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Published / 2024-06-24 22:00:43
थोक कारोबारी 3,000 तो खुदरा कारोबारी कर सकेंगे 10 टन गेहूं का भंडारण

एबीएन सेंट्रल डेस्क। केंद्र सरकार ने दालों के बाद अब गेहूं पर भंडारण सीमा लगा दी है। यह सीमा तत्काल प्रभाव से लागू होगी। साथ ही यह अगले साल 31 मार्च तक प्रभावी रहेगी। सरकार ने यह कदम गेहूं की जमाखोरी रोकने के साथ ही इसके दाम नियंत्रित करने के लिए उठाया है। केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को अरहर और चना पर भंडारण सीमा लगायी थी।

अब कितना गेहूं रख सकेंगे कारोबारी

केंद्र सरकार द्वारा भंडारण सीमा लगाने की अधिसूचना आज जारी कर दी है। इसके मुताबिक थोक कारोबारी 3,000 टन गेहूं का भंडारण कर सकेगा। प्रत्येक खुदरा कारोबारी अपने रिटेल आउटलेट पर 10 टन गेहूं रख सकता है। बिग चेन रिटेलर को प्रत्येक आउटलेट पर 10 टन और उनके सभी डिपो पर 3,000 टन गेहूं का भंडारण करने की अनुमति दी गयी है।

प्रोसेसर यानी आटा मिल वाले वर्ष 2024-25 के बचे महीनों में अपनी स्थापित मासिक क्षमता के 70 फीसदी तक गेहूं का भंडारण कर सकते हैं। सरकार ने उन कारोबारियों को जिनके पास तय की गयी भंडारण सीमा से अधिक गेहूं का भंडारण है, 30 दिन का समय भंडारण को निर्धारित सीमा तक लाने के लिए दिया गया है।

इससे पहले भी लग चुकी है गेहूं पर भंडारण सीमा

केंद्र सरकार इससे पहले भी गेहूं के दाम नियंत्रित करने के लिए भंडारण सीमा लगा चुकी है। केंद्र सरकार ने पिछले विपणन वर्ष में कई बार भंडारण सीमा में संशोधन किया था। लेकिन नई फसल को देखते हुए इस साल 31 मार्च से गेहूं पर भंडारण सीमा को हटा लिया गया था।

इससे पहले इस साल 8 फरवरी को गेहूं पर भंडारण सीमा में संशोधन किया गया था। जिसके मुताबिक गेहूं के थोक कारोबारियों के लिए गेहूं की भंडारण सीमा 1,000 टन से घटाकर 500 टन, जबकि प्रत्येक खुदरा कारोबारी के आउटलेट पर 5 टन गेहूं रखने की सीमा को बरकरार रखा गया था।

हालांकि बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा कारोबारियों के लिए प्रत्येक आउटलेट पर सीमा को 10 टन से घटाकर 5 टन और सभी डिपो पर भंडारण सीमा 1,000 टन से घटाकर 500 टन की गयी थी। आटा मिल मालिकों के लिए भंडारण सीमा अपनी स्थापित मासिक क्षमता के 70 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी की गयी थी।

Published / 2024-06-23 21:26:00
मध्यम वर्ग के लोगों की थालियों से गायब हो रही हरि सब्जियां

रसोई घरों से गायब होने लगी हैं सब्जियां

सालभर में 65% बढ़े खाद्य पदार्थों के दाम

एबीएन बिजनेस डेस्क। देश में लगातार बढ़ रही महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़कर रख दी है। जरूरी खाने-पीने की चीजों में भी बेतहासा बढ़ोतरी हो रही है। बीते एक साल में खाद्य पदार्थों के दाम 65 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इसमें रोजाना इस्तेमाल होने वाली सब्जियों के नाम भी शामिल हैं। 

सब्जियों की बढ़ती कीमतों की वजह से ज्यादातर घरों की रसोई से अब सब्जियां ही गायब होने लगी हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरान सबसे ज्यादा दाम प्याज, आलू और टमाटर के बढ़े हैं। इसके साथ ही दाल, चावल और खाने-पीने की अन्य वस्तुएं भी काफी महंगी हुई हैं।

