषण फैलाते हैं। स्टडी इसलिए चौंकाती है क्योंकि अब तक माना जाता रहा है कि पेट्रोल और डीजल के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीहल प्रदूषण के मामले में ज्यादा सुरक्षित हैं। ये ग्रीन हाउस गैसों का कम उत्सर्जन करते हैं। लेकिन नई रिसर्च ने इस पर खुलासे किये हैं। इसके साथ ही इनकी वजह भी बताई है।
एमिशन एनालिटिक्स की रिपोर्ट कहती है, इलेक्ट्रिक वाहनों का वजन ज्यादा होता है। वजन ज्यादा होने के कारण इसके टायर जल्दी घिसते हैं। यानी तेजी से इनकी उम्र घटती है। ये हवा में नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल रिलीज करते हैं। ज्यादातर टायर क्रूड आॅयल से निकले सिंथेटिक रबर से तैयार किए जाते हैं। ये प्रदूषण की वजह बनते हैं।
पेट्रोल इंजन के मुकाबले एश् की बैटरी ज्यादा भारी होती है। यह अतिरिक्त वजन ही ब्रेक और टायर पर पड़ता हैऔर इनकी उम्र तेजी से कम होती है। रिसर्च रिपोर्ट में टेस्ला के मॉडल और फोर्ड एफ-150 लाइटनिंग का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि दोनों ही गाड़ियों में करीब 1800 पाउंड की बैटरी लगी है। पेट्रोल कार के मुकाबले इन इलेक्ट्रिक वाहनों में लगी आधे टन की इस बैटरी से 400 गुना अधिक उत्सर्जन होता है। इस तरह सुरक्षित माने जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहन भी प्रदूषण से मुक्त नहीं हैं।
रिसर्च रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी पर चिंता जतायी गयी है। कहा गया है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के बैटरी को डिकम्पोज करना भी जरूरी है। अगर बैटरी को ठीक से खत्म नहीं किया जाता है तो पर्यावरण के लिए खतरा बढ़ता है। इसलिए ईवी की बैटरी भी अहम पहलू है।
इससे पहले हुई रिसर्च में बैटरी को डिकम्पोज करने के लिए बरती जाने वाली लापरवाही को पर्यावरण के लिए खतरा बताया जा चुका है। इस तरह कहा जा सकता है कि पर्यावरण के लिए अब तक सुरक्षित माने जाने वाले ईवी उतने भी सुरक्षित नहीं हैं, इनको लेकर जितना दावा किया जाता है। यही वजह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर हुई यह स्टडी चौंकाती है और पर्यावरण को सुरक्षित बनाने की दिशान में अलर्ट भी करती है।
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