एबीएन डेस्क। आपके नाम से कितने सिम कार्ड्स एक्टिव हैं, ये जानना बहुत ही जरूरी है। यदि आपकी ID पर कोई ऐसा सिम एक्टिवेट है जिसका इस्तेमाल आप नहीं कर रहे, तब उसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ सकता है। जैसे आपकी ID से रजिस्टर्ड सिम से गलत या गैर कानूनी गतिविधियां चल रही हैं तो आप मुसीबत में पड़ जाएंगे। इसलिए आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आपकी ID पर कितने सिम रजिस्टर्ड हैं। तो चलिए, हम बताते हैं कि आप कैसे पता कर पाएंगे कि आपकी आईडी पर कितने नंबर रजिस्टर्ड हैं। अब दूरसंचार विभाग ने ज्यादा सिम रखने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यदि कोई ग्राहक तय नंबर से ज्यादा सिम रखता है तब उसे सभी सिम की KYC करनी होगी। इसे लेकर 7 दिसंबर को नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। KYC के लिए ग्राहकों को 60 दिन का वक्त दिया जाएगा। इंटरनेशनल रोमिंग, बीमार और विकलांग ग्राहकों को 30 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। दूरसंचार विभाग ने टेलिकॉम एनालिटिक्स फॉर फ्रॉड मैनेजमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन (TAFCOP) तैयार किया है। इसके लिए एक पोर्टल tafcop.dgtelecom.gov.in भी लॉन्च किया गया है। इस पोर्टल में देशभर के सभी मोबाइल नंबर का डेटाबेस अपलोड है। पोर्टल के जरिए स्पैम और फ्रॉड पर लगाम लगाने की कोशिश की गई है।इसकी मदद से आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपकी ID पर कितने सिम चालू हैं। यदि कोई आपकी ID पर सिम चला रहा है तब उसकी शिकायत भी कर सकते हैं। इस प्रोसेस में महज 30 सेकेंड का वक्त लगता है। स्टेप बाय स्टेप इस प्रोसेस को फॉलो कर आप जानकारी हासिल कर सकते हैं। सबसे पहले tafcop.dgtelecom.gov.in पोर्टल पर जाएं। यहां बॉक्स में अपना मोबाइल नंबर डालें और OTP की मदद से लॉगइन करें।अब उन सभी नंबर्स की डिटेल आ जाएगी जो आपकी ID से चल रहे हैं। लिस्ट में कोई ऐसा नंबर है जिसे आप नहीं जानते, तब उसकी रिपोर्ट कर सकते हैं। इसके लिए नंबर और This is not my number को सिलेक्ट करें। अब ऊपर की तरफ दिए बॉक्स में ID में लिखा नाम डालें। अब नीचे की तरफ Report के बॉक्स पर क्लिक कर दें। शिकायत करने के बाद आपको एक टिकट ID रिफरेंस नंबर भी दिया जाता है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत ने मंगलवार को ओडिशा के तट पर चांदीपुर में जमीन से हवा में मार करने वाली वर्टिकली शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। श्छ-रफरअट को भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारियों के अनुसार यह मिसाइल लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित दुश्मन के टारगेट को तबाह कर सकती है।डीआरडीओ के अनुसार मिसाइल को बहुत कम ऊंचाई पर स्थित इलेक्ट्रॉनिक लक्ष्य को ध्वस्त करने के लिए वर्टिकल लॉन्चर से दागा गया था। वीएल-एसआरएसएएम मिसाइल की लॉन्चिंग का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की तैनाती करना है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की तीन सुविधाओं द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। मिसाइल में समुद्री-स्किमिंग लक्ष्यों सहित निकट सीमा पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करने की क्षमता है। समुद्री स्किमिंग की रणनीति का उपयोग विभिन्न जहाज-रोधी मिसाइलों और कुछ लड़ाकू विमानों द्वारा किया जाता है ताकि युद्धपोतों पर रडार द्वारा पता लगाने से बचा जा सके। यह मिसाइल समुद्र की सतह के बेहद करीब से उड़ान भरती हैं और इस तरह इनका पता लगाना और बेअसर करना मुश्किल होता है। इस मिसाइल को 40 से 50 किमी की दूरी पर और लगभग 15 किमी की ऊंचाई पर उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। डीआरडीओ के अधिकारियों ने कहा है कि इसका डिजाइन एस्ट्रा मिसाइल पर आधारित है जो कि एक विजुअल रेंज से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। वीएल-एसआरएसएएम मिसाइल की दो प्रमुख विशेषताएं हैं क्रूसिफॉर्म विंग्स और थ्रस्ट वेक्टरिंग। क्रूसिफॉर्म में पंख चार छोटे पंख