एक साल में किस चीज की कितनी हुई कीमत

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उलपब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल 21 जून को चावल की कीमत 40 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 45 रुपए प्रति किग्रा हो गई है जबकि मूंग दाल के दाम 109 रुपए से बढ़कर 119 रुपए पहुंच गए हैं। 

वहीं मसूर दाल की कीमत 92 रुपए से बढ़कर 94 रुपए हो गई है और चीनी के दाम 43 रुपए से बढ़कर 45 रुपए प्रति किलोग्राम हो गए हैं। वहीं दूध की कीमत 58 रुपए से बढ़कर 59 रुपए प्रति लीटर हो गई है। वहीं इस दौरान खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। 

मूंगफली तेल का दाम लगभग स्थिर बने हुए हैं जबकि सरसों का तेल 142 रुपए से घटकर 139 रुपए लीटर पर आ गया है जबकि सोया तेल के दाम 132 से कम होकर 124 रुपए लीटर हो गए हैं। वहीं पाम ऑयल की कीमत 106 रुपए से गिरकर 100 रुपए प्रति लीटर पर आ गए हैं जबकि चाय का भाव 274 रुपए से बढ़कर 280 रुपए प्रति किग्रा हो गया है।

जानें कितनी बढ़ीं सब्जियों की कीमत

वहीं खुदरा बाजारों के आंकड़ों के मुताबिक, सब्जियों की कीमतें भी आसमान पर हैं। बाजार में फूलगोभी 80 रुपए प्रति किग्रा तो खुदरा बाजार में परवल का भाव 60 रुपए प्रति किलोग्राम चल रहा है जबकि लौकी का भाव 60 रुपए प्रति किग्रा हो गया है। 

वहीं आलू का भाव आलू 22 रुपए से बढ़कर 32 किग्रा हो गया है जबकि प्याज 23 रुपये से बढ़कर 38 रुपए प्रति किग्रा हो गयी है। टमाटर के दाम 32 रुपए से चढ़कर 48 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गए हैं जबकि अरहर दाल का भाव 128 रुपए से बढ़कर 161 रुपए प्रति किग्रा हो गया है जबकि उड़द दाल 112 से 127 रुपए प्रति किग्रा पर पहुंच गई है।

Published / 2024-06-20 21:14:24
सेंसेक्स 77,479 के आल टाइम हाई पर बंद, निफ्टी 51 अंक चढ़ा

शेयर बाजार ने फिर तोड़ा रिकॉर्ड!  

  • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी भी 0.22 प्रतिशत या 51 अंक की वृद्धि के साथ रिकॉर्ड 23,567 अंक के लेवल पर बंद हुआ 
  • इजराइल-ईरान युद्ध से बेअसर रहा शेयर बाजार, सेंसेक्स 600 अंक उछला, निफ्टी 22 हजार के पार 

एबीएन बिजनेस डेस्क। भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को उछाल देखा गया जिससे सेंसेक्स और निफ्टी नये शिखर पर पहुंच गये। विदेशी निवेशकों की खरीदारी के बीच, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, और एचडीएफसी बैंक जैसे हैवी वेटेज वाले शेयरों में लिवाली से बाजार चढ़कर बंद हुआ। 
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स आज तेजी के साथ 77,554.83 अंक पर खुला। 

कारोबार के दौरान यह 77,643.09 अंक के रिकॉर्ड हाई लेवल तक चला गया था। अंत में सेंसेक्स 0.18 प्रतिशत या 141.34 अंक की बढ़त के साथ 77,478.93 अंक के आल टाइम हाई लेवल पर बंद हुआ। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी भी 0.22 प्रतिशत या 51 अंक की वृद्धि के साथ रिकॉर्ड 23,567 अंक के लेवल पर बंद हुआ। 

