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Published / 2025-11-13 18:36:24
14 को बाल दिवस के साथ मनाया जायेगा मधुमेह दिवस

14 नवंबर विश्व मधुमेह दिवस ही नहीं, बल्कि बाल दिवस भी है, बच्चों को सिखाना चाहिए कि स्वास्थ्य की नींव संयम और अनुशासन से बनती है : योगाचार्य महेश पाल

एबीएन हेल्थ डेस्क। हर वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि यह दिवस इस बार मधुमेह और कल्याण थीम  पर आधारित है, प्रथम बार मधुमेह दिवस अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मनाना शुरू किया था। 14 नवंबर 2025 को 35 विश्व मधुरा दिवस मनाया जा रहा है, यह दिन लोगों में मधुमेह के बढ़ते खतरे के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। 

संयोग से यही दिन बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसे में यह अवसर दोहरा संदेश देता है विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ के अनुसार, मधुमेह आज विश्वभर में एक गंभीर जीवनशैली जनित रोग बन चुका है। भारत में तो इसे डायबिटीज की राजधानी तक कहा जाने लगा है, क्योंकि यहां हर वर्ष करोड़ों लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। 

आज के समय में मधुमेह केवल वृद्धों की बीमारी नहीं रह गयी, बल्कि युवाओं और बच्चों तक पहुंच रही है। आधुनिक जीवनशैली, फास्ट फूड, तनाव, मोबाइल पर अत्यधिक समय बिताना और शारीरिक गतिविधि का अभाव यह सब मधुमेह के बढ़ते मामलों के पीछे प्रमुख कारण हैं। 14 नवंबर केवल विश्व मधुमेह दिवस नहीं, बल्कि बाल दिवस भी है। 

इस दिन हमें बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि स्वास्थ्य की नींव संयम और अनुशासन से बनती है। जंक फूड की जगह घर का सादा भोजन, फल-सब्जियां अपनाएं। रोजाना कम से कम 30 मिनट योग और खेलकूद के लिए निकालें। मोबाइल और टीवी से दूरी, और प्रकृति से निकटता बढ़ाएं। बच्चे ही राष्ट्र का भविष्य हैं। यदि वे आज से योग, प्राणायाम और संतुलित आहार की आदत डालेंगे तो आने वाली पीढ़ी को मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाया जा सकेगा। 

मधुमेह एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर इंसुलिन हार्मोन का पर्याप्त निर्माण नहीं कर पाता या उसका सही उपयोग नहीं करता। इसके परिणामस्वरूप रक्त में शुगर (ग्लूकोज) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंग — जैसे आंखें, गुर्दे, हृदय और नसें —प्रभावित होती हैं। 

मधुमेह दो प्रकार का होता है : 

1. टाइप-1 डायबिटीज : इसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। 2. टाइप-2 डायबिटीज : इसमें शरीर इंसुलिन का उपयोग ठीक से नहीं कर पाता। असंतुलित आहार, तनाव, शारीरिक निष्क्रियता, नींद की कमी और मानसिक दबाव जैसी आदतें मधुमेह के प्रमुख कारण हैं। इसलिए इसे लाइफस्टाइल डिसआर्डर भी कहा जाता है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा का संतुलन है। योगाभ्यास से तनाव कम होता है, अग्न्याशय की क्रियाशीलता बढ़ती है, और इंसुलिन स्राव में सुधार होता है।  

मधुमेह नियंत्रण हेतु प्रमुख योगासन 

  1. सूर्य नमस्कार : सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय रखता है और मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है। 
  2. अर्धमत्स्येन्द्रासन : अग्न्याशय को सक्रिय कर इंसुलिन के स्राव को संतुलित करता है। 
  3. धनुरासन : पेट के अंगों पर अच्छा प्रभाव डालता है और ब्लड शुगर कम करने में सहायक है।  
  4. पवनमुक्तासन : पाचन सुधारता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालता है।  
  5. मंडूकासन : यह विशेष रूप से मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी माना गया है।  
  6. वज्रासन : भोजन के बाद इसका अभ्यास पाचन सुधारता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है।  

अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायाम मानसिक तनाव घटाकर हार्मोनल संतुलन बनाए रखते हैं। ध्यान मन को शांत कर कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को घटाता है, जिससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है। योग के साथ आहार अनुशासन पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए जिसमें साबुत अनाज, हरी सब्जियां, फल और फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करें। चीनी और जंक फूड से बचें। समय पर भोजन और पर्याप्त नींद का पालन करें। 

