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Published / 2024-08-31 21:19:28
आटो सेक्टर में टीवीएस को पछाड़ने की तैयारी में जुटी बजाज

दूसरे स्थान के लिए बजाज आटो की टक्कर 

बजाज आटो जल्द ही अपनी प्रतिस्पर्धी को हटाने की चुनौती पेश कर रही है 

सुरजीत दास गुप्ता 

एबीएन बिजनेस डेस्क। देश की पुरानी दोपहिया वाहन कंपनियां : बजाज आटो और टीवीएस- बाजार हिस्सेदारी के लिए पूरी ताकत से भिड़ी हुई हैं। बजाज आटो जल्द ही अपनी प्रतिस्पर्धी को हटाने की चुनौती पेश कर रही है। पुणे की यह दिग्गज कंपनी ई-दोपहिया में केवल दो महीने पहले टीवीएस से काफी पीछे थी। अब इसने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।

वाहन पंजीकरण के आधार पर इसकी बाजार हिस्सेदारी जून (केवल 9,046 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बेचे) में 11.6 प्रतिशत थी जो उसने बढ़ाकर 30 अगस्त तक 19.3 प्रतिशत कर ली है। उसने 30 अगस्त तक 14,977 वाहन बेचे हैं। ऐसा इसलिए हुआ कि बजाज ने वितरण पर जोर दिया और अधिक किफायती स्कूटर पेश किये। लिहाजा, यह टीवीएस के करीब पहुंच गयी है, जिसकी हिस्सेदारी अगस्त में 20.1 प्रतिशत थी।

जुलाई में टीवीएस की बाजार हिस्सेदारी 18.1 प्रतिशत थी। इस बीच बाजार की प्रमुख कंपनी ओला इलेक्ट्रिक ने सफल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बावजूद ई-दोपहिया में बाजार हिस्सेदारी में जुलाई की 40.1 प्रतिशत की तुलना में अगस्त (30 अगस्त तक) में गिरावट देखी और यह घटकर 32.9 प्रतिशत रह गई। लेकिन इस गिरावट के बावजूद ई-दोपहिया का कुल बाजार, जिसमें जुलाई में उछाल आयी थी, इस महीने एक-चौथाई तक गिर गया और पंजीकरण संख्या जुलाई की 1,03,894 के मुकाबले लुढ़क कर 30 अगस्त तक 77,565 रह गया।

अगस्त में ओला इलेक्ट्रिक के आईपीओ की कामयाबी तथा बजाज और टीवीएस द्वारा एक लाख रुपये से कम कीमत के इलेक्ट्रिक स्कूटर पेश किए जाने से ओला के मुकाबले उनकी बिक्री की संख्या में बढ़ोतरी हुई। अलबत्ता दोपहिया वाहन कंपनियों ने कहा कि आगामी त्योहारी सीजन के लिए वे क्षमता तैयार कर रही हैं। लेकिन उन्हें लग रहा है कि सितंबर में श्राद्ध के कारण बिक्री में कम रह सकती है क्योंकि श्राद्धों के दौरान उत्तर भारत में ग्राहक नयी संपत्तियां नहीं खरीदते हैं। 

महीना खत्म होने से एक दिन पहले (इस महीने 30 अगस्त तक) तक ओला इलेक्ट्रिक के इलेक्ट्रिक स्कूटर के पंजीकरण की संख्या 25,580 के आंकड़े तक पहुंच गयी। इसके मुकाबले जुलाई में पंजीकरण की संख्या 41,704 थी, जिसमें पिछले महीने के मुकाबले 39 प्रतिशत की गिरावट आयी। पुरानी कंपनियों का भी यही हाल रहा। 

बजाज के पंजीकरण की संख्या अगस्त में 15.5 प्रतिशत तक गिरकर 14,977 रह गई जबकि जुलाई में यह संख्या 17,742 थी। टीवीएस ने 30 अगस्त तक 15,658 वाहनों की बिक्री दर्ज की जबकि जुलाई में यह संख्या 19,629 थी।

Published / 2024-08-27 21:08:15
डिजिटल पेमेंट में बढ़ रही लोगों की रूचि

  • छोटे शहरों, कस्बों में 40 प्रतिशत लोग रोजाना कर रहे डिजिटल पेमेंट: चेज इंडिया रिपोर्ट 
  • रिपोर्ट में डिजिटल भुगतान सेवाओं को अपनाने में कारोबारियों और उपभोक्ताओं के सामने जमीनी स्तर पर आने वाली प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गयी है 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। देश के तीसरे दर्जे के शहरों से लेकर छोटे कस्बों में 40 प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता दैनिक आधार पर डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल करते हैं जबकि 45 प्रतिशत लोग दो दिन में एक बार इसका इस्तेमाल करते हैं। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। 