सेंसेक्स की कंपनियों में जेएसडब्ल्यू स्टील 1.67 परेशात चढ़कर बंद हुआ। साथ ही टाटा स्टील, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, कोटक बैंक, एक्सिस बैंक, एशियन पेण्ट, एचडीएफसी बैंक के शेयर प्रमुख रूप से लाभ में रहे। दूसरी तरफ, सनफार्मा का शेयर सबसे ज्यादा 2.24 प्रतिशत लुढ़क गया। इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा, एनटीपीसी, एसबीआई, विप्रो, पावर ग्रिड, भारती एयरटेल, टाइटन, मारुति, बजाज फिनसर्व, टीसीएस के शेयर भी गिरावट में बंद हुए। 

शेयर बाजार में आज तेजी की वजह 

प्राइवेट बैंक और मेटल शेयरों में तेजी के चलते बाजार आज चढ़कर बंद हुआ। साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक जैसे हैवी वेटेज वाले शेयरों में खरीदारी से बाजार को समर्थन मिला। 

बोनांजा पोर्टफोलियो के रिसर्च एनालिस्ट वैभव विदवानी ने कहा कि निफ्टी पॉजिटिव रुख में बंद हुआ। बैंकिंग क्षेत्र में आशावाद कायम रहा जिससे बाजार में तेजी को समर्थन मिला। ज्यादातर फर्टिलाइजर शेयरों में लगातार दूसरे दिन तेजी जारी रही और ये 20 प्रतिशत तक चढ़ गये। 

वैश्विक बाजारों का क्या हाल 

एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का सियोल और जापान का टोक्यो हरे निशान में बंद हुए जबकि शंघाई और हांगकांग निचले स्तर पर बंद हुए। यूरोप के बाजार प[पॉजिटिव रुख में कारोबार कर रहे थे जबकि जूनटीन्थ के मौके पर बुधवार को अमेरिकी बाजार बंद रहे।

Published / 2024-06-19 21:16:17
ऊर्जा बदलाव में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा अडाणी समूह : गौतम अडाणी

एबीएन बिजनेस डेस्क। अडाणी समूह ऊर्जा बदलाव परियोजनाओं और विनिर्माण क्षमता में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करेगा। समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने बुधवार को यह जानकारी दी। समूह का मकसद हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी सभी प्रमुख कलपुर्जों का विनिर्माण करना है। 

सूर्य की रोशनी से बिजली का उत्पादन करने के लिए सौर पार्क और पवन फार्म बनाने के अलावा समूह हरित हाइड्रोजन, पवन ऊर्जा टर्बाइन और सौर पैनल बनाने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित कर रहा है। हरित हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइजर की मदद से पानी से हाइड्रोजन को विभाजित करके बनाया जाता है। इसे उद्योग के साथ-साथ परिवहन क्षेत्र को कॉर्बन-मुक्त करने के लिए एक संभावित उपाय के रूप में देखा जा रहा है। 

क्रिसिल द्वारा आयोजित बुनियादी ढांचा-भारत के भविष्य के लिए उत्प्रेरक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अडाणी ने कहा कि ऊर्जा बदलाव और डिजिटल बुनियादी ढांचा अरबों डॉलर के अवसर हैं जो भारत को स्थानीय और वैश्विक स्तर पर बदल देंगे। उन्होंने कहा कि अगले दशक में हम ऊर्जा बदलाव के क्षेत्र में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे और अपनी एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला का और विस्तार करेंगे। हमारी मूल्य श्रृंखला में पहले से प्रत्येक प्रमुख कलपुर्जें का विनिर्माण शामिल है। 

कोयले-से-बंदरगाह क्षेत्र में कार्यरत समूह दुनिया का सबसे कम महंगे हरित इलेक्ट्रॉन का उत्पादन करना चाहता है जो कई क्षेत्रों के लिए फीडस्टॉक का काम करेगा। अडाणी ने कहा- और ऐसा करने के लिए हम पहले से ही कच्छ जिले (गुजरात में) के खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा एकल-स्थल नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बना रहे हैं। केवल इस एकल स्थान से 30 गीगावाट बिजली पैदा होगी, जिससे हमारी कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2030 तक 50 गीगावाट पर पहुंच जायेगी।

अडाणी ने कहा कि ऊर्जा बदलाव का क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को हमेशा के लिए मौलिक रूप से बदल देगा। उन्होंने कहा कि 2023 में वैश्विक ऊर्जा बदलाव बाजार का मूल्य लगभग 3,000 अरब डॉलर था, जिसके बढ़कर 2030 तक 6,000 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। उसके बाद 2050 तक यह हर 10 साल में दोगुना हो जायेगा।

Published / 2024-06-16 21:28:30
एक और टेंशन... जल्द घट सकती है चीनी की मिठास

चीनी की मिठास पड़ेगी महंगी, बढ़ सकते हैं दाम

एबीएन बिजनेस डेस्क। आने वाले समय में चीनी की मिठास लेने के लिए आपको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ सकता है। दरअसल, राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर कम से कम 42 रुपए प्रति किलोग्राम करने का आग्रह किया ताकि बढ़ती उत्पादन लागत के बीच मिलों को परिचालन जारी रखने में मदद मिल सके। 

वहीं, समाचार रिपोर्टों से पता चला है कि सरकार 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले 2024-25 के आगामी सीजन के लिए चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य  को बढ़ाने पर विचार कर रही है। अगर सरकार चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी करती है तो इसका असर खुदरा मार्केट में देखने को मिलेगा। चीनी की प्रति किलो कीमत बढ़ सकती है यानी आपको चीनी खरीदने के लिए अधिक पैसे चुकाने होंगे। जानकारों का कहना है कि चीनी की कीमत प्रति किलो 3 से 4 रुपये बढ़ सकती है।

2019 से कीमत में नहीं हुआ बदलाव 

न्यूनतम बिक्री मूल्य वर्ष 2019 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित रखा गया है, जबकि सरकार ने हर साल गन्ना उत्पादकों को दिए जाने वाले उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि की है। एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने एक बयान में कहा कि महासंघ ने खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को आंकड़े सौंपे हैं, जिसमें चीनी उत्पादन लागत में लगातार वृद्धि दिखाई दे रही है, जिससे न्यूनतम विक्रय मूल्य को गन्ने के एफआरपी के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक हो गया है। पाटिल ने कहा कि यदि चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर 42 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया जाता है, तो चीनी उद्योग लाभप्रद हो सकता है। 

सरकार के 100 दिन के एजेंडे में शामिल 

उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कदम सरकार के 100-दिवसीय एजेंडे का हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि एनएफसीएसएफ और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम संयुक्त रूप से अक्टूबर 2024 से शुरू होने वाले आगामी सत्र से सहकारी मिलों को उनकी पेराई क्षमता के आधार पर गन्ना कटाई मशीनें उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि हाल ही में पुणे में केंद्रीय खाद्य एवं सहकारिता मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक में भी इन चिंताओं पर चर्चा की गयी।

Published / 2024-06-07 22:18:37
इनकम टैक्स की रिटर्न भरने की तैयारी करें

एबीएन बिजनेस डेस्क। वेतन, पेंशन और छोटे व्यवसाई के लिए वर्ष 2023-24 के लिए आय कर रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है और अब इसे भरने का समय आ गया है। अगर हमने रिटर्न समय पर भर दिया तो ठीक है वरना शुल्क के साथ इसे हम इस वर्ष 31 दिसंबर तक भी भर सकते हैं। 
अगर आपकी आय छूट की सीमा से अधिक है तो आपको आय कर का रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है। 

पर मेरे विचार से हर पैन कार्ड धारक को रिटर्न भर ही देना चाहिए; भले ही आपको कोई कर भुगतान न करना है। रिटर्न न भरने पर हम कई बार कई सुविधाओं, जैसे बैंक लोन आदि, से वंचित हो सकते हैं। रिटर्न भरने के पूर्व आपको अपने नियोक्ता से फॉर्म 16, बैंक से ब्याज व टीडीएस का विवरण, शेयर ब्रोकर से कैपिटल गेन का विवरण आदि ले लेना चाहिए। 

अगर आपने बैंक आदि से गृह या शिक्षा का कर्ज लिया है तो उस से मूल और ब्याज भुगतान का सर्टिफिकेट ले लें। अगर आप के पास जीवन बीमा पॉलिसी, पीपीएफ अकाउंट, ईएलएसएस निवेश, एनपीएस अकाउंट, मेडिकल पॉलिसी आदि है तो उसमें किए गए भुगतान का विवरण भी निकाल लें। पुरानी कर प्रणाली से रिटर्न भरने पर आपको इन निवेशों पर सेक्शन 80 उ में आय कर से छूट मिलती है। 

इसके अलावा अगर आपकी कोई और आय भी है तो उसका विवरण भी बना लें। इसके बाद आय कर पोर्टल में अपने आईडी और पासवर्ड का प्रयोग कर अपना रिटर्न चुन कर इसे भर सकते हैं। अपना आय कर फॉर्म का चुनाव भी सावधानी से आय कर नियमों के अंर्तगत करें। अगर इसमें कोई कठिनाई हो तो आय कर सलाहकार की मदद ली जा सकती है वरना बाद में आय कर विभाग से प्रश्न आदि पूछे जायेंगे। 

आपको यह भी तय करना है कि आप अपना रिटर्न नई या पुरानी, दोनों में से किसी भी एक के अंतर्गत भर सकते हैं। मेरी सलाह है कि आप दोनों प्रणाली में कर की गणना करें और जिसमें आपकी कर भुगतान की राशि कम आये और आपको कम कर भुगतान करना पड़े, उसे चुन लें। इसके चुनाव के लिए भी आप कर सलाहकार की मदद ले सकते हैं।

Published / 2024-06-07 22:16:22
राहत... नीतीश-नायडू के भरोसे पर बाजार ने लगायी मुहर

पीएम के संबोधन में इकोनॉमी के इन क्षेत्रों पर रहा जोर

एबीएन बिजसेस डेस्क। रिजर्व बैंक द्वारा जीडीपी के अनुमानों को बढ़ाने का कदम भी शेयर बाजार के लिए बूस्टर साबित हुआ है। शुक्रवार को सबसे ज्यादा तेजी आईटी इंडेक्स में रही। इंडेक्स 3 फीसदी तक बढ़ गया। जबकि बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का बाजार मूल्य एक बार फिर पांच लाख करोड़ के डॉलर के पार पहुंच गया।

केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद पहली बार शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। शुक्रवार को सेंसेक्स 76,795 के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, बाद में ये थोड़ा नीचे आया और 1,618 अंक की बढ़त के साथ 76,693 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में भी कारोबार के दौरान करीब 500 अंकों की बढ़त देखने को मिली। निफ्टी 23,320 के स्तर पर पहुंचा। निफ्टी 468 अंक की बढ़त के साथ 23,290 के स्तर पर बंद हुआ। 

ये निफ्टी भी अपने उच्चतम स्तर पर बंह हुआ। शेयर बाजार में आयी इस तेजी के पीछे कई अहम कारण बताए जा रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी और अहम वजह सरकार बनाने जा रहे एनडीए के नेताओं के बयान हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा जीडीपी के अनुमानों को बढ़ाने का कदम भी शेयर बाजार के लिए बूस्टर साबित हुआ है। शुक्रवार को सबसे ज्यादा तेजी आईटी इंडेक्स में रही। इंडेक्स 3 फीसदी तक बढ़ गया। जबकि बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का बाजार मूल्य एक बार फिर पांच लाख करोड़ के डॉलर के पार पहुंच गया।

एनडीए की बैठक में 13 दलों के नेता और 293 नवनिर्वाचित सांसद पहुंचे

दरअसल, शुक्रवार दोपहर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) संसदीय दल की बैठक हुई। इसमें 13 दलों नेता सहित एनडीए के सभी 293 सांसद, राज्यसभा सांसद और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम मौजूद थे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वागत भाषण दिया। राजनाथ सिंह ने एनडीए के नेता और प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा। अमित शाह ने इसका समर्थन किया और नितिन गडकरी ने अनुमोदन किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं सभी नवनिर्वाचित सांसदों को बधाई देना चाहता हूं। 

आज हम एनडीए का नेता चुनने के लिए यहां आए हैं। मेरा मानना है कि इस पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम सबसे उपयुक्त है। इसके बाद वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह, नितिन गडकरी और राजग के अन्य साथी टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, जदयू के नीतीश कुमार, शिवसेना के एकनाथ शिंदे समेत अन्य नेताओं ने प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रधानमंत्री ने कहा- मुझे नया दायित्व देने के लिए आभार। मेरा एक ही लक्ष्य है- भारत माता और देश का विकास।

नायडू और नीतीश कुमार ने की पीएम की तारीफ 

जैसे ही टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बैठक में पीएम मोदी की तारीफ की और अपना खुला समर्थन किया। वैसे की शेयर बाजार में तूफानी तेजी देखी गयी। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में आयी इस तेजी के पीछे कई अहम फैक्टर जिम्मेदार हैं। इसमें सबसे अहम सरकार बनाने जा रहे एनडीए नेताओं के बयान हैं। एक खबर यह भी है कि एनडीए में शामिल नेता सरकार के सामने कोई मांग नहीं रख रहे हैं।

चिराग पासवान ने बयान दिया कि उन्हें कोई मंत्री पद नहीं चाहिए। इन बयानों से संकेत गए हैं कि मौजूदा सरकार पर फिलहाल किसी तरह की अस्थिरता नहीं है। इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा जारी किये गये जीडीपी के अनुमानों को बढ़ाने का कदम भी शेयर बाजार के लिए फायदेमंद साबित हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि शुक्रवार को संसद में टीडीपी और जेडीयू के समर्थन करने और नरेंद्र मोदी के संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद शेयर बाजार का सेंटीमेंट बदला और मार्केट तेजी से भागने लगा। 

बाजार में आयी इस तेजी के कारण कुछ शेयर 15 फीसदी तक बढ़ गये। टीडीपी के समर्थन के बाद से ही नायडू से जुड़ी कंपनियों के दोनों स्टॉक में जबरदस्त तेजी देखी गयी। नायडू ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरी है। देश की इकॉनमी की ये तेज रफ्तार इसी तरह से जारी रहेगी और पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत इस बार तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।

अर्थव्यवस्था पर पीएम ने रखा एजेंडा, फूड प्रोसेसिंग समेत इन क्षेत्रों पर दिखा जोर

एनडीए का नेता चुने जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि 10 वर्ष हमने जो काम किया वो तो ट्रेलर है, हमें और तेजी से देश की आकांक्षाओं को पूरा करने में रत्ती भर भी देरी नहीं करनी है। जनता चाहती है कि हम लोग पुराने रिकॉर्ड तोड़ें। एनडीए का मतलब न्यू इंडिया, डेवलप इंडिया, एस्पिरेशनल इंडिया। 

प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन में कहा कि अब हमें बिना समय गंवाए 5 से 3 नंबर की इकॉनमी पर पहुंचना है। देश की जरूरतों को पूरा करना है। टूरिज्म ऐसी इंडस्ट्री है जिसमें गरीब भी कमाता है और होटल वाला भी कमाता है। डिजिटल कनेक्टिविटी भी इसमें फायदा देगी। रीजनल टूरिज्म को भी मजबूत करना है। हम अपनी संस्कृति और विरासत को जितना फोकस करेंगे, उतना ज्यादा फायदा हमें मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि बीते दस साल में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी सराहनीय काम किया है। आज भारत दुनिया में नये मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर उभर रहा है। हम फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आज भारत हर क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। मुद्रा योजना, ड्रोन दीदी, विश्वकर्मा योजना ने भी नयी संभावनाओं को जन्म दिया है। मैं मानता हूं कि भारत के लिए टूरिज्म के क्षेत्र में आने वाले 25 साल बहुत अहम रहने वाले हैं। टूरिज्म क्षेत्र में निवेश के कई अवसर हैं। 

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी 3.0 के लिए पहले 100 दिन काफी अहम रहने वाले हैं। ऐसी उम्मीद है कि शुरुआती समय में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और डिफेंस सेक्टर में बड़े आर्डर जारी कर सकती है। इसके अलावा हाईवे, पावर सेक्टर, रेलवे और सोलर पर भी फोकस रहेगा। एनडीए घटक दलों के प्रदेश यानी बिहार और तमिलनाडु में बड़े कैपिटल एक्सपेंडिचर और मेगा प्रोजेक्ट्स का एलान किया जा सकता है।

राहुल गांधी के बयान का शेयर बाजार पर नहीं हुआ कोई असर

हालांकि शुक्रवार बाजार में गिरावट की उम्मीद लगायी जा रही थी। इसकी वजह कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवाल हैं। राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 4 जून नतीजे वाले दिन स्टॉक मार्केट में आयी गिरावट को बड़ा घोटाला बताया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसकी जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से जांच कराने की मांग की है। राहुल गांधी ने कहा कि 31 मई को भारी स्टॉक एक्टिविटी थी। ये वो लोग थे, जो जानते थे कि कोई न कोई घपला हो रहा है। हजारों करोड़ों यहां इन्वेस्ट हुए। 

30 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। रिटेल इन्वेस्टर का नुकसान हुआ। ये हिंदुस्तान का सबसे बड़ा स्कैम है। दूसरी तरफ राहुल गांधी के आरोप पर भाजपा नेता पीयूष गोयल ने कहा- फिर एक बार मोदी सरकार आना निश्चित है। इस बात से राहुल गांधी परेशान नजर आते हैं। लोग निवेश न करें, इसके लिए बोल रहे हैं। एक जून और 4 जून की खरीद फरोख्त से भारतीय निवेशकों को नुकसान नहीं, बल्कि फायदा हुआ।

Published / 2024-06-03 18:27:46
चुनाव खत्म, अब महंगाई की मार शुरू, दूध हुआ दो रुपये महंगा

अमूल-मदर डेयरी ने बढ़ायी दूध की कीमतें

दाल-सब्जी के बढ़े दामों के साथ महंगाई की चौतरफा मार

एबीएन बिजनेस डेस्क। चुनाव बीतते ही उपभोक्ताओं पर महंगाई की जोरदार मार पड़ी है। आज मदर डेयरी ने भी अपने दूध के दामों में प्रति लीटर दो रुपये की बढ़ोतरी कर दी है। इसके पहले अमूल ने अपने दूध के दामों में बढ़ोतरी की थी। पिछले हफ्ते ही एनएचएआई ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल दरों में पांच फीसदी तक की वृद्धि कर दी थी, जिससे आम उपभोक्ताओं का सफर महंगा हो गया था। 

माना जा रहा है कि आने वाले समय में पेट्रोल, डीजल और गैस के दामों में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इससे उपभोक्ताओं पर महंगाई की चौतरफा मार पड़ सकती है। मदर डेयरी ने आज नये मूल्य जारी करते हुए बताया है कि टोंड दूध अब 54 रुपये प्रति लीटर की बजाय 56 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा। 

गाय का दूध भी अब 56 रुपये प्रति लीटर की बजाय 58 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा। फुल क्रीम दूध अब 66 रुपये प्रति लीटर की बजाय 68 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 70 रुपये की बजाय 72 रुपये प्रति लीटर मिलेगा।

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