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Published / 2021-04-29 12:27:32
जून तक यूरोप में आ जाएगी बच्चों की कोरोना वैक्सीन

एबीएन डेस्क। कोरोना वायरस से हर उम्र के लोग संक्रमित हो जा रहे हैं। इस महामारी को खत्म करने के लिए फिलहाल जो टीके बनाए गए हैं वे केवल वयस्कों के लिए ही है। हालांकि, जल्द ही बच्चों के लिए भी इस घातक बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन आ जाएगी। दरअसल, जर्मनी की दवा कंपनी बायोएनटेक का कहना है कि वह यूरोप में 12 से 15 साल के बच्चों के लिए जून में कोरोना की वैक्सीन लॉन्च करेगी। बता दें फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने इसी साल मार्च के अंत में यह दावा किया था कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन 12 साल से बड़ी उम्र के बच्चों के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित और व्यस्कों की तरह ही कोराना वायरस महामारी का असर रोकने में कारगर है। कंपनी ने 12 से 15 साल की उम्र वाले 2260 अमेरिकी वॉलेंटियरों को कोरोना की वैक्सीन देने के बाद सामने आए प्राथमिक डाटा के आधार पर यह दावा किया। फाइजर का यह दावा स्कूलों में बच्चों को वापस लौटाने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है। फाइजर के सीईओ अर्ल्बअ बौरला ने कहा कि उनकी कंपनी जल्द ही 12 साल से बड़ी उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन उपयोग की आपातकालीन मंजूरी मांगने के लिए यूएसएफडीए और यूरोपीय नियामकों के पास आवेदन दाखिल करेगी। कई कंपनियां बना रहीं टीका : उल्लेखनीय है कि केवल फाइजर व बायोएनटेक ही नहीं बल्कि करीब आधा दर्जन से अधिक कंपनियां बच्चों के लिए कोरोना वायरस से बचाव का टीका बाजार में उतारने की होड़ में जुटी हुई हैं। कंपनियों का दावा है कि जल्द ही छह माह के बच्चे के लिए भी बाजार में कोरोना टीका उपलब्ध होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस महामारी को रोकना है तो बच्चों का भी टीकाकरण करना ही होगा। अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना भी 12 से 17 साल तक के बच्चों पर कोरोना वैक्सीन के प्रभाव को लेकर अध्ययन कर रही है। सूत्रों का कहना है कि मॉडर्ना के अध्ययन में सामने आए तथ्य बेहद सकारात्मक हैं। इसके चलते यूएसएफडीए पहले ही फाइजर और मॉडर्ना को 6 साल की उम्र वाले नवजात बच्चे तक पर कोविड-19 के प्रभाव पर शोध करने की अनुमति दे चुका है। इन दोनों कंपनियों के अलावा एस्ट्राजेनेका पिछले महीने ही ब्रिटेन में 6 से 17 साल तक की उम्र वाले बच्चों पर अपनी वैक्सीन के प्रभाव पर शोध शुरू कर चुकी है।

Published / 2021-04-26 15:37:17
घर पर भी मास्क लगाकर रहने का समय आ गया : डॉ. वीके पॉल

देशभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अब सरकार का कहना है कि अब समय आ गया है कि हमें घर पर रहते हुए भी मास्क लगाने की जरूरत है. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने सोमवार को कहा कि यह समय किसी को भी घर पर आमंत्रण देने का नहीं है बल्कि घर पर रहने और घर पर भी मास्क लगाकर रहने का है. वहीं कोरोना के शुरुआती लक्षण देखे जाने पर लोगों से घर पर ही आइसोलेट होने के लिए कहा है. डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि शुरुआती लक्षण दिखने पर खुद को तत्काल आइसोलेट करें. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने तक का इंतजार ना करें. उन्होंने कहा कि ऐसे में आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने की संभावना है, लेकिन फिर भी लक्षण को देखते हुए खुद को संक्रमित मानें और सभी गाइडलाइन को फॉलो करें. इसके अलावा स्वास्थ्य संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मास्क नहीं लगाने पर बढ़ने वाले खतरे की बात की. उन्होंने कहा कि अगर दो लोग मास्क नहीं पहनते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं तो इससे कोरोना संक्रमण का खतरा 90 फीसदी तक बढ़ सकता है. वहीं अगर व्यक्ति मास्क लगाता है और गाइडलाइन का पालन करता है तो खतरा 30 फीसदी तक कम हो सकता है.

Published / 2021-04-23 13:09:12
कोविड-19 टीके की पहली खुराक के बाद 65 प्रतिशत तक कम हो जाता है खतरा

एबीएन डेस्क। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अतिरिक्त आंकड़े जारी किए हैं जिनसे पुष्टि होती है कि फाइजर-बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका दोनों कंपनियों द्वारा विकसित कोविड-19 टीके की पहली खुराक लेने के बाद ही संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। अध्ययनकर्ताओं ने शुक्रवार को प्रकाशित अपने अनुसंधान में कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को कम करने की क्षमता को लेकर टीकों में कुछ खास अंतर नहीं है। यह अध्ययन अभी तक किसी प्रतिष्ठित समीक्षा पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुआ है लेकिन यह दिसंबर से अप्रैल के बीच इंग्लैंड और वेल्स में 3,70,000 से ज्यादा लोगों की नाक और गले के स्वाब के नमूनों के विश्लेषण पर आधारित है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फाइजर-बायोएनटेक या एस्ट्राजेनेका दोनों में से किसी भी टीके का पहली खुराक लगवाने के तीन सप्ताह बाद लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा 65 प्रतिशत तक कम हो गया। वहीं दूसरी खुराक लेने के बाद खतरा और भी काफी कम हो गया साथ ही यह टीके सबसे पहले ब्रिटेन में पहचाने गए वायरस के नये स्वरूप के खिलाफ भी प्रभावी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर कोएन पॉवेल्स ने कहा कि कुछ उदाहरण है जहां टीका लगने के बाद भी उस व्यक्ति को संक्रमण हो गया है और टीका लगवा चुके लोगों से भी सीमित संख्या में संक्रमण फैलने की भी घटना हुई है। पॉवेल्स ने एक बयान में कहा, इससे स्पष्ट है कि लोगों को संक्रमण फैलने के खतरे को कम करने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए, मास्क लगाएं और दो गज की दूरी बनाए रखें।

Published / 2021-04-17 14:32:13
नेशनल हेल्थ मिशन ने जारी किया डाइट चार्ट, होम आइसोलशन मरीज करेंगे इन चीजों का सेवन तो बढ़ेगी इम्यूनिटी

एबीएन डेस्क। कोरोना मरीजों को स्वस्थ होने के लिए एक हेल्दी डाइट की बहुत जरूरत होती है. कोरोना वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। इससे मरीजों की शारीरिक क्षमता में कमी आती है और शरीर रोगों से लडने की ताकत खो देता है। हालांकि उपचार के साथ कोरोना मरीजों को हेल्दी डाइट दी जाए, तो कोरोना को हराया जा सकता है. सूबे के कई जिलों में करीब 15 हजार संक्रमित मरीज होम आइसोलेशन में हैं। इम्यूनिटी को बूस्ट और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन के न्यूट्रीशन एक्सपर्ट ने एक डाइट चार्ट जारी किया है। इसमें होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों री इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या-क्या और किस मात्रा में खाना चाहिए इसका पूरा ब्यौरा दिया गया है।

Published / 2021-04-17 11:25:10
राज्यों के पास वैक्सीन की 1.58 करोड़ डोज : डॉ हर्षवर्धन

एबीएन डेस्क। देश में 17 अप्रैल को लगातार तीसरे दिन कोरोना के 2 लाख से ज्यादा नये मामले सामने आने के बाद से चिंता बढ़ गई है। इधर दिल्ली में वीकेंड लॉकडाउन बीती रात 10 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक लागू किया गया है। झारखंड-यूपी-बिहार के साथ-साथ बंगाल में भी कोरोना संक्रमण के ज्यादा केस निकल रहे हैं। महाराष्ट्र में नये मामले रोज रिकार्ड तोड़ रहे हैं। देश में वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार भी पूरी तरह सक्रिय है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि इस समय राज्यों के पास एक करोड़ 58 लाख डोज हैं और सप्लाई के अंदर वैक्सीन की 1,16,84,000 डोज हैं। वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 11 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये बात भी की। उन्होंने कहा कि देश में आज सुबह तक राज्यों को वैक्सीन की 14 करोड़ 15 लाख डोज सप्लाई की गयी है। वेस्टेज को मिलाकर सब राज्यों ने लगभग 12,57,18,000 वैक्सीन की डोज का इस्तेमाल कर भी लिया है। अभी वैक्सीनेशन के लिए आयु सीमा 45 वर्ष रखी गयी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि वैक्सीनेशन के लिए आयु सीमा को घटाकर 25 साल किया जाये तथा अस्थमा, मधुमेह और कुछ अन्य बीमारियों से पीड़ित युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगायी जाये। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री से खुले बाजार में कोरोना वैक्सीन की बिक्री की अनुमति देने की अपील की।

Published / 2021-04-12 11:31:42
भारत सरकार की मंजूरी के बाद देश का तीसरा वैक्सीन बना रुस का स्पूतनिक वी

एबीएन डेस्क। भारत सरकार ने रुसी वैक्सीन स्पूतनिक वी के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। आज एक्सपर्ट कमेटी की बैठक में इस बात पर फैसला किया गया। स्पूतनिक वी के इस्तेमाल को मंजूरी मिलने के बाद यह भारत में इस्तेमाल की जाने वाली तीसरी वैक्सीन होगी। हिंदुस्तान टाइम्स ने यह जानकारी प्रकाशित की है। इससे पहले भारत सरकार ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड को इस्तेमाल की अनुमति दी है। रुस में सबसे पहले इसी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गयी थी, जिसे वहां के राष्ट्रपति पुतिन ने लगवाया था, हालांकि बीच में इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगी थी लेकिन उसे फिर से चालू कर दिया गया था। गौरतलब है कि हैदराबाद की दवा कंपनी डॉ रेड्डी ने पिछले सप्ताह सरकार से वैक्सीन को मंजूरी देने की मांग की थी। रुस ने भारतीय कंपनी डॉ रेड्डी के साथ 2020 में समझौता किया था जिसके तहत कंपनी भारत में इसके परीक्षण का संचालन करेगी। रुसी वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण हो चुका है जिसमें यह 91.6 प्रतिशत तक कारगर साबित हुआ है। रूस ने 19,866 लोगों पर परीक्षण किया है। स्पूतनिक-वी का दावा है कि यह वैक्सीन सस्ती है और आसानी से आम आदमी के बजट में आ जायेगी। इस वैक्सीन को 2 से 8 त्डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर रखा जा सकता है। भारत में कोरोना मरीजों की संख्या रोज बढ़ रही है। आज एक लाख 68 हजार से ज्यादा केस सामने आये हैं और 934 लोगों की मौत हुई है। देश में नौ करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दिया जा चुका है। लेकिन देश में कोरोना की रफ्तार थम ही नहीं रही है। यही वजह है कि सरकार वैक्सीनेशन बढ़ाने पर जोर दे रही है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाया जा रहा है।

Published / 2021-04-12 08:08:50
इस उम्र के लोगों को अधिक संक्रमित कर रहा नया कोरोना वायरस

एबीएन डेस्क। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में पूरे विश्व में छह लाख से अधिक नए केस सामने आए हैं, जबकि 7,991 लोगों की मौत भी हो चुकी है। भारत की अगर बात करें तो यहां कोरोना की दूसरी लहर काफी तेज है। देश में एक दिन में मिलने वाले संक्रमण के मामलों ने अब तक के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि बीते 24 घंटों में करीब 1.69 लाख नए कोरोना मरीज मिले हैं, जबकि 900 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इसी के साथ भारत अब ब्राजील को पीछे छोड़कर दुनिया का दूसरा सबसे संक्रमित देश बन गया है। पहसे स्थान पर अभी भी अमेरिका ही है। वह कहते हैं, इस नए वायरस में जो बदलाव आए हैं, वो ये हैं कि इसमें मरीज को बहुत तेज बुखार आ रहा है, जो कि आठ से 10 दिन या 11-12 तक भी रह सकता है, जिसमें पूरा शरीर टूट जाता है, पसीने आते हैं। इस नए वायरस के साथ लोगों में डायरिया, सिरदर्द और आंखों में दर्द की भी समस्या देखी जा रही है। पिछले साल ऐसा देखने में आया था कि कोरोना वायरस बुजुर्गों को अधिक संक्रमित कर रहा था और उनके लिए घातक साबित हो रहा था, लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं। हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों की जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली में जो कोरोना के मरीज आ रहे हैं, उनमें से 65 फीसदी मरीज 45 साल से कम उम्र के हैं। जानकारों का कहना है कि ब्राजील के अस्पतालों के इंटेन्सिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती कोविड-19 के मरीजों में से अधिकतर की उम्र 40 साल से कम है। यह नया वायरस इस बार बच्चों को भी संक्रमित कर रहा है और सबसे खतरनाक बात ये है कि बच्चों में बड़ों में और बड़ों से बच्चों में भी ये संक्रमण फैल रहा है।

Published / 2021-04-10 15:05:35
कोविड-19 रोगियों के इलाज में सैनोटाइज कारगर, ब्रिटेन में क्लीनिकल ट्रॉयल सफल

एबीएन डेस्क। कोरोना महामारी से जूझ रही पूरी दुनिया के लिए ब्रिटेन से अच्छी खबर आई है। एक क्लीनिकल ट्रायल में सैनोटाइज से कोरोना के बेहतर ढंग से इलाज में कामयाबी मिली है। ट्रायल में पाया गया कि सैनोटाइज के इस्तेमाल से कोरोना रोगी में वायरस का असर 24 घंटे में 95 फीसदी और 72 घंटे में 99 फीसदी तक घट गया। आइए जानते हैं, इस क्लीनिकल ट्रायल में कोरोना के इलाज को लेकर क्या कामयाबी मिली और कैसे इसके जरिए उपचार होगा। बता दें कि यह क्लीनिकल ट्रायल बॉयोटेक कंपनी सैनोटाइज रिसर्च एंड डेवलपमेंट कापोर्रेशन और ब्रिटेन के एशफोर्ड एंड पीटर्स हॉस्पिटल्स ने किया है। शुक्रवार को इस ट्रायल के नतीजों का एलान किया गया। इन नतीजों से संकेत मिला है कि सैनोटाइज, जो कि नाइट्रिक आॅक्साइड नेजल स्प्रे (एनओएनएस) है, यह एक सुरक्षित व प्रभावी एंटी वायरल उपचार है। यह कोविड-19 वायरस का संक्रमण रोक सकता है और इसकी मियाद भी कम कर सकता है। इतना ही नहीं यह वायरस की तीव्रता कम कर सकता है और जो पहले से संक्रमित हैं, उनमें नुकसान को कम कर सकता है। ट्रायल के दौरान कोरोना संक्रमित 79 मरीजों पर सैनोटाइज के असर का आकलन किया गया। नेजल स्प्रे के इस्तेमाल से इन मरीजों में सॉर्स-कोव-2 वायरस लॉग का लोड कम हुआ। पहले 24 घंटे में औसत वायरल लॉग घटकर 1.362 रह गया। इस तरह 24 घंटे बाद वायरल लोड करीब 95 फीसदी तक कम हो गया और 72 घंटे में वायरल लोड 99 फीसदी से ज्यादा घट गया। परीक्षण में शामिल मरीजों में से अधिकांश कोरोना के यूके वेरिएंट से संक्रमित थे। यह कोरोना स्ट्रेन घातक माना जाता है। अध्ययन के नतीजों में कहा गया है कि इस ट्रायल के दौरान मरीजों पर कोई साइड इफैक्ट नहीं देखा गया। कोरोना वायरस का लोड कम करने के लिए एनओएनएस एकमात्र नोवल थैरापेटिक ट्रीटमेंट या चिकित्सकीय उपचार है। यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार नहीं है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज विशिष्ट व महंगा उपचार है, जो कि अस्पतालों में भर्ती होने के बाद नसों में इंजेक्शन के साथ ही किया जा सकता है।

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