भारत में डिजिटल भुगतान की स्थिति पर जारी चेज इंडिया की एक रिपोर्ट कहती है कि इसमें देश के तीसरी से लेकर छठी श्रेणी के शहरों में उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल भुगतान के लगातार उपयोग को दर्शाया गया है। रिपोर्ट में डिजिटल भुगतान सेवाओं को अपनाने में कारोबारियों और उपभोक्ताओं के सामने जमीनी स्तर पर आने वाली प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गयी है। 

रिपोर्ट कहती है कि ग्रामीण भारत में डिजिटल भुगतान का उपयोग नहीं करने वाले लगभग आधे कारोबारी इस सेवा से अनजान हैं। इसके उलट डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल नहीं करने वाले उपभोक्ताओं में से 94 प्रतिशत इससे परिचित होने के बावजूद इसका उपयोग नहीं करते हैं। दरअसल, इंटरनेट 

कनेक्टिविटी की कमी, सीमित ज्ञान, आॅनलाइन भुगतान में अविश्वास और सेवा-संबंधी समस्याओं के चलते उपभोक्ता डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल नहीं करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 41 प्रतिशत कारोबारियों को अपनी बिक्री का 25 प्रतिशत से कम डिजिटल भुगतान के माध्यम से मिलता है जबकि लगभग 15 प्रतिशत कारोबारियों को बिक्री का 50 प्रतिशत से अधिक डिजिटल भुगतान के माध्यम से मिलता है। 

रिपोर्ट कहती है, यह स्थिति जमीनी स्तर पर डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ाने के संबंध में अब भी मौजूद संभावनाओं को दर्शाती है। रिपोर्ट कुल 2,240 उत्तरदाताओं के बीच कराए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आठ राज्यों को लेते हुए 16 जिलों में फैले 1,184 उपभोक्ता और 1,056 कारोबारियों की राय ली गयी।

Published / 2024-08-07 21:58:23
मुकेश अंबानी की जियो देशभर में नंबर 1 पर बरकरार

  • मुकेश अंबानी की कंपनी जियो की धूम: साल 2023-24 में जोड़े 4.24 करोड़ नये ग्राहक, 5जी में दबदबा 
  • देश में 5जी नेटवर्क की 85% क्षमता जियो के पास है। इसके अलावा, भारत में कुल डेटा इस्तेमाल का 60% हिस्सा जियो का है
  • जियो का नेट प्रॉफिट 12 फीसदी बढ़ा, कंपनी ने कमाये 26,478 करोड़ रुपये 

निशा आनंद 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी, रिलायंस जियो के ग्राहकों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। कंपनी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल यानी 2023-24 में जियो के 4.24 करोड़ नए ग्राहक जुड़े हैं। अब कंपनी के कुल 48.18 करोड़ ग्राहक हो गये हैं। 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जियो के 10.8 करोड़ से ज्यादा ग्राहक 5जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे जियो ट्र5जी कहा जाता है। देश में 5जी नेटवर्क की 85% क्षमता जियो के पास है। इसके अलावा, भारत में कुल डेटा इस्तेमाल का 60% हिस्सा जियो का है। 

जियो ने पूरे देश में 5जी नेटवर्क बिछाया 

रिलायंस जियो ने बताया कि उसने पूरे देश में 5जी नेटवर्क बहुत जल्दी बिछा दिया है। अब जियो के कुल डेटा में से लगभग 30% डेटा 5जी नेटवर्क पर चल रहा है। और ये जो 5जी डेटा है, वो सारा जियो के ही 5जी और 4जी नेटवर्क के साथ मिलकर चल रहा है। 

जियो की सफलता की कहानी 

साल 2016 में जियो ने 4जी सेवा शुरू की थी। उसके बाद से जियो ने बहुत तरक्की की है। पिछले साल जियो की कमाई 11% बढ़कर 15.9 अरब डॉलर हो गयी। वहीं, कंपनी का मुनाफा भी 12.7% बढ़कर 6.8 अरब डॉलर हो गया। मुंबई की इस बड़ी कंपनी का कारोबार कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। इसमें ऊर्जा, रिटेल, मनोरंजन, पेट्रोकेमिकल, प्राकृतिक गैस, टेलीकॉम और मीडिया शामिल हैं।

