एबीएन डेस्क। चीन ने कोरोना वायरस की सच्चाई दबाने के लिए हर कोशिश की और अपने डॉक्टरों व अधिकारियों का मुंह बंद करवाने में कामयाब रहा। अब चीनी वैक्सीन को लेकर बयान देने वाले चीन के रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) के निदेशक गाओ फू भी अपने बयान से मुकर गये हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले अपने बयान में कहा था कि चीन की फार्मा कंपनी सिनोविक द्वारा विकसित की गई वैक्सीन कोरोना वायरस पर कम कारगर है। सरकार इस वैक्सीन को अधिक कारगर बनाने की तैयारी में जुटी है। उन्होंने ये भी कहा था कि स्वदेशी वैक्सीन को पारंपरिक तरीके से विकसित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने चीन को एमआरएनए तकनीक का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। इस बयान के बाद चीन की सरकार में खलबली मच गई थी।
एबीएन डेस्क। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक टेड्रोस अदनोम घेबियस ने कहा कि कोरोना संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है। जनवरी- फरवरी में कोरोना की रफ्तार कम हो गई थी। करीब छह हफ्ते तक कोरोना के मामले लगातार घट रहे थे। लेकिन मार्च के मध्य से कोरोना केस बढ़ने लगे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से महामारी फिर से पैर फैलाने लगी है। संक्रमित होने के साथ-साथ मौतें की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस एक लंबी प्रक्रिया है, इतनी जल्द इसपर काबू नहीं पाया जा सकता। हालांकि, उन्होंने कहा कि कोविड बिहेवियर के जरिए हम इस पर काबू पा सकते हैं। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि दुनियाभर में 780 मिलियन वैक्सीनेशन होने के बाद भी एशिया और मध्य पूर्व के कई देशों में कोरोना मामलों में बढ़ोतरी देखी गई हैं। निदेशक टेड्रोस अदनोम घेबियस ने कोरोना की चेन तोड़ने के लिए मास्क , सामाजिक दूरी, ट्रैकिंग, ट्रिटमेंट समेत कोविड बिहेवियर अपनाने पर जोर दिया।
इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा में आये जोरदार भूकंप में कम से कम 8 व्यक्तियों की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हो गए जबकि 300 से अधिक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई। वहीं इस भूकंप के झटके पर्यटक केंद्र बाली में भी महसूस किए गए। हालांकि सुनामी की कोई चेतावनी जारी नहीं की गई। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने बताया कि स्थानीय समयानुसार अपराह्न दो बजे आये भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई। उसने बताया कि इसका केंद्र पूर्वी जावा प्रांत के मलंग जिले के सुम्बरपुकंग शहर से 45 किलोमीटर दक्षिण में 82 किलोमीटर की गहराई में स्थित था।इंडोनेशिया के भूकंप एवं सुनामी केंद्र के प्रमुख रहमत त्रियोनो ने एक बयान में बताया कि भूकंप का केंद्र समुद्र के भीतर स्थित था, लेकिन इसके झटके में सुनामी उत्पन्न करने की क्षमता नहीं थी। उन्होंने इसके बावजूद लोगों से मिट्टी या चट्टानों के ऐसे ढलानों से दूर रहने का आग्रह किया जहां भूस्खलन का खतरा हो। इस सप्ताह इंडोनेशिया में आने वाली यह दूसरी घातक आपदा थी क्योंकि गत रविवार को हुई भीषण बारिश से कम से कम 174 लोगों की मौत हो गई थी और 48 व्यक्ति अभी भी लापता हैं। वहीं इसमें हजारों घरों को नुकसान पहुंचा था। राष्ट्रीय आपदा बचाव एजेंसी ने बताया कि शनिवार को आए भूकंप से पूर्वी जावा के लुमाजैंग जिले में चट्टानों के गिरने से मोटरसाइकिल सवार एक महिला की मौत हो गई और उसका पति गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्होंने बताया कि जिले में इससे दर्जनों मकान क्षतिग्रस्त हो गए और बचावकर्मियों ने काली उलिंग गांव में मलबे से दो शव निकाले। लुमाजांग और मलंग जिले की सीमा पर स्थित एक क्षेत्र में दो लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई। वहीं एक व्यक्ति मलंग में मलबे में मृत मिला। टेलीविजन की खबरों में पूर्वी जावा प्रांत के कई शहरों में मॉल और इमारतों से लोगों को दहशत में भागते हुए दिखाया गया। इंडोनेशिया की खोज एवं बचाव एजेंसी ने मलंग के पड़ोसी शहर ब्लीतर स्थित एक अस्पताल की क्षतिग्रस्त छत सहित क्षतिग्रस्त कुछ घरों एवं इमारतों के वीडियो एवं तस्वीरें जारी की। प्राधिकारी प्रभावित क्षेत्रों से हताहत हुए लोगों और क्षति की पूरी जानकारी एकत्रित कर रहे हैं। इंडोनेशिया अक्सर भूकंप के झटकों, ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी से प्रभावित होता है। गत जनवरी में पश्चिम सुलावेसी प्रांत स्थित मामुज़ू और माजिनी जिलों में आये 6.2 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 105 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 6,500 अन्य लोग घायल हो गए थे। वहीं इसके चलते 92,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए थे।