होते हैं जो चारों तरफ एक क्रॉस की तरह व्यवस्थित होते हैं और प्रक्षेप्य को एक स्थिर मुद्रा देते हैं। वहीं थ्रस्ट वेक्टरिंग अपने इंजन से कोणीय वेग और मिसाइल को नियंत्रित करने वाले थ्रस्ट की दिशा बदलने में मदद करता है। अपने करियर के दौरान कई युद्धपोतों पर काम कर चुके नौसेना के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि नौसेना को अपने युद्धपोत को जहाज-रोधी मिसाइलों और विरोधी विमानों से बचाने के लिए विभिन्न रक्षा तंत्रों को नियोजित करना पड़ता है। सदियों पुरानी विधियों में से एक है चैफ्स - जो दुनिया भर में दुश्मन के रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) मिसाइल से नौसेना के जहाजों की रक्षा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक काउंटरमेजर तकनीक है। दूसरा तरीका एंटी शिप मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए मिसाइलों को तैनात करना है। इन प्रणालियों में एक त्वरित पहचान तंत्र, त्वरित प्रतिक्रिया, उच्च गति और उच्च गतिशीलता होनी चाहिए। श्छ-रफरअट मिसाइल इन सभी गुणों का दावा करता है। हालांकि, भारतीय नौसेना के जहाजों पर तैनाती के लिए तैयार होने के लिए इसे विभिन्न परिस्थितियों और विन्यासों में परीक्षणों से गुजरना होगा।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारतीय मूल के फिजीशियन और अमेरिकी वायु सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल मेनन को नासा ने अपने भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए चुना है। नासा ने इन अभियानों के लिए कुल 10 लोगों को चयनित किया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को यह एलान किया। 45 वर्षीय मेनन का जन्म मिनेसोटा के मिनियापोलिस में हुआ था। उनके माता-पिता भारतीय और यूक्रेनियन थे। वह एक आपातकालीन चिकित्सा विशेषज्ञ भी हैं। उन्हें जंगल और एयरोस्पेस चिकित्सा में फेलोशिप प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वायु सेना में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वह एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के पहले फ्लाइट सर्जन थे, उन्होंने इसकी पहली मानव उड़ान के लिए मेडिकल प्रोग्राम और अन्य तैयारियों में सहायता की थी और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की मदद के लिए एक चिकित्सा संगठन बनाया। नासा ने एक बयान में कहा कि इसने 10 नए एंस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री) उम्मीदवारों का चयन किया है। इसके लिए नासा के पास 12 हजार से अधिक आवेदन आए थे। नासा के प्रशासक बिल नेलसन ने सोमवार को एक कार्यक्रम में 2021 एस्ट्रोनॉट क्लास के सदस्यों का परिचय कराया। यह कार्यक्रम नासा के ह्यूस्टन में स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर के पास एलिंगटन फील्ड में हुआ था। इस दौरान बिल नेलसन ने कहा, आज हम 10 नए खोजकतार्ओं का, आर्टेमिस पीढ़ी के 10 सदस्यों का और नासा की 2021 एस्ट्रोनॉट क्लास के 10 उम्मीदवारों का स्वागत करते हैं। इन सभी 10 उम्मीदवारों का जॉनसन स्पेस सेंटर में दो वर्षीय प्रशिक्षण जनवरी 2022 से शुरू होगा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें विभिन्न अभियानों के लिए भेजा जाएगा। इनमें स्पेस स्टेशन पर शोध और चंद्रमा पर जाने के साथ अन्य गहन अंतरिक्ष अभियान शामिल हो सकते हैं। अनिल मेनन, निकोल एयर्स, मार्कोस बेरियोस, ल्यूड डेलनी, जेसिका विटनर, डेनिज बर्नहैम, जैक हैथवे, क्रिस्टोफर विलियम्सस, क्रिस्टीबा बिर्च और आंद्रके डगलस।