Published / 2024-08-07 19:06:49
सेंसेक्स 875 अंक चढ़ा, निफ्टी 24300 के पार

मजबूती के साथ बंद हुआ बाजार

एबीएन बिजनेस डेस्क। दो दिनों की गिरावट के बाद बुधवार को घरेलू शेयर बाजार में हरे निशान पर क्लोजिंग हुई। सेंसेक्स 874.94 (1.11%) अंकों की बढ़त के साथ 79,468.01 के स्तर पर बंद हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी 317.46 (1.32%) अंक चढ़कर 24,310.00 के स्तर पर पहुंचकर बंद हुआ। 

बुधवार के कारोबारी सत्र के दौरान ओएनजीसी के शेयरों में 7% जबकि कोल इंडिया के शेयरों में 6% की बढ़त दर्ज की गयी। पहली तिमाही के नतीजों के बाद वेदांता के शेयर भी 3% की बढ़त के साथ बंद हुए।

Published / 2024-08-05 21:15:23
शेयर मार्केट : भारत समेत दुनियाभर के बाजारों ने लगाया गोता

अमेरिकी में मंदी की आशंका से निवेशक सहमे 

एबीएन बिजनेस डेस्क। अमेरिका में मंदी की आशंका और बांग्लादेश में तख्तापलट की खबर पूरी दुनिया के शेयर बाजार को ले डूबी। क्या यूरोपीय, क्या एशियाई और क्या भारतीय हर जगह प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स गोते लगाते नजर आए। इस दौरान प्रमुख घरेलू बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 2,222.55 (-2.74%) अंकों की गिरावट के साथ 78,759.40 के स्तर पर बंद हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी 2.68% की गिरावट के साथ 24,055.60 पर बंद हुआ।  

रुपया डॉलर के मुकाबले सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद 

सोमवार को रुपया भी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 82.88 रुपये के पर बंद हुआ।

Published / 2024-07-21 16:35:02
क्रेडाई के आग्रह से क्या बदलेगा आम बजट का मिजाज?

क्रेडाई की घर खरीदने वालों के लिए कर छूट

बिल्डरों के लिए प्रोत्साहन की सिफारिश

एबीएन बिजनेस डेस्क। रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन क्रेडाई ने शनिवार को सरकार से आम बजट में घर खरीदने वालों को अधिक कर लाभ देने का अनुरोध किया। इसके साथ ही निकाय ने बिल्डरों को किफायती घर बनाने के लिए प्रोत्साहन देने और रियल एस्टेट परियोजनाओं को शुरू करने के लिए मंजूरी प्रक्रिया को आसान बनाने का आग्रह किया। क्रेडाई ने एक बयान में कहा कि उसने रियल एस्टेट क्षेत्र की वृद्धि के लिए सरकार को विभिन्न सिफारिशें दी हैं। 

संघ ने कहा कि ये सिफारिशें किफायती आवास परियोजनाओं में निवेश करने वाले डेवलपर के लिए मंजूरी प्रक्रियाओं को आसान बनाने और सब्सिडी जैसे उपायों के महत्व पर जोर देती हैं। क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा- जीडीपी, रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे के विकास में अपने महत्वपूर्ण योगदान के चलते भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र एक अनुकूल बजट की उम्मीद करता है। यह एक ऐसा बजट होना चाहिए जो कुछ दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करे और टिकाऊ वृद्धि का आधार तैयार करे।

उन्होंने कहा कि हमने अपनी सिफारिशों में घर खरीदारों के लिए ब्याज छूट में वृद्धि, सीएलएसएस (क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना) को फिर से शुरू करने और किफायती आवास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है। क्रेडाई ने कहा कि घर खरीदने को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्रालय को पहली स्व-कब्जे वाली संपत्ति के लिए असीमित ब्याज कटौती की अनुमति देने या कटौती सीमा को वर्तमान में दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने पर विचार करना चाहिए।

Published / 2024-07-17 21:29:45
बजट में कस्टम ड्यूटी में जरूरी बदलावों से घरेलू विनिर्माण को मजबूती की उम्मीद

एबीएन बिजनेस डेस्क। इंडियन चैंबर आफ कॉमर्स ने सरकार को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस्पात, सौर बैटरी, एल्यूमीनियम और लिथियम सेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बनाने का सुझाव दिया है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 23 जुलाई को पूर्ण केंद्रीय बजट पेश करेंगी। आईसीसी के अध्यक्ष अमेय प्रभु ने कहा कि इस्पात, सौर बैटरी, एल्युमीनियम और लिथियम सेल सहित अन्य क्षेत्रों में घरेलू उद्योग की वृद्धि के लिए सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है। 

प्रभु ने कहा- इन विशिष्ट क्षेत्रों में समग्र रूप से सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और भारत को विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि कच्चे माल पर शुल्क से घरेलू कंपनियों खासकर डाउनस्ट्रीम कंपनियों पर असर पड़ता है। 

अपस्ट्रीम कंपनियां तेल तथा गैस की खोज और उत्पादन में शामिल हैं, जबकि डाउनस्ट्रीम कंपनियां तेल तथा गैस उत्पादों के शोधन, विपणन व वितरण का काम करती हैं। उन्होंने मिश्रित पेट्रोलियम गैस पर शुल्क को पांच प्रतिशत से घटाकर 2।5 प्रतिशत करके उलटे शुल्क ढांचे में सुधार करने का भी अनुरोध किया।

लाभांश पर कर न लगाने की भी सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में आईसीसी ने राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया है। यह वास्तव में विश्व स्तरीय चैंबर बन गया है। उन्होंने कहा कि हमने न्यूजीलैंड, अमेरिका, यूरोप, आॅस्ट्रेलिया, कोरिया और पश्चिम एशिया के देशों सहित दुनिया भर में 25 खंड खोले हैं।

Published / 2024-07-16 21:10:53
चीनी कंपनियों को सरकार से बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की उम्मीद

  • उद्योग ने कहा- समस्या पैदा कर रहीं मौजूदा नीतियां 
  • राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ ने सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहा है। 

सुशील मिश्र 

एबीएन बिजनेस डेस्क। बढ़ती उत्पादन लागत से परेशान चीनी मिलों को राहत देने के लिए सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य  में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ ने सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहा है। ताकि बढ़ती उत्पादन लागत के बीच मिलों को परिचालन जारी रखने में मदद मिल सके। 

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड के निदेशक जयप्रकाश दांडेगावकर ने कहा कि केंद्र सरकार के त्वरित निर्णय नहीं लेने से चीनी उद्योग में कार्यशील पूंजी में कम मुनाफा, कर्ज जैसी समस्याएं फिर से उत्पन्न हो सकती हैं। सरकार ने गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य तीन बार बढ़ाया है, लेकिन चीनी के टरढ में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। सभी राज्य महासंघ पांच साल से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने सकारात्मक रूप से इस पर विचार नहीं किया। 

उन्होंने दावा किया कि ऐसी नीतियां चीनी उद्योग के लिए समस्या उत्पन्न कर रही हैं। हम सिर्फ चीनी उत्पादन की लागत की मांग कर रहे हैं। हम उत्पादन लागत के रूप में कम से कम 41 रुपये प्रति किलोग्राम चाहते हैं। गन्ने की लागत बढ़ गई है, परिवहन लागत बढ़ गयी है और मजदूरी शुल्क भी बढ़ा दिया गया है, लेकिन चीनी की कीमत वही है। 

अध्यक्ष और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के निदेशक, पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मिलों को लेकर अगले दस साल का रोड मैप तैयार किया गया है और चीनी उद्योग में आमूल-चूल परिवर्तन किये जायेंगे। गन्ने का ऋफढ बढ़ रहा है, चीनी की कीमत इसकी तुलना में नहीं बढ़ रही है। इसके कारण चीनी मिलों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए अगर चीनी उद्योग को बचाना है तो चीनी की न्यूनतम कीमत 4200 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में की गई है। 

गौरतलब है कि साल 2019 में चीनी का एमएसपी बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो किया गया था। उस समय गन्ने का एफआरपी 275 रुपये प्रति क्विंटल था । धीरे धीरे गन्ने का एफआरपी बढ़ाकर 340 रुपये क्विंटल हो गया जबकि चीनी की टरढ 31 रुपये प्रति किलो ही है। गन्ने के उचित मूल्य की घोषणा फरवरी में की गई थी, लेकिन यह एक अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले चीनी सत्र से ही प्रभावी होगा। 

चीनी उद्योग को उम्मीद है कि सरकार चीनी एमएसपी को संशोधित करेगी और इसे गन्ने के एफआरपी में वृद्धि के साथ लागू करेगी, जिससे चीनी उद्योग की तरलता में सुधार होगा और उन्हें गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी।

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