एबीएन डेस्क। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पति प्रिंस फिलिप का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे। लंदन स्थित बकिंघम पैलेस ने यह जानकारी दी। प्रिंस फिलिप को ड्यूक आफ एडिनबर्ग भी कहा जाता था। उनका और महारानी एलिजाबेथ का करीब 73 साल का साथ रहा। प्रिंस के निधन के साथ ही ब्रिटेन में शोक छा गया। ब्रिटेन की ऐतिहासिक इमारतों में उनके सम्मान में राष्ट्र ध्वज झुका दिए गए और राष्ट्रव्यापी शोक की घोषणा कर दी गई। बकिंघम पैलेस ने बयान जारी कर कहा, बहुत दुख के साथ महारानी ने अपने पति, हिज रॉयल हाईनेस द प्रिंस फिलिप, ड्यूक आॅफ एडिनबरा के निधन की घोषणा की है। प्रिंस फिलिप ने विंडसर कैसेल में शुक्रवार सुबह अंतिम सांस ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने प्रिंस फिलिप के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उन्होंने अनगिनत युवाओं के जीवन को प्रेरित किया है।
एबीएन डेस्क। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने कोविड-19 के मामले बढ़ने के कारण 11 अप्रैल से करीब दो हफ्तों के लिए भारत से आने वाले सभी यात्रियों के प्रवेश पर अस्थायी रोक लगाने की बृहस्पतिवार को घोषणा की। भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के कारण न्यूजीलैंड के नागरिकों के भी देश में प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है। न्यूजीलैंड हेराल्ड की खबर के मुताबिक, अर्डर्न ने कहा कि यह प्रतिबंध रविवार को शुरू होगा और 28 अप्रैल तक जारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित अन्य देशों से भी पैदा हो रहे खतरे का आकलन करेगी। न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस के 23 नए मामले आए हैं जिनमें से 17 संक्रमित लोग भारत से आए। इसके बाद यह यात्रा पाबंदी लगाई गई है। अर्डर्न ने कहा, यह स्थायी व्यवस्था नहीं है बल्कि अस्थायी कदम है। उन्होंने कहा कि कुछ देशों के यात्रियों पर पहले भी यात्रा पाबंदी रही है लेकिन कभी भी न्यूजीलैंड के नागरिकों और निवासियों की यात्रा पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया। उन्होंने कहा कि वह भारत में न्यूजीलैंड वासियों के लिए इस अस्थायी निलंबन से पैदा होने वाली परेशानियों को अच्छे से समझती हैं। उन्होंने कहा, लेकिन मुझे जिम्मेदारी का भी अहसास है और यात्रियों के समक्ष पैदा हो रहे खतरों को कम करने के तरीके तलाश करने का दायित्व भी मुझ पर है।
एबीएन डेस्क। ब्राजील में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 से सर्वाधिक 4,195 लोगों की मौत हुई। इससे पहले केवल दो देशों में एक दिन में वायरस से मौत के चार हजार से अधिक मामले सामने आए थे। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि देश में पिछले 24 घंटे में 4,195 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हुई है। देश में मृतक संख्या 3,40,000 के पास पहुंच गई है, जो अमेरिका के बाद सबसे अधिक है। अभी तक अमेरिका और पेरू में ही एक दिन में वायरस से मौत के चार हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के अनुसार, ब्राजील के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य साओ पाउलो में पिछले 24 घंटे में वायरस से करीब 1,400 लोगों की मौत हुई।
कोरोना वायरस संक्रमण अपने पीछे कितने दुष्प्रभाव छोड़ जाता है, इसका अभी तक पूरा अंदाजा दुनिया को नहीं है। इस संक्रमण के कारण फेफड़े के क्षतिग्रस्त होने और कई पुरानी बीमारियों की स्थिति और गंभीर हो जाने की बातें अब तक सामने रही हैं। लेकिन अब अनुसंधानकर्ताओं ने बताया है कि इंसान की मानसिक और मनोवैज्ञानिक सेहत पर भी ये वायरस अपना बहुत खराब असर डालता है। अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के छह महीनों के अंदर 34 फीसदी ठीक हुए मरीजों में न्यूरोलॉजी संबंधी या मानसिक समस्याएं उभरीं। ये अध्ययन रिपोर्ट ब्रिटिश जर्नल लासेंट साइकियाट्री में छपी है। देखा यह गया है कि जिन लोगों को कोरोना संक्रमण के दौरान अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें न्यूरोलॉजी संबंधी