एबीएन डेस्क। जीवनयापन के लिए तेल अवीव दुनिया का सबसे महंगा शहर घोषित हुआ है। इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) ने 173 शहरों में किए गए सर्वेक्षण के बाद बुधवार को वर्ल्डवाइड कॉस्ट ऑफ लिविंग इंडेक्स जारी किया है, जिसमें इजरायली शहर तेल अवीव को सबसे महंगा शहर घोषित किया गया है।रैंकिग में पेरिस और सिंगापुर संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर ईआईयू के वर्ल्डवाइड कॉस्ट ऑफ लिविंग इंडेक्स में पेरिस और सिंगापुर संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे हैं, उसके बाद ज्यूरिख और हांगकांग का स्थान रहा। वहीं न्यूयॉर्क छठे स्थान पर, जिनेवा सातवें, आठवें स्थान पर कोपेनहेगन, नौवें में लॉस एंजिल्स और 10वें स्थान पर जापान का ओसाका है। बीते वर्ष सर्वेक्षण ने जीवनयापन के लिए पेरिस, ज्यूरिख और हांगकांग को संयुक्त रूप से दुनिया का सबसे महंगा शहर घोषित किया था। तेल अवीव में महंगाई दर पिछले पांच वर्षों में शीर्ष पर ईआईयू ने 173 शहरों में वस्तुओं और सेवाओं के दाम के लिए अमेरिकी डॉलर में किए गए भुगतान की तुलना के आधार पर इंडेक्स जारी किया है, इसमें तेल अवीव में पिछले पांच वर्षों में सबसे तेज महंगाई दर दर्ज की गई है। इस साल अगस्त और सितंबर में एकत्र किए गए आंकड़ों में पाया गया है कि माल और वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई थी, जो दर्शाती है कि स्थानीय मुद्रा के संदर्भ में औसत कीमतों में 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। ईआईयू की प्रमुख उपासना दत्त ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण सामाजिक प्रतिबंधों ने माल की आपूर्ति को बाधित कर दिया, जिससे माल की कमी और कीममों में बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा कि हम इस साल के इंडेक्स में स्पष्ट रूप से पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रभाव देख सकते हैं, जो महंगाई की एक वजह है। उन्होंने कहा कि इस साल केंद्रीय बैंकों से महंगाई को कम करने के लिए सावधानीपूर्वक ब्याज दरों में वृद्धि की उम्मीद है। दमिश्क सबसे सस्ता शहर इंडेक्स में जीवनयापन के लिए दमिश्क को दुनिया का सबसे सस्ता शहर घोषित किया गया है। वहीं औसत महंगाई के आंकड़े में कराकास, दमिश्क, ब्यूनस आयर्स और तेहरान में असाधारण उच्च दर नहीं पाई गई है।
नयी दिल्ली। देश में अभी 5जी शुरू करने की तैयारी चल रही है, लेकिन इसी बीच उसके अगले संस्करण 6जी की चर्चा भी तेज हो गई है। इस बारे में कोई और नहीं बल्कि आईटी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है। अश्विनी वैष्णव ने देश में ही बने 6जी टेक्नोलॉजी की बात की है। उनका कहना है कि यह हाईटेक टेक्नोलॉजी साल 2023 के अंत में या 2024 के शुरू में लॉन्च हो सकती है। अश्विनी ने एक वोबनार में 6जी को बनाने और लॉन्चिंग के बारे में बताया। उनके मुताबिक देश में 6जी पर काम बहुत पहले शुरू हो गया है और इसके इस्तेमाल हम 2024 तक या 2023 के अंत तक देख सकते हैं। केंद्रीय मंत्री एक वेबिनार में बोल रहे थे। अश्विनी ने कहा, 6जी बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका है। पहले से निर्धारित समयावधि में इसे पूरा होते हुए देख सकते हैं। अभी हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं। इसके लिए हमारे पास देश में ही बने टेलीकॉम सॉफ्टवेयर होंगे, जिनपर यह टेक्नोलॉजी चलेगी। टेलीकॉम के उपकरण भी देश में ही बनेंगे और यह देसी टेलीकॉम नेटवक पूरी दुनिया को अपनी सेवा दे सकेगा। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि 5जी टेक्नोलॉजी की लॉन्चिंग भी पूरी तैयारी में है। अगले साल की तीसरी तिमाही तक 5जी टेक्नोलॉजी का कोर सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया जाएगा। वैष्णव ने 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि नीलामी के लिए ट्राई ने परामर्श करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो अगले साल फरवरी-मार्च तक संपन्न हो जाएगी। 5जी की नीलामी प्रक्रिया 2022 की दूसरी तिमाही में शुरू होगी। टेलीकॉम सेक्टर में कुछ मामले वर्षों से लंबित हैं, जिनमें सुधार और तेजी लाने के लिए सरकार सुधारों को लागू करने पर जोर दे रही है। दूसरी ओर, सेल्युलर आॅपरेटर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया ने सरकार से 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की बेस प्राइस में आधे से भी अधिक कटौती करने का अनुरोध किया है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। ब्रिटिश प्रतिस्पर्धा नियामक ने कहा है कि उसने अपने ब्राउजर में यूजर-ट्रैकिंग कुकीज में बदलाव पर अल्फाबेट की साथी कंपनी गूगल से बेहतर प्रतिबद्धता