मधुमेह से बचाव और नियंत्रण के लिए योग एक सुरक्षित, सस्ता और स्थायी उपाय है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। इस विश्व मधुमेह दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम योग और संतुलित जीवनशैली को अपनाकर इस बढ़ते रोग से न केवल स्वयं को बल्कि समाज को भी स्वस्थ बना सकते हैं।

Published / 2025-11-11 13:09:12
योग थेरेपी लाइफस्टाइल डिसऑर्डर से मुक्ति की प्राकृतिक राह : योगाचार्य महेश पाल

एबीएन हेल्थ डेस्क। योग से युवा जागरुक और स्वस्थ युवा अभियान के तहत देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार उत्तराखंड में योग सेमीनार आयोजित किया गया जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों के 200 से भी अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया, यह सेमिनार विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ।

जिसमें मुख्य वक्ता (रिसोर्स पर्सन) की भूमिका के लिए गुना के योगाचार्य महेश पाल को चुना गया विश्वविद्यालय के योग विभाग की एचओडी डॉ अल्का मिश्रा और प्रोफेसर संतोषी साहू द्वारा योगाचार्य महेश पाल का स्वागत किया गया। उसके पश्चात गायत्री महामंत्र वा योग मंत्रों द्वारा योग सेमिनार प्रारंभ हुआ।

जिसमें योगाचार्य महेश पाल द्वारा योग थेरेपी फॉर लाइफस्टाइल डिसऑर्डर विषय पर महत्वपूर्ण उद्बोधन देते हुए कहा कि आज के आधुनिक युग में मनुष्य की जीवनशैली जितनी सुविधाजनक हुई है, उतनी ही असंतुलित भी। अत्यधिक मानसिक तनाव, असंतुलित आहार, नींद की कमी और शारीरिक निष्क्रियता ने मिलकर कई लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स (Lifestyle Disorders) को जन्म दिया है।

जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज़, मोटापा, थायरॉइड, डिप्रेशन और हृदय रोग आदि। इन रोगों के उपचार में जहाँ दवाएँ केवल लक्षणों को नियंत्रित करती हैं, वहीं योग थेरेपी जड़ से संतुलन स्थापित करने की दिशा में कार्य करती है। योग थेरेपी (Yoga Therapy) का आशय केवल आसन या प्राणायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र उपचार पद्धति है जिसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन लाने का प्रयास किया जाता है।

 योग थेरेपी का उद्देश्य शरीर की प्राकृतिक चिकित्सा क्षमता को जाग्रत करना है।योग थेरेपी केवल रोग निवारण का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाती है कि कैसे मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित किया जाए। जब मन शांत होता है और शरीर स्वस्थ, तभी सच्चा स्वास्थ्य संभव होता है। 

उन्होंने विद्यार्थियों को आगे बताया कि लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स के कई कारण है जिसमें असंतुलित दिनचर्या, फास्ट फूड और जंक फूड का अधिक सेवन, देर रात तक जागना, नींद की कमी, तनावपूर्ण कार्य वातावरण, मोबाइल और स्क्रीन का अत्यधिक प्रयोग शारीरिक गतिविधि का अभाव, योग थेरेपी से कई लाभ प्राप्त  होते हैं।

जिसमें आसनों का अभ्यास पैंक्रियास की क्रियाशीलता में सुधार कर ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम और ध्यान से रक्तचाप सामान्य रहता है।सर्वांगासन, मत्स्यासन, और उष्ट्रासन थायरॉइड ग्रंथि को संतुलित करते हैं। सूर्य नमस्कार और कपालभाति से चर्बी घटती है। 

डिप्रेशन और तनाव से बचाव मै ध्यान काफी उपयोगी है और भ्रामरी प्राणायाम से मानसिक संतुलन बनता है। बही एचओडी डॉ अल्का मिश्रा ने कहा कि योग थेरेपी के साथ आहार चिकित्सा भी आवश्यक है जिसमें सात्विक आहार पर बल दिया जाता है जिसमें फल, सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, दूध, दही, और स्वच्छ जल का सेवन प्रमुख है। 

वहीं प्रोफेसर संतोषी साहू ने बताया कि आज जब लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स विश्वभर में तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में योग थेरेपी एक आशा की किरण बनकर उभरी है। यह न केवल रोगों को मिटाती है, बल्कि व्यक्ति को संपूर्ण स्वास्थ्य, संतुलन और सुख की दिशा में ले जाती है। 

आवश्यक है कि हम योग को केवल अभ्यास न मानें, बल्कि अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं, क्योंकि योग ही जीवन है, और स्वस्थ जीवन ही सच्चा योग है। इस अवसर पर मुकेश कुमार, प्रवीण कुमार सहित विभागीय सदस्य मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

Published / 2025-10-28 20:19:21
शरीर को सभी परेशानियों से बचाता है योग-प्राणायाम : महेश पाल

खराब मौसम में वायु जल तत्वों के असंतुलन से शरीर में ठंडक जकड़न और रक्तसंचार की कमी से बचाव के लिए करे योग-प्राणायाम : योगाचार्य महेश पाल

एबीएन हेल्थ डेस्क। वर्तमान समय में चल रहे मौसम में बदलाव के कारण स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हमारे सामने आ रही हैं योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि जब आसमान बादलों से घिरा हो, ठंडी हवाएं चल रही हों या कभी भी बरसात और धूल भरी आंधी की संभावना बनी हो, तब मनुष्य का शरीर और मन दोनों प्रकृति के इस बदलाव से गहराई से प्रभावित होते हैं। 

ऐसे खराब मौसम में अकसर लोग थकावट, आलस्य, बेचैनी, सर्दी-जुकाम, जोड़ों में दर्द, तनाव या मानसिक उदासी महसूस करते हैं। ठीक इसी परिस्थिति में योग का अभ्यास शरीर और मन दोनों को संतुलन में रखने का सर्वोत्तम उपाय है। खराब मौसम में वायु और जल तत्वों का असंतुलन बढ़ जाता है, जिससे शरीर में ठंडक, जकड़न और रक्तसंचार की कमी होती है। 

ऐसे समय में सूर्यनमस्कार, त्रिकोणासन, भुजंगासन, ताड़ासन जैसे योगासन शरीर में ऊर्जा प्रवाह को बढ़ाते हैं इनसे रक्तसंचार सुधरता है, जोड़ों में लचीलापन आता है, और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे सर्दी-जुकाम या वायरल संक्रमण से बचाव होता है। बरसात या ठंड के मौसम में हवा में नमी और धूल के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। 

ऐसे में भस्त्रिका, सूर्यभेदी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति प्राणायाम अत्यंत लाभकारी होते हैं। ये न केवल श्वास नलिकाओं को साफ करते हैं, बल्कि फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे आक्सीजन की मात्रा शरीर में संतुलित रहती है। खराब मौसम के दौरान अक्सर उदासी, नकारात्मकता और सुस्ती मन में घर कर लेती है। इस स्थिति में ध्यान व्यक्ति को आत्मसंयम और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। 

कुछ मिनटों का ध्यान मन को हल्का करता है, विचारों को स्थिर करता है और अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। खराब मौसम में सबसे अधिक जरूरत होती है प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की। योगिक क्रियाएं जैसे जलनेति, कुंजल क्रिया, और त्राटक शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध करती हैं और रोगों से बचाव की क्षमता विकसित करती हैं। नियमित अभ्यास से शरीर वातावरण के परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील बनता है। 

खराब मौसम में बाहर व्यायाम या वॉक संभव नहीं होता, लेकिन योग घर के भीतर आराम से किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। सिर्फ एक शांत जगह, योगा मैट और मन की तैयारी चाहिए। सुबह या शाम के समय हल्का संगीत या मंत्र उच्चारण के साथ योग करने से मन को नई ऊर्जा मिलती है। योग केवल शरीर का व्यायाम नहीं, बल्कि यह प्रकृति और आत्मा के बीच संतुलन का मार्ग है। 

खराब मौसम में जब प्रकृति असंतुलित प्रतीत होती है, तब योग हमें सिखाता है कि अंदर की स्थिरता बनाए रखें। योगिक दर्शन कहता है  योग: चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात् योग मन की वृत्तियों को शांत करने का माध्यम है। इस दृष्टि से देखा जाए तो खराब मौसम बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक तपस्या का अवसर बन सकता है। 

इस प्रकार के मौसम में सर्दी जुकाम कफ खांसी से बचाव के लिए कुछ आयुर्वेदिक औषधियां का भी प्रयोग किया सकता है जिसमें गिलोय का काढ़ा, गुनगुने पानी का उपयोग, सुबह से लेकर शाम के बीच में एक समय अजवाइन लहसुन अदरक गुड काली मिर्च लौंग का काढ़ा काफी उपयोगी होता है साथ में ही रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म पानी में हल्दी और काला नमक को उबालकर उस पानी से गरारे जरूर करें जिससे गले के इन्फेक्शन कफ खांसी में काफी आराम मिलता है।

7 में यह ज्ञान विशेष रूप से रखें इस प्रकार के खराब मौसम में ठंडी वस्तुएं खट्टी वस्तुएं अचार का सेवन बिल्कुल न करें इस प्रकार के खाद्य पदार्थों में सावधानी बरते और योग का अभ्यास करते रहें, खराब मौसम शरीर और मन दोनों की परीक्षा लेता है, परंतु योग उस परीक्षा को अवसर में बदल देता है।योग न केवल स्वास्थ्य की रक्षा करता है, बल्कि धैर्य, सकारात्मकता और आत्मबल भी बढ़ाता है।इसलिए, चाहे आंधी हो, बरसात हो या ठंड का मौसम योग हर परिस्थिति में मानव का सबसे विश्वसनीय साथी है।

Published / 2025-10-16 17:27:02
क्रिया योग आध्यात्मिक और मानसिक जागृति का विज्ञान है : वेद प्रकाश शर्मा

एबीएन हेल्थ डेस्क। आंध्रप्रदेश की राजधानी अमरावती में चल रहे सेकंड आल इंडिया योगासन पुलिस गेम में योगासन भारत के जॉइंट सेक्रेटरी एवं योगासना पुलिस गेम के कंपटीशन डायरेक्टर वेद प्रकाश शर्मा ने योगासन जजेस को योग सत्र में योग का अभ्यास कराया। 

उन्होंने क्रिया योग के बारे में जानकारी दी। नेशनल योगासना जज योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि वेदप्रकाश शर्मा मध्य प्रदेश योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। साथ ही वे पिछले कई समय से मध्य प्रदेश व देश में योगासन खेल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 

योग सत्र में वेद प्रकाश शर्मा ने क्रिया योग के बारे में बताया कि आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली में क्रिया योग मानव जीवन में संतुलन और शांति लाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया है। यह केवल एक योग विधि नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक जागृति का विज्ञान है। 

क्रिया योग का अर्थ है क्रिया (कर्म) के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार। श्री शर्मा ने आगे बताया कि इसमें श्वास-प्रश्वास, ध्यान और प्राणायाम का संयोजन होता है, जो शरीर, मन और आत्मा तीनों को संतुलित करता है। 

क्रिया योग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योग सूत्र में वर्णन है जिसके अंतर्गत तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान को रखा गया है इसके नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सुधरता है, जिससे पाचन, रक्त संचार और श्वसन तंत्र मजबूत होते हैं। मानसिक स्तर पर यह योग मन को शांत, स्थिर और एकाग्र बनाता है। तनाव, चिंता और असंतुलन धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। 

भावनात्मक रूप से व्यक्ति अधिक करुणामय और संतुलित हो जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से क्रिया योग आत्मा की अनुभूति का मार्ग है। यह व्यक्ति को बाहरी आसक्तियों से मुक्त कर उसकी अंतर्निहित चेतना से जोड़ता है। वर्तमान समय में जब मनुष्य भौतिक उपलब्धियों के बावजूद आंतरिक शांति से दूर है, तब क्रिया योग ही वह साधना है जो जीवन को शांति, स्थिरता और आत्मिक आनंद प्रदान कर सकती है।

Published / 2025-10-13 21:56:50
एक्सपायरी पानी बेचना यानि जीवन से खिलवाड़

एक्सपायरी डेट का पानी बेचना जीवन से खिलवाड़ 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। बिना किसी ट्रेडमार्क, मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स और एक्सपायरी डेट का पानी बेचना लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं के प्रति घोर लापरवाही व सेवाओं में कमी है। इसके लिए विक्रेता जवाबदेह है। उपभोक्ता आयोग में शिकायत करने पर पीड़ित को राहत मिल सकती है। 

एक दुकानदार एक्सपायरी डेट की पानी की बोतल बेच रहा था। स्थानीय लोगों की शिकायत पर खाद सुरक्षा अधिकारी ने छापेमारी की, तो उसकी दुकान में 766 बोतलें एक्सपायर डेट की पायी गयी। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने उनमें से 16 बोतलें तो जांच के लिए सील कर दी जबकि 750 पानी की बोतलें मौके पर ही नष्ट करवा दी, ताकि भविष्य में उनका कोई उपयोग न कर सके। यह घटना जिला श्रावस्ती के हरदत्त नगर गिरंट थाना क्षेत्र की है। 

यह था मामला 

एक उपभोक्ता ने जब दुकान से पानी की बोतल को खरीदा तो उसने देखा कि पानी की पैकिंग के समय जो एक्सपायरी डेट अंकित है वह बीत चुकी है। इस पर उसने इसकी सूचना एसडीएम को दी। एसडीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए खाद सुरक्षा अधिकारी को मामले में कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। 

जिसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने पुलिस टीम के साथ संबंधित दुकान में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान उक्त एक्सपायरी डेट की पानी की बोतलें पकड़ी गयी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि एक्सपायरी डेट के पानी के नमूने की रिपोर्ट आने के बाद दुकानदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी। 

ग्वालियर में शिकायतों पर कार्रवाई 

इसी प्रकार ग्वालियर में बिना किसी ट्रेडमार्क, मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स और एक्सपायरी डेट का पानी बाजार में बेचकर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जिला मजिस्ट्रेट ने की है। उन्होंने तहसील दिवस पर जनसुनवाई के दौरान एक्सपायरी डेट का बोतल बंद पानी बेचने वालों के खिलाफ एडीएम को कार्रवाई करने के निर्देश दिये। 

जनसुनवाई के दौरान लोगों ने क्षेत्र की दुकानों पर बिना मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स व बिना एक्सपायरी डेट अंकित किए पानी के पाउच बिकने की शिकायत की थी। उपभोक्ता अपने साथ खाली पाउच लेकर आये थे। इन पाउच में ट्रेडमार्क, मैन्युफैक्चरिंग व एक्सपायरी डेट छपी हुई नहीं थी। जिसे जिला मजिस्ट्रेट ने गंभीरता से लिया और दोषी दुकानदारों के विरुद्ध कार्यवाही की गयी। 

स्वास्थ्य के लिए जरूरी पर्याप्त जलपान 

दरअसल, पानी जिसे जल ही जीवन कहा गया है, हमारे स्वास्थ्य में एक अहम योगदान करता है। तभी तो चिकित्सक भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं। पानी का सेवन न सिर्फ हमारे शरीर को अंदर से हाइड्रेट रखता है बल्कि इसका असर हमारी त्वचा और सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। 

वहीं शरीर में पानी की कमी होने पर डिहाइड्रेशन से लेकर थकान, सिरदर्द, चक्कर आना और कब्ज जैसी समस्या हो सकती है। लेकिन शायद ही हम कभी यह सोचते हो कि बोतल बंद पानी की भी एक्सपायरी डेट होती है। वास्तव में हम कितने दिनों तक का रखा हुआ या फिर बोतल बंद पानी पी सकते हैं? 
खराब पानी बेचना सेवाओं में कमी 

कानून की दृष्टि से भी एक्सपायरी डेट का पानी बेचना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत उपभोक्ताओं के प्रति घोर लापरवाही व सेवाओं में कमी की परिधि में आता है। जिसके लिए विके्रता को जवाबदेह ठहराया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित उपभोक्ता को मुआवजा या अन्य राहत उपभोक्ता आयोग में शिकायत करने पर मिल सकती है। 

पानी में अशुद्धि का प्रश्न 

राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे संजय जैन का कहना है कि अगर पानी पूरी तरह से शु्द्ध है तो वह खराब नहीं होता है। क्योंकि शुद्ध पानी में किसी भी तरह के बैक्टीरिया, मिनरल्स और अशुद्धियां नहीं पाई जाती हैं। जब तक पानी में किसी तरह की अशुद्धि नहीं होती है तब तक वह खराब भी नहीं होता है। यदि पानी किसी गंदे कंटेनर या किसी खराब चीज के संपर्क में नहीं आता है वह तब तक खराब नहीं होता। लेकिन स्टोर किये गये पानी की क्वालिटी इस बात पर निर्भर करती है कि उसको कैसे और किस जगह पर स्टोर किया गया है। 

वहीं बोतल बंद पानी को ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह पर रखा जाता है तो ऐसी बोतल में रखा पानी एक्सपायरी डेट के बाद भी काफी समय तक सेफ रख सकता हैं। लेकिन तब भी इसका टेस्ट बदल सकता है। इसलिए ऐसे पानी को पीना कतई सही नहीं है। वही अगर पानी की बोतल खुल गई है तो इस पानी को 2-3 दिन के अंदर तक ही पी सकते हैं। क्योंकि बोतल खुलने के बाद इसमें बैक्टीरिया और फंगस होने की संभावना बढ़ जाती है।

Published / 2025-10-12 19:35:47
एचसीजी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर अस्पताल ने स्तन कैंसर चैंपियनों के सम्मान में विशेष रैंप वॉक

स्तन कैंसर चैंपियनों और महिला आइकनों के साहस का सम्मान के लिए समर्पित एक अनोखा रैंप वॉक 

गो पिंक, गेट स्क्रीनिंग थीम के साथ, कैंसर से उबर चुकी महिलाओं का सम्मान और जागरूकता कार्यक्रम 

टीम एबीएन, रांची। 12 अक्टूबर 2025 को आई एमए रांची में एचसीजी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर अस्पताल, रांची ने द पिंक कार्पेट का आयोजन किया गया। जो स्तन कैंसर चैंपियनों और महिला आइकनों के साहस का सम्मान करने के लिए समर्पित एक अनोखा रैंप वॉक था। गो पिंक, गेट स्क्रीनिंग थीम के साथ, इस कार्यक्रम में प्रारंभिक जांच का आह्वान किया गया, जागरूकता बढ़ायी गयी और स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं को एकजुट किया गया।

झारखंड राज्य आरोग्य सोसाइटी, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड सरकार, रांची की कार्यकारी निदेशक श्रीमती नेहा अरोड़ा, आईएएस की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इस कार्यक्रम में 60-80 स्तन कैंसर से उबर चुकी महिलाओं और विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न महिला आइकनों ने आत्मविश्वास के साथ रैंप वॉक किया। इस कार्यक्रम में परिवारों, चिकित्सा पेशेवरों, गैर-सरकारी संगठनों आदि सहित 120 से अधिक अतिथि भी शामिल हुए। 

आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत एक्सक्यूटिव निदेशक अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर हॉस्पिटल के सईद अहमद अंसारी ने किया। रैंप वॉक केवल फैशन के बारे में नहीं, बल्कि शक्ति, सुंदरता और आशा के बारे में भी था। मंच पर चलने वाली थ्राइवर्स ने स्तन कैंसर से उबर कर एक प्रतीक बनकर समय पर जांच के महत्व का एक सशक्त संदेश दिया। वरिष्ठ डॉक्टरों और अस्पताल के प्रतिनिधियों ने स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नियमित जांच के महत्व के लिए एचसीजी की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। 

उन्होंने महिलाओं से स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और समय पर जांच कराने का भी आग्रह किया। एचसीजी कैंसर अस्पताल, रांची में रेडिशन आन्कोलॉजी के वरिष्ठ डॉक्टर, डॉ. मो आफताब आलम अंसारी ने कहा, स्तन कैंसर जागरूकता माह के अवसर पर, यह समझना जरूरी है कि कैंसर अब उम्र की सीमा तक सीमित नहीं है। हालांकि आनुवंशिकी एक भूमिका निभाती है, लेकिन जीवनशैली, आहार और पर्यावरणीय कारक युवा महिलाओं में जोखिम को तेजी से प्रभावित कर रहे हैं। 

निष्क्रिय आदतें, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और देर से गर्भधारण इस प्रवृत्ति में योगदान दे रहे हैं। द पिंक कार्पेट जैसे आयोजन समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बनाते हैं, जो जीवित बचे लोगों की कहानियों के माध्यम से परिवारों को प्रेरित करते हैं और समय पर पहचान और समय पर चिकित्सा देखभाल के जीवन-रक्षक महत्व पर जोर देते हैं। एचसीजी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर अस्पताल, रांची में चिकित्सा सलाहकार, डॉ. चंद्रशेखर प्रसाद सिंह ने कहा कि महिलाओं का एक छोटा सा हिस्सा ही जानता है कि स्वयं स्तन परीक्षण कैसे करें। 

डर और कलंक अक्सर उन्हें मदद लेने से रोकते हैं। जागरूकता कार्यक्रम शीघ्र पहचान को प्रोत्साहित करने, बातचीत को बढ़ावा देने और समुदायों को स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने तथा एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं सईद अहमद अंसारी कार्यकारी निदेशक, एचसीजी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर अस्पताल, रांची ने कहा कि यह पहल वास्तव में जागरूकता- संचालित कार्यक्रमों की शक्ति को रेखांकित करती है। 

इसे मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया हमें ऐसे कार्यक्रमों को और अधिक बार आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे समुदायों को शीघ्र कार्रवाई करने, समय पर चिकित्सा मार्गदर्शन प्राप्त करने और एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए सशक्त बनाया जा सके। निरंतर जागरूकता प्रयासों ने यह सुनिश्चित करने में मदद की है कि स्वास्थ्य हर दिन प्राथमिकता बना रहे न कि केवल संकट के समय में। 

श्री इरशाद खान, मुख्य परिचालन अधिकारी, एचसीजी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर अस्पताल, रांची, ने कहा, एचसीजी में, जागरूकता फैलाना हमेशा हमारे प्रयासों का केंद्र रहा है। पिंक कार्पेट ऐसी कई पहलें हैं जिनके माध्यम से हम स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में लोगों को शिक्षित, सशक्त और समर्थन देने का प्रयास कर रहे हैं।  वर्षों से, हमारी प्रतिबद्धता न केवल उन्नत उपचार प्रदान करने की रही है, बल्कि समुदायों को सूचित और प्रेरित रखने की भी रही है। 

एचसीजी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर अस्पताल के द पिंक कार्पेट रैंप वॉक ने न केवल स्तन कैंसर से उबरी महिलाओं के साहस का जश्न मनाया, बल्कि जागरूकता, सशक्तिकरण और समय पर देखभाल के प्रति अस्पताल की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, प्रारंभिक जांच के लिए समुदाय-व्यापी आह्वान भी किया। एचसीजी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर अस्पताल, रांची, कैंसर देखभाल में उत्कृष्टता का एक समर्पित केंद्र है, जो प्रत्येक रोगी को बेहतर जीवन स्तर के साथ-साथ व्यक्तिगत कैंसर देखभाल और उपचार प्रदान करने पर केंद्रित है।

इस केंद्र में नवीनतम अत्याधुनिक उपकरण हैं जो इसके विशेषज्ञों की उच्च कुशल टीम को कई नवीन अनुसंधान परियोजनाओं में शामिल होने में सक्षम बनाते हैं। इसने सर्जिकल आन्कोलॉजी, मेडिकल आॅन्कोलॉजी और रेडिएशन आन्कोलॉजी, पीईटी सीटी जैसी विशेषज्ञ निदान सुविधाओं के साथ बाल चिकित्सा आन्कोलॉजी में भी उच्च मानक प्राप्त किए हैं। उच्च-स्तरीय विकिरण प्रणालियां और सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ उपचार योजनाएं भी उपलब्ध हैं। मौके पर मनोरंजन राय ब्रांडिंग कम्युनिकेशन मैनेजर, विकास कुमार सिंह मार्केटिंग हेड समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Published / 2025-10-10 19:55:34
केवल विक्षिप्त अवस्था ही नहीं है मानसिक रोग : स्वामी मुक्तरथ

टीम एबीएन रांची। आज विश्व मानशिक स्वास्थ्य दिवस पर डीएवी कपिलदेव और डीएवी गाँधीनगर पब्लिक स्कूल में स्वामी मुक्तरथ का मानशिक स्वास्थ्य पर व्याख्यान माला हुआ। स्वामी जी मानसिक बीमारियों की पहचान और इसके रोकने के उपाय पर योग के महत्वपूर्ण प्रभावों की जानकारी दिये।

उन्होंने कहा कि जब अमेरिका में कम उम्र के बच्चों में मानसिक उतावलापन और क्राइम टेंडेंसी तथा बहरापन बढ़ने लगा तथा दूसरी ओर योरोप में भी नशा और पागलपन बढ़ने लगा तब पहली बार 10 अक्टूबर 1992 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ की पहल पर इसे मनाया गया। 

इस बत्तीस वर्षों  के अंतराल में इसके रोकथाम पर कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है। ये पागलपन और विक्षिप्तता, अवसाद, आत्महत्या, ड्रग-एडिक्शन, पारिवारिक विखराव में वृद्धि ही हुई है। भारत ने दुनियाँ को इसके रोकने का प्रबल उपाय अध्यात्म और योग बताया है। यहाँ के योगीयों और मनीषियों ने अमेरिका, योरोप, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में जाकर बहुत काम किया है और लगातार कर रहे हैं नहीं तो स्थिति और भी गड़बड़ हो जाती। योग मानसिक तंदुरूस्ती तथा तनावमुक्ति के लिये बहुत प्रभावकारी साधन है।

आचार्य मुक्तरथ जी ने कहा कि हमलोग सिर्फ विक्षिप्तता और अवसाद को ही मानसिक रोग समझ रहे हैं पर बहुत सारी हरकते मानसिक रोग के अंतर्गत आती है। बार-बार पैर हिलाना, अंगुलियों को कुरेदना, आँखें मिचलाना, कहीं भी थूक फेंकना, पेशेंस का कम होना, धैर्य की कमी, बार-बार गुस्सा आना,अपराध वृति, अनिद्रा, विद्वेष,घबराहट ये सब मानसिक हैं। यहाँ तक कि कब्ज, पाचन तन्त्र के रोग, दमा, स्किन प्रॉब्लम भी मानसिक समस्याओं का वजह है।

Published / 2025-10-09 21:57:31
मानसिक तनाव को दूर करता है योग-प्राणायाम : स्वामी मुक्तरथ

एबीएन सोशल डेस्क। मानसिक तनाव को दूर करने में कुछ खास पहलुओं को अपनाने की जरूरत है जिसमें योग, ध्यान, संगीत, मित्रों के साथ वार्तालाप, सत्संग, पांच मिनट गहरे श्वसन का अभ्यास, कीर्तन बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। 

योगासन में सूर्य नमस्कार, योगमुद्रा, शशांकासन, धनुरासन, कूर्मासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, सर्वांगासन प्रमुख है। प्राणायाम में भस्त्रिका, नाड़ीशोधन, भ्रामरी प्रमुख है। ध्यान - योगनिद्रा मानशिक रोग को रोकने में बहुत प्रभावशाली है।

दुनिया में तनाव और मानशिक समस्याओं के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 10 अक्टूबर 1992 को लोगों में जागरूकता हेतू विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की घोषणा की गई। पर इतने लम्बे समय में भी हमलोग अभी तक मानसिक रोगियों की वृद्धि को रोकना तो दूर की बात रही, हम मानसिक रोग को पहचानने से भी बहुत दूर रहे हैं। केवल विक्षिप्त लोगों को ही हम पागल मान बैठे और यहीं तक हमारी धारणा सीमित रही।

आये दिन तोड़-फोड़, जरा सी बातों पर गंभीर लड़ाई छेड़ देना, परिवार के बीच बेतरतीब झगड़े, भाई-भाई के बीच का झगड़ा, पति-पत्नी के रिश्ते ध्वस्त हो रहे हैं, प्रतिस्पर्धाओं में ईर्ष्या ने जगह बना ली है। धैर्य (पेशेंस) बिल्कुल खत्म हो रहा है, मस्तिष्क में नकारात्मक सोच बढ़ रहे हैं, प्रवृत्ति गंदी हो रही है, वायुमंडल को हम गंदा कर रहे हैं क्या ये मानसिक अस्वस्थता नहीं है?

आज के मनोविश्लेषक और मनोवैज्ञानिक इसे भी मानसिक रोगियों की श्रेणी में खड़ा कर रहे हैं। सिर्फ पागलपन, अवसाद, चिन्ता, फ्रस्टेशन, अनिद्रा, तनाव, स्क्रीजोफ्रेनिया, भय, कुंठा आदि ही मानसिक बीमारी नहीं है बल्कि उच्च-रक्तचाप,हृदय रोग, कब्ज,पाचन प्रणाली की समस्या, अल्सर,कैन्सर, दमा,माइग्रेन जैसी बीमारियां भी मानसिक हैं। 

हमें बहुत जल्द इसे समझने की जरूरत है नहीं तो स्थिति बहुत खराब हो जायेगी। इन सभी समस्याओं को समझने के साथ हमें भारत की शक्तिशाली विद्या योग को भी समझने की बहुत जरूरत है जिसे हजारों वर्ष पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों ने दिया था। यह विद्या पूर्णरूप से मानसिक स्वास्थ्य को प्रदान करता है।

योग शारिरिक साधना है और यह मन को शक्तिशाली तथा शुद्ध बनाता है : स्वामी मुक्तरथ

योग मानसिक समस्याओं को दूर करता है, इसके बिना मनोवैज्ञानिक उपचार अधूरा लम्बे वर्षों के बाद भी मानसिक रोग को दूर करने में योग के व्यापक प्रभाव से दूर हैं। योग भारत की ऐसी विद्या है जिसमें मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की विस्तृत चर्चा है। इसके अलावा भी हमारे बहुत सारे धार्मिक शास्त्रों में भी मानस रोग की चर्चा का उल्लेख मिलता है।

वर्तमान समय में योग के द्वारा कठिन व्याधियों को दूर किया जा रहा है। मानसिक समस्याओं पर भी विदेशों में खास करके योरोप में काफी रिसर्च हो चुके हैं जो बहुत सफल और महत्वपूर्ण साबित हुआ है। हमें सही रूप से योग को जानने की जरूरत है और इसके उपचारात्मक बिधियों को समझने की जरूरत है। यदि हम अपने दिनचर्या में योग को शामिल करते हैं तो बहुत बड़ा मानसिक परिवर्तन देखने को मिल सकता है इसमें कोई दो मत नहीं है।

भारत के नामचीन मानसिक प्रतिष्ठान सीआईपी, काँके में 8 वर्ष का योगचिकित्सा का अनुभव

मानसिक तनाव को दूर करने में कुछ खास पहलूओं को अपनाने की जरूरत है जिसमें योग, ध्यान, संगीत,मित्रों के साथ वार्तालाप,सत्संग, पाँच मिनट गहरे श्वसन का अभ्यास, कीर्तन बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। योगासन में- सूर्यनमस्कार, योगमुद्रा, शशांकासन, धनुरासन,कुर्मासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, सर्वांगासन प्रमुख है।

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