समस्याएं अधिक उभरीं। ये देखा गया है कि जो लोग कोरोना वायरस से जितना अधिक संक्रमित हुए, उनमें ये समस्या उतनी ही ज्यादा सामने आई। जिन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनके ऐसी बीमारी से पीड़ित होने की दर 39 फीसदी तक देखी गई है। इस अध्ययन रिपोर्ट को तैयार करने वाले विशेषज्ञ मैक्सिम ताके के मुताबिक इस रिपोर्ट से ये जरूरत सामने आई है कि जो लोग वायरस के संक्रमण से उबर जाते हैं, उन्हें भी मेडिकल सहायता कुछ समय देते रहने की जरूरत है। ताके ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मनोचिकित्सा विभाग से संबंधित हैं। उन्होंने कहा- हमारे अध्ययन से यह संकेत मिला है कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद फ्लू या सांस संबंधी अन्य संक्रमणों की तुलना में मरीज के दिमागी बीमारी होने या मनोचिकित्सकीय समस्या से पीड़ित होने की आशंका अधिक रहती है। इस अध्ययन को अपनी तरह की सबसे बड़ी स्टडी बताया गया है। इसमें 2,36,000 कोविड-19 मरीजों के स्वास्थ्य संबंधी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स का अध्ययन किया गया। ये मरीज ज्यादातर अमेरिकी हैं। इन मरीजों में बाद में उभरे लक्षणों की तुलना सांस नली के अन्य संक्रमण से पीड़ित हुए दूसरे मरीजों से की गई। ये बहुत साफ सामने आया कि कोविड-19 मरीजों के न्यूरोलॉजिकल या मनोचिकित्सकीय समस्याओं से पीड़ित होने की गुंजाइश 16 से 44 फीसदी तक ज्यादा थी। दो फीसदी कोविड-19 के मरीज दिमाग में खून के थक्के (ब्लड क्लॉट) जमने की समस्या से भी पीड़ित हुए। गौरतलब है कि कुछ अन्य छोटे अध्ययनों से भी ऐसे ही परिणाम सामने आए थे। इटली में हुए एक अध्ययन की पिछले फरवरी में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 30 फीसदी मरीजों को बाद में पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का सामना करना पड़ा था। इस अध्ययन में सिर्फ 381 मरीज ही शामिल हुए थे, इसलिए इसके निष्कर्ष की तब ज्यादा चर्चा नहीं हुई थी। इसके पहले बीते दिसंबर में जर्नल न्यूरॉलॉजीः क्लीनिकल प्रैक्टिस में एक अध्ययन रिपोर्ट छपी थी। उसके मुताबिक ठीक हुए कई कोविड-19 मरीजों को बाद में बेहोशी या चलने-फिरने में दिक्कत जैसी समस्याएं हुई थीं। ऐसा कई उन मरीजों को भी हुआ था, जो कोविड-19 वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित नहीं हुए थे। इन तमाम अध्ययनों के आधार पर अब विशेषज्ञों ने कहा है कि कोविड-19 ऐसी समस्या नहीं है, जिससे एक बार ठीक होने के बाद मुक्ति मिल जाती है। बल्कि इसकी वजह से हेल्थ सिस्टम पर एक लंबी अवधि का बोझ आ पड़ा है। ये बोझ कितना है, इसका अभी दुनिया को अंदाजा नहीं है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर पॉल हैरिसन ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- लांसेट साइकियाट्री में छपी ताजा अध्ययन रिपोर्ट की कमी यह है कि इसे रूटीन हेल्थ केयर डेटा के आधार पर तैयार किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि जो लोग अतिरिक्त समस्या से ग्रस्त हुए, उनके बारे में पूरी पड़ताल नहीं की गई है। यानी यह अंदाजा नहीं लगाया गया है कि उनके इलाज की आगे क्या चुनौतियां हैं।
एबीएन डेस्क। ताइवान पर अपना दावा करने का स्पष्ट संकेत देते हुए चीन स्वशासित द्वीप के निकट एक विमान वाहक युद्धक बेड़े के साथ नौसैन्य अभ्यास कर रहा है। चीन की नौसेना ने बताया कि इस अभ्यास का लक्ष्य चीनी संप्रभुता की रक्षा करना है। नौसेना ने कहा कि विमान वाहक पोत लियाओनिंग की संलिप्तता वाला यह अभ्यास नियमित है और यह एक वार्षिक आधार पर निर्धारित कार्यक्रम के तहत किया गया है। चीन अपने युद्धक विमानों से द्वीप के हवाई क्षेत्र में नियमित रूप से घुसपैठ करने और अभ्यासों के माध्यम से द्वीप पर कब्जा करने का खतरा लगातार बढ़ा रहा है। नौसेना ने सोमवार देर रात जारी बयान में यह नहीं बताया कि यह अभ्यास कब शुरू हुआ और यह कब तक चलेगा, लेकिन उसने बताया कि भविष्य में इस प्रकार के और अभ्यास होंगे। उसने कहा कि इस नौसेना अभ्यास का लक्ष्य राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा एवं विकास संबंधी हितों की रक्षा करने की क्षमता बढ़ाना है। ऐसा माना जाता है कि चीन ताइवान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल करता है। ताइवान सरकार ने चीन की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है कि वह द्वीप को चीनी क्षेत्र का हिस्सा माने।
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