हासिल की है। ब्रिटिश प्रतिस्पर्धा नियामक ने कहा, कुछ क्रोम में कुछ कुकीज कम होंगे इसमें अमेरिकी प्रतिस्पर्धा और बाजार प्राधिकरण (सीएमए) क्रोम में कुछ कुकीज को कम करना शामिल है। गूगल इसकी योजना की जांच कर रहा है ताकि डिजिटल विज्ञापन की प्रतिस्पर्धा में कोई बाधा न पहुंचे। गूगल ने जून में प्राइवेसी सैंडबॉक्स को लेकर अपनी योजना में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा था जिसमें सीएमए को एक निरीक्षण भूमिका की अनुमति देना शामिल है। गूगल ने यह भी कहा है कि यदि उसकी प्रतिबद्धताएं स्वीकार की गईं तो इन्हें विश्व स्तर पर लागू किया जाएगा। सीएमए ने कहा कि गूगल ने कुछ अन्य चिंताओं को दूर करने के लिए भी अपना संकल्प दोहराया है। इसमें आईपी पते तक पहुंच को कम करना और डाटा पर अंदरूनी सीमाओं को स्पष्ट करना शामिल है। सीएमए के मुख्य कार्यकारी एंड्रिया कोसेली ने बताया कि हम हमेशा से यूजरों की गोपनीयता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। सशस्त्र सेनाओं के बीच संचार नेटवर्क को सुरक्षित एवं मजबूत बनाने के लिए वायु सेना के लिए 2,236 करोड़ रुपए की लागत से देश में ही बने जीसैट- 7 सी उपग्रह की खरीद को मंगलवार को मंजूरी दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस प्रस्ताव को जरूरत के आधार पर खरीद की श्रेणी में मेक इन इंडिया के तहत मंजूरी दी गई है। वायुसेना के आधुनिकीकरण और संचालन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है और इस की अनुमानित लागत 2,236 करोड़ रुपए है। सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो के लिए इस उपग्रह का पूरा डिजाइन, विकास और प्रक्षेपण देश में ही किया जाएगा। इसकी बदौलत हमारी सशस्त्र सेनाएं एक दूसरे के साथ सभी तरह की परिस्थितियों में पूरी सुरक्षा के साथ द्दष्टि की सीमा से आगे तक संपर्क साधने में सक्षम होगी।
एबीएन डेस्क। बीते कुछ सालों में भारत के अंदर डिजिटल पेमेंटिंग सिस्टम में कई बड़े बदलाव हुए हैं। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते डिजिटल ट्रांजैक्शन की मात्रा में एक्सपोनेंशियल ग्रोथ देखने को मिली है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि देश की अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द एक कैशलेस इकॉनोमी के रूप में बदला जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए जल्द ही आधार कार्ड में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। रिपोर्ट की मानें तो आने वाले समय में हम आधार कार्ड के जरिए पैसों को ट्रांसफर कर सकेंगे। अभी तक हम लोग आधार कार्ड का उपयोग सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों की कई सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए करते थे। वहीं अब इस नए बदलाव के आने से देश में लेन देन की एक नई व्यवस्था की शुरूआत हो जाएगी। इससे देश भर के करोड़ों लोगों को सीधा फायदा पहुंचेगा। इसी कड़ी में आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से - रिपोर्ट के मानें तो BHIM (Bharat interface for money) यूजर्स आसानी से आधार कार्ड नंबर के जरिए उन व्यक्तियों के खातों में पैसों को भेज सकेंगे, जिनके पास स्मार्टफोन या यूपीआई आईडी नहीं है। इससे देश में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है। बीते कुछ सालों में डिजटलीकरण की रफ्तार में काफी तेजी आई है। इस कारण कई लोग लेनदेन के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग कर रहे हैं। वहीं देश के भीतर कई लोग ऐसे भी हैं, जो अभी भी लेन देन की इस नई व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। रिपोर्ट की मुताबिक आधार कार्ड से पैसों को ट्रांसफर करने के लिए आपको BHIM ऐप में संबंधित व्यक्ति के आधार नंबर को दर्ज करना होगा। आधार नंबर को दर्ज करने के बाद वेरीफाई के बटन पर क्लिक करना है। इसे करने के बाद आधार नंबर की लिंकिंग की पुष्टि की जाएगी। प्रोसेस सफलतापूर्वक होने के बाद राशि को संबंधित व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
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