गोल्ड लोन को आमतौर पर कोलैटेरल लोन माना जाता है। बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से गोल्ड लोन आसानी से मिल सकता है और यह पर्सनल लोन के मुकाबले सस्ता होता है। कम जोखिम के कारण बैंक, एनबीएफसी या अन्य वित्तीय संस्थानों से सोना गिरवी रखकर आसानी से लोन लिया जा सकता है। टेबल के जरिए जानते हैं कि कौन बैंक किस ब्याज दर गोल्ड लोन दे रहा है... बैंक ब्याज दर • पंजाब एंड सिंध बैंक 7.00% • बैंक ऑफ इंडिया 7.35% • एसबीआई 7.50% • केनरा बैंक 7.65% • कर्नाटक बैंक 8.42% • इंडियन बैंक 8.50% • यूको बैंक 8.50% • फेडरल बैंक 8.50% • पीएनबी 8.75% • यूनियन बैंक 8.85% (सोर्स: बैंकबाजार डॉट कॉम, आंकड़े: 23 मार्च, 2021 तक)
एबीएन डेस्क। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने कहा है कि 2021-22 का 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य काफी हद तक हासिल होने योग्य है। सुब्रमण्यम ने शनिवार को कहा कि एलआईसी के प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से ही सरकार को एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। सीईए ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को लक्ष्य में रखने का जो लक्ष्य दिया गया है, उससे उतार-चढ़ाव तथा मुद्रास्फीति के स्तर को कम करने में मदद मिली है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को 31 मार्च, 2021 तक वार्षिक मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। जन स्मॉल फाइनेंस बैंक के एक वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम ने शनिवार को कहा कि 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य वास्तव में 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के 2.10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का शेष हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इसमें भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) का निजीकरण और एलआईसी का आईपीओ महत्वपूर्ण होंगे। अनुमानों के अनुसार बीपीसीएल के निजीकरण से 75,000 से 80,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं। एलआईसी के आईपीओ से ही एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। सरकार बीपीसीएल में अपनी समूची 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। इसे आज की तारीख तक देश का सबसे बड़ा निजीकरण माना जा रहा है। जहां तक एलआईसी की सूचीबद्धता का सवाल है, सरकार ने इसी सप्ताह संसद में पारित वित्त विधेयक 2021 के जरिये एलआई अधिनियिम में संशोधन कर लिया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, विनिवेश के ये आंकड़े काफी हद तक हासिल होने योग्य हैं। इनमें से कई पर काम शुरू हो गया है। अगले वित्त वर्ष में इन्हें पूरा कर लिया जाएगा। सुब्रमण्यम ने निजीकरण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है और उनका प्रशासन चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश को प्रतिबद्ध है। सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत को अपनी वृद्धि की क्षमता को पूरा करने के लिए और बैंकों की जरूरत है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका की आबादी भारत की एक-तिहाई है लेकिन वहां 25,000 से 30,000 बैंक हैं। भारत की दीर्घावधि की वृद्धि पर उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 10 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ने की उम्मीद है। 2022-23 में यह घटकर 6.5 से 7 फीसदी रह सकती है। उसके बाद अर्थव्यवस्था 7.5 से आठ फीसदी की दर से बढ़ेगी।
एबीएन डेस्क। अगले महीने से कंपनियों के लिए बोतलबंद पानी बेचना आसान नहीं होगा। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कंपनियों के लिए नियम में बदलाव किया है। एफएसएसएआई ने बोतलबंद पानी और मिनरल वॉटर विनिमार्ताओं के लिए लाइसेंस हासिल करने या पंजीकरण के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का प्रमाणन अनिवार्य कर दिया है। सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के खाद्य आयुक्तों को भेजे पत्र में एफएसएसएआई ने यह निर्देश दिया है। यह निर्देश एक अप्रैल 2021 से लागू होगा। इस संदर्भ में एफएसएसएआई ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2008 के तहत सभी खाद्य कारोबार परिचालकों (एफबीओ) के लिए किसी खाद्य कारोबार को शुरू करने से पहले लाइसेंस/पंजीकरण हासिल करना अनिवार्य होगा। नियामक ने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक (