हेल्थ

View All
Published / 2025-08-30 12:37:07
बड़ी मेडिकल तकनीक के सहारे अब मिनटों में होगा हाई बीपी का इलाज

मिनटों में होगा हाई बीपी का इलाज, सामने आयी बड़ी मेडिकल तकनीक

एबीएन हेल्थ डेस्क। दुनिया भर में हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन एक silent killer के रूप में सामने आ चुका है। इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते और जब तक मरीज़ को इसका एहसास होता है, तब तक यह दिल, दिमाग और किडनी जैसे अहम अंगों को नुकसान पहुंचा चुका होता है। हर साल करोड़ों लोगों की जान लेने वाली इस बीमारी से निपटने के लिए अब एक बड़ी मेडिकल तकनीक सामने आई है।

अब HIGH BP का इलाज होगा डेटा-ड्रिवन

भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक ऑनलाइन टूल तैयार किया है, जो हाई ब्लड प्रेशर के इलाज को पहले से कहीं अधिक सटीक बना देगा। इस टूल का नाम है - Blood Pressure Treatment Efficacy Calculator यानी बीपी ट्रीटमेंट कैलकुलेटर। यह टूल डॉक्टरों की मदद करेगा कि वे मरीज को कौन-सी दवा दें और कितनी मात्रा में दें जिससे उसका ब्लड प्रेशर जल्दी और सुरक्षित स्तर तक आ सके।

कैसे करता है यह टूल काम?

इस टूल को बनाने से पहले शोधकर्ताओं ने 1 लाख से ज्यादा मरीजों पर किए गए करीब 500 मेडिकल ट्रायल्स के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इन आंकड़ों के आधार पर यह टूल बताता है कि कौन-सी दवा, किस खुराक में और किस मरीज के लिए कितनी प्रभावी साबित हो सकती है।

यह कैलकुलेटर तीन लेवल में दवाओं के असर को विभाजित करता है:-

  • निम्न तीव्रता
  • मध्यम तीव्रता
  • उच्च तीव्रता

डॉक्टर इन स्तरों को देखकर यह तय कर सकते हैं कि मरीज के लिए किस दवा की जरूरत है और कितनी डोज़ में।

अब नहीं करना होगा Trial-and-Error
अभी तक हाई बीपी के इलाज में डॉक्टरों को कई बार अलग-अलग दवाएं आज़मानी पड़ती थीं ताकि यह पता चले कि मरीज पर कौन-सी दवा बेहतर असर कर रही है। इससे इलाज में देरी और रिस्क दोनों बढ़ जाते थे। लेकिन इस स्मार्ट टूल की मदद से अब शुरुआत से ही मरीज को टारगेटेड दवा मिल सकेगी।

क्या हो सकता है इसका फायदा?

  • सटीक इलाज: शुरुआत से ही सही दवा और डोज मिलने से मरीज का ब्लड प्रेशर जल्दी कंट्रोल हो सकेगा
  • रोगों से बचाव: हृदयाघात, स्ट्रोक और किडनी फेलियर जैसे गंभीर परिणामों से बचा जा सकेगा
  • कम साइड इफेक्ट्स: अनावश्यक दवाओं से होने वाले दुष्प्रभावों की संभावना कम होगी
  • डॉक्टरों की सहायता: कैलकुलेटर से डॉक्टरों को इलाज तय करने में वैज्ञानिक आधार मिलेगा

Published / 2025-07-21 19:40:45
झारखंड के लोगों में बढ़ा मोटापा घटाने का शौक

महीने में 4 इंजेक्शन ले रहे लोग; मेडिकल स्टोर वाले कर रहे लाखों का कारोबार 

एबीएन हेल्थ डेस्क। मोटापा इंसान को सिर्फ मोटा ही नहीं करता बल्कि बीमार भी कर देता है। मोटापे से इंसान को कई बीमारियां लग जाती हैं। लगातार प्रयास करने के बाद भी वजन कम न होने के बाद हम सभी परेशान हो जाते हैं। वहीं, झारखंड में मोटापा कम करने का शौक तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए लोग इंजेक्शन लगवा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक राज्य भर में लोग मोटापा कम करने के लिए इंजेक्शन लगवा रहे हैं। मैडिकल स्टोर में सेमाग्लुटाइड और टिरजेपेटाइड जैसे दवाओं की मांग भी लगातार बढ़ रही है। वहीं, मोटापा कम करने वाले इंजेक्शन काफी महंगे हैं। इन इंजेक्शनों की कीमत प्रत्येक डोज के लिए 3500 से 4500 रुपये के बीच है। 

विशेषज्ञों के अनुसार, मरीज को हर महीने 4 इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे एक माह का खर्च 14,000 से 16,000 रुपये तक पहुंच जाता है। इलाज की अवधि 6 से 8 महीने तक होती है जिससे कुल खर्च 84,000 से 1.28 लाख रुपये के बीच तक पहुंच सकता है। 

एक डायबेटोलॉजिस्ट ने बताया कि उनके पास करीब 100 नियमित मरीज हैं जो इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि सेमाग्लुटाइड और टिरजेपेटाइड दवाओं के सेवन से भी व्यायाम के बिना वजन में कमी देखी गयी है, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ गई है। दवा व्यापारियों के अनुसार, यह इंजेक्शन एक माह पूर्व ही बाजार में आया है, लेकिन इसकी मांग इतनी तेजी से बढ़ी है कि 8 से 10 लाख रुपये तक का मासिक व्यापार हो रहा है। 

डॉ श्रीवास्तव का कहना है कि मोटापा से वैसे पीड़ित व्यक्ति जो पैंक्रियाटाइटिस, किसी भी प्रकार के कैंसर, आंत की बीमारी और डायबिटिक रेटिनोपैथी वाले मरीज है, उन्हें यह इंजेक्शन नहीं लेना चाहिए। इससे उनके शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। 

डायबेटोलॉजिस्ट डॉ वीके ढांढनिया ने बताया कि सेगाग्लूटाइड और टिरजेपेटाइड दवा से मोटापा कम करने वाले हमारे पास दर्जनों मरीज है जिनको मेहनत नहीं करनी है, वह इसका उपयोग कर रहे हैं। दवाओं का साइड इफेक्ट तो होता ही है, इसलिए सामान्य व्यायाम और संयमित खानपान से वजन कम करना चाहिए।

Published / 2025-07-20 20:19:50
स्वदेशी वैक्सीन एडफैल्सीवैक्स से मलेरिया को कंट्रोल करने की तैयारी

भारत ने बनाया पहला स्वदेशी मलेरिया टीका  एडफैल्सीवैक्स, संक्रमण और प्रसार पर दोहरी रोक 

एबीएन हेल्थ डेस्क। मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ भारत ने एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। देश का पहला स्वदेशी मलेरिया टीका एडफैल्सीवैक्स तैयार कर लिया गया है। यह टीका न केवल मलेरिया के संक्रमण को रोकने में कारगर है, बल्कि इसके प्रसार को भी प्रभावी ढंग से रोकने में सक्षम है। 

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने बताया कि यह टीका मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार पाया गया है। यह परजीवी सबसे घातक मलेरिया संक्रमण का प्रमुख कारण माना जाता है। 

मच्छर जनित रोगों के खिलाफ भारत की बड़ी छलांग 

आइसीएमआर के अनुसार, भारत पिछले कई दशकों से मच्छर जनित रोगों जैसे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से लड़ रहा है। जहां डेंगू और चिकनगुनिया के टीकों पर शोध जारी है, वहीं मलेरिया के खिलाफ यह सफलता एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है। 

यह टीका भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र और आइसीएमआर के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया है। इसे लैक्टोकोकस लैक्टिस नामक सुरक्षित बैक्टीरिया की मदद से तैयार किया गया है, जो आमतौर पर दही और पनीर बनाने में इस्तेमाल होता है। 

दोहरी सुरक्षा देने वाला टीका 

इस टीके की सबसे खास बात यह है कि यह मलेरिया परजीवी को रक्त में प्रवेश करने से पहले ही रोक देता है। इसके साथ ही यह मच्छरों के माध्यम से संक्रमण फैलने की प्रक्रिया को भी प्रभावी रूप से रोकता है। यानी यह पूर्व-रक्त चरण और संचरण अवरोधक दोनों तरह से काम करता है। 

सस्ती और असरदार वैक्सीन 

वर्तमान में मलेरिया के जो दो टीके RTS,S और R21/Matrix-M — उपलब्ध हैं, उनकी कीमत लगभग ₹800 प्रति डोज है और उनकी प्रभावशीलता 33% से 67% के बीच है। इसके विपरीत, भारत में विकसित यह नया टीका अधिक प्रभावी होने के साथ-साथ किफायती भी होगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील सिंह ने बताया कि यह टीका संक्रमण को रोकने वाले मजबूत एंटीबॉडी बनाता है। 

अभी तक इसका पूर्व-नैदानिक परीक्षण किया जा चुका है, जिसे ICMR, राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान (NIMR) और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII) ने मिलकर पूरा किया है। टीके के व्यापक उत्पादन को लेकर ICMR ने निजी कंपनियों के साथ समझौते की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उम्मीद है कि यह टीका जल्द ही आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगा।

Published / 2025-07-13 16:21:12
लेप्टोस्पाइरोसिस बरसाती बैक्टीरिया इससे गंभीर बीमारियां होने का खतरा बचाव में करें योग प्राणायाम : योगाचार्य महेश पाल

एबीएन हेल्थ डेस्क। बरसात का मौसम आते ही चिलचिलाती गर्मी से राहत मिलती है। हालाँकि, यह कई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ भी लेकर आता है। बढ़ती नमी, स्थिर पानी और मच्छरों और अन्य रोगाणुओं के फैलने के कारण बरसात के मौसम में बीमारियाँ आम होती हैं। योगाचार्य महेश पाल बताते है कि वर्तमान समय में देखने में आ रहा है इस बरसात के मौसम में अधिकतर बच्चे युवा महिलाएं युवतियां, बुजुर्ग यह सभी वायरल संक्रमण व बैक्टीरिया का शिकार हो जाते हैं।

जिससे गले में दर्द सांस लेने में तकलीफ सर दर्द आंखों में दर्द तेज बुखार आदि बीमारियां शरीर को जकड़ लेती हैं  इन आम बीमारियों के बारे में जागरूक होना और योग को अपनी दिनचर्या में निवारक उपाय के रूप में शामिल करना आवश्यक हो गया है और योग इस मौसम में आपके स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद कर सकता है। बरसात के मौसम में डेंगू बुखार मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक वायरल संक्रमण है। 

तेज बुखार, तेज सिरदर्द , आंखों के पीछे दर्द मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, चकत्ते और हल्का रक्तस्राव इसके कुछ लक्षण हैं।लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमित जानवरों के मूत्र से प्रदूषित पानी में बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके लक्षणों में गंभीर सिरदर्द, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, आंखों का लाल होना, पेट में दर्द , पीलिया और दस्त शामिल हैं।

लेप्टोस्पाइरोसिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो मनुष्यों और जानवरों को प्रभावित कर सकता है। बिना इलाज के, यह गंभीर रूप ले सकता है। शरीर पर कट लगने या खरोंच आने के माध्यम से बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करते हैं और लीवर एवं किडनी को प्रभावित करते हैं। यह संक्रमण लेप्टोस्पाइरा जीनस के बैक्टीरिया के कारण होता है। ये बैक्टीरिया चूहों के पेशाब से दूषित पानी में होते हैं। 

भारी बारिश और बाढ़ से बैक्टीरिया फैल सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। लेप्टोस्पाइरोसिस के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और कभी-कभी पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना) शामिल हैं। गंभीर मामलों में, यह किडनी और लीवर को नुकसान या मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की झिल्लियों की सूजन) का कारण बन सकता है।

लेप्टोस्पाइरोसिस और बरसात के समय जन्म लेने वाले बारिश और बैक्टीरिया से बचाव के लिए योग प्राणायाम का उपयोगी साधन है योग प्राणायाम के अभ्यास से हमारे अंदर उच्च इम्यूनिटी क्षमता विकसित होती है जिससे हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है, और हमारे शरीर के अंदर कोई भी वायरस और बैक्टीरिया प्रवेश नहीं कर पाता जिससे हम विभिन्न प्रकार के वायरल संक्रमण व रोगों से बचे रहते हैं।

बरसात के मौसम में सबसे उपयोगी योग अभ्यास के अंतर्गत साधक सूर्य नमस्कार, उत्तांनासना,पर्वतआसन, परिर्वत पाश्वर्वकोणासन, पश्चिमोतानासन, नाड़ी शोधन प्राणायाम सुदर्शन योग क्रिया, आज्ञा चक्र पर ध्यान आदि के अभ्यास से हम पूर्ण रूप से बारिश में जन्म लेने वाले वायरस व बैक्टीरिया से अपने शरीर की सुरक्षा कर सकते हैं। 

इसके अलावा बारिश के मौसम में हमारी आहारचर्या पर हमें ध्यान रखना होगा और साथ में ही हम गिलोय अमृता को काढ़े के रूप मै सेवन और तुलसी अर्क का सेवन 1 सप्ताह में दो बार जरूर करे जिससे वायरल संक्रमण व बैक्टीरिया से तो बचाव होगा ही हमें कई स्वास्थ लाभ मिलेंगे, सुबह उठते से ही सर्वप्रथम गुनगुना पानी पिए, जिनको वायरल संक्रमण हो गया है। 

वह पानी उबालकर ही पिए ज्यादा हरी सब्जियां खाने से बचें, गुड, अजवाइन दालचीनी, लहसुन, अदरक, काली मिर्च, लौंग का का काढा बनाकर जरूर ले जिससे कफ खासी सर्दी जुखाम मै लाभ होगा और रात में सोने से पहले गर्म पानी में हल्दी, काला नमक डालकर गरारे करे जिससे गले के इंफेक्शन से बचा जा सकता है और अपने दिनचर्या में योग प्राणायाम को जरूर शामिल करें।

Published / 2025-06-17 21:11:50
योग से एक साथ विकसित होते हैं मस्तिष्क के दोनों गोलार्ध : स्वामी मुक्तरथ

टीम एबीएन, रांची। आज दिनांक 17.06.2025, मंगलवार को डीएवी पब्लिक स्कूल गांधीनगर, रांची में प्राचार्य प्रदीप झा के विशेष आमंत्रण पर विद्यालय परिसर में बृहत योग कक्षा का संचालन स्वामी मुक्तरथ के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। प्राचार्य श्री झा ने बच्चों को योग के समग्र रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग  शारिरिक व्यायाम नहीं है, यह विद्या पूरी तरह से वैज्ञानिक है जो मनुष्य के चित्त के गंदगी को हटाता है और प्रकाश को दिखाता है। 

महर्षि पातञ्जलि का यह सूत्र बताता है- योगश्चित्त वृत्ति निरोध:। योग से चित्तवृत्तियों का निरोध होता है और निरोध होने से वास्तविक ज्ञान उजागर होता है। व्यक्ति का मन स्थिर होता है और प्रसन्नचित होता है। योग शरीर और मन दोनों को तनावरहित कर ध्यान के लिए मस्तिष्क को तैयार करता है। ध्यान में मन की स्थिरता के लिये योगासन और प्राणायाम की साधना करनी होती है ताकि शरीर घन्टों तक स्थिर और सुखद अवस्था में बनी रहे।  

स्वामी मुक्तरथ योग के कई पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए मानव मस्तिष्क की संरचना और मस्तिष्क में सुषुप्त केंद्रों को जागृत करने के उपाय पर योग साधनाओं की जानकारी दिये। उन्होंने कहा मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्ध का समान रूप से विकाश नही हो पाता है। किसी में दाहिना मस्तिष्क तो किसी में बायां मस्तिष्क असंतुलित रूप से क्रियाशील रहता है जिस कारण से हमारी एकाग्रता ठीक नही रहती है और बुद्धि के स्तर पर भी हम कमजोर रह जाते हैं। पर जिस व्यक्ति का समुचित रूप से मस्तिष्क के दोनों हिस्से विकसित होते हैं उसमें मेधा शक्ति,बौद्धिक शक्ति, आत्मिक शक्ति सभी तेज होते हैं।  इसके लिए खास रूप से जीवन के प्रथम चरण में ही आसन, प्राणयाम, मुद्रा और ध्यान शुरू कर देना चाहिये। 

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम है एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य यानि समस्त जीवों के स्वास्थ्य प्रबंधन का खयाल हमें रखना है। रांची के सभी डीएवी विद्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गयी है। सत्यानंद योग मिशन राजधानी में विभिन्न जगहों पर योग शिविर का संचालन कर रहा है। 

सीसीएल गांधीनगर डीएवी में पांच सौ विद्यार्थियों को स्वामी मुक्तरथ और इनके सहयोगी रोहित कुमार, केशव कुमार और सूरज कुमार ने  वृक्षासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, अर्धचक्रासन, कटिचालन, तितली आसन, शशांकासन, उष्ट्रासन, उत्तानकुर्मासन, उत्तानपादासन, सुप्तपवनमुक्तासन, सेतुबंध आसन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन तथा नाड़ीशोधन एवं भ्रामरी प्राणायाम को कराया गया। (लेखक सत्यानंद योग मिशन रांची के अध्यक्ष हैं।)

Published / 2025-06-10 22:00:01
रिम्स में इलाजरत 44 वर्षीय कोरोना पीड़ित की मौत

रांची में कोरोना से 44 साल के शख्स की मौत, रिम्स में चल रहा था इलाज 

टीम एबीएन, रांची। झारखंड की राजधानी रांची में कोरोना से पीड़ित 44 वर्षीय एक शख्स की मौत हो गयी है। झारखंड में कोरोना से मौत का यह पहला मामला है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। 

कोरोना से पीड़ित मरीज का झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में इलाज चल रहा था। राज्य में फिलहाल कोरोना से पीड़ित मरीजों की संख्या छह है। इनका इलाज चल रहा है। 

रिम्स ने सभी नागरिकों से अपील है कि अफवाहों पर ध्यान नहीं दें और केवल अधिकृत स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें। सावधानी बरतें, मास्क का प्रयोग करें। हाथ धोते रहें और भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें। स्वस्थ रहें और सतर्क रहें।

Published / 2025-06-08 18:01:59
एनएस एनआईएस पटियाला में 5वें राष्ट्रीय योगासन जज प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन

एबीएन हेल्थ डेस्क। पटियाला, पंजाब में 2 से 6 जून 2025 तक आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम 6 जून को प्रतिष्ठित नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनएस एनआईएस), पटियाला, पंजाब में संपन्न हुआ। विश्व योगासन और योगासन भारत के  महासचिव योगाचार्य डॉ. जयदीप आर्य के मार्गदर्शन में योगासन भारत द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति देखी गयी जिनमें रचित कौशिक, कोषाध्यक्ष, योगासन भारत और निदेशक, शिक्षा और प्रशिक्षण समिति डॉ एम निरंजना मूर्ति, उपाध्यक्ष, एशियाई योगासन, डॉ सीके मिश्रा, मुख्य प्रशिक्षक, एनएस एनआईएस पटियाला, योगासन स्पोर्ट्स, अभिजीत बोस, उपाध्यक्ष, तमिलनाडु युवा योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन, पंकज मजूमदार, राज्य सचिव त्रिपुरा,  विपनदीप, राज्य सचिव, पंजाब दयानिधि, राज्य सचिव, पुडुचेरी और अर्जुन तिवारी, तकनीकी निदेशक, पंजाब योगासन स्टेट बॉडी। 

भारत के 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 180 प्रशिक्षु न्यायाधीशों ने इस प्रतिष्ठित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। पूरे भारत से दस विशेषज्ञ संसाधन व्यक्तियों ने प्रशिक्षण सत्रों के दौरान अपने बहुमूल्य ज्ञान और विशेषज्ञता का योगदान दिया। 3 जून को भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया गया, जिन्होंने सभी प्रतिभागियों के लिए एक विशेष योग और ध्यान (ध्यान) सत्र का नेतृत्व डॉ जयदीप आर्य द्वारा  किया। 

उन्होंने प्रशिक्षु न्यायाधीशों को योगासन खेलों के दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें उत्कृष्टता के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के अवसर से प्रेरित किया। अपने दौरे के दौरान, डॉ. आर्य जी ने योगासन खेलों के वैश्विक प्रचार और विकास के लिए सहयोगात्मक प्रयासों पर चर्चा करने के लिए एनएस एनआईएस पटियाला के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक विनीत कुमार से भी मुलाकात की। 

5 जून 2025 को चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो (डॉ) मनप्रीत सिंह मन्ना जी का विशेष अतिथि के रूप में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उनके आगमन पर पंजाब योगासन खेल संघ के अध्यक्ष डॉ अकालकला ने पुष्प गुच्य से स्वागत किया उन्होंने अपने विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे 60 से अधिक देशों के 4500 विदेशी छात्रों को योगासन खेलों से परिचित कराने की इच्छा व्यक्त की। 5वां राष्ट्रीय योगासन न्यायाधीश प्रशिक्षण कार्यक्रम योगासन खेलों को पेशेवर बनाने और पूरे भारत में योग्य न्यायाधीशों की एक नयी पीढ़ी को तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Published / 2025-06-03 22:11:34
तनाव, अनिद्रा या माइग्रेन, मानसिक समस्याओं से निजात दिलाने में फायदेमंद है भ्रामरी

मानसिक शांति और फोकस के लिए भ्रामरी का जादू 

एबीएन हेल्थ डेस्क। भ्रामरी प्राणायाम तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी मानसिक समस्याओं से राहत दिलाने में अत्यंत प्रभावी है। इसे किसी भी उम्र का व्यक्ति कहीं भी कर सकता है। इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते, जिससे यह सभी के लिए सुरक्षित है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसे नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, फोकस और माइंडफुलनेस में सुधार होता है। 

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव, चिंता, अनिद्रा जैसी समस्याएं आम बात है। ऐसे में प्राणायाम मानसिक तनाव या शारीरिक समस्याओं से लड़ने का एक मजबूत तरीका है। चर्चा करते हैं बेहद फायदेमंद भ्रामरी प्राणायाम के बारे में, जो बहुत ही सरल और लोकप्रिय प्राणायाम है, जिसे करने से अनगिनत फायदे मिलते हैं। 

भ्रामरी के फायदे अनगिनत हैं। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य में लाभकारी है बल्कि हर किसी के लिए सुरक्षित भी है। भ्रामरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कोई भी व्यक्ति, चाहे बच्चा हो, बुजुर्ग हो, कभी भी और कहीं भी कर सकता है। भ्रामरी के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, जो इसे और भी खास बनाता है। उदाहरण के लिए, कपालभाति को कुछ स्थितियों जैसे हाई बीपी, गर्भावस्था, मासिक धर्म, या पेट की सर्जरी के बाद नहीं करना चाहिए, लेकिन भ्रामरी में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। 

योग4लाइफ की को-फाउंडर और ट्रेनर कविता अरोड़ा ने बताया, चार या पांच प्राणायाम बहुत लोकप्रिय हैं। इसमें कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी भी है। इसमें भ्रामरी बहुत खास है। भ्रामरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कोई भी कभी भी कर सकता है। इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं। इसे बच्चे से लेकर उम्रदराज तक हर कोई कर सकता है और इसके अनगिनत फायदे भी होते हैं। उन्होंने बताया, आज के समय में स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, अनिद्रा जैसी समस्याओं में भ्रामरी बहुत ज्यादा फायदा देता है। रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि इसे करने से पॉजिटिविटी, फोकस और माइंडफुलनेस बढ़ता है। 

उन्होंने आगे बताया, जिन लोगों को रात में नींद न आने की समस्या है, वे अपने बेड पर बैठकर भी भ्रामरी कर सकते हैं, इससे उन्हें काफी मदद मिलती है और अच्छी नींद आती है। अगर आपको रात में नींद नहीं आ रही, तो बिस्तर पर बैठकर 5 से 11 राउंड भ्रामरी करने से नींद में सुधार हो सकता है। इसे करने की विधि भी बेहद आसान है, शांत बैठें, आंखें बंद करें, कानों को अंगूठे से ढकें और हम्म की आवाज निकालें। खास बात यह है कि भ्रामरी को आप दिन के साथ ही रात में भी कर सकते हैं। छात्रों के साथ ही माइग्रेन के मरीजों के लिए भी भ्रामरी फायदेमंद होता है। 

कुल मिलाकर, भ्रामरी एक ऐसा सरल और प्रभावी प्राणायाम है, जो मानसिक शांति, बेहतर फोकस और अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर किसी को करना चाहिए। इसे करने की कोई सीमा नहीं है और इसके फायदे अनंत हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करना चाहिए। तो, चाहे आप तनाव से जूझ रहे हों या बेहतर फोकस चाहते हों, भ्रामरी प्राणायाम आपके लिए एक आसान और प्रभावी उपाय है, जो कि समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।

Page 3 of 50

Newsletter

Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.

We do not share your information.

Tranding

abnnews24

सच तो सामने आकर रहेगा

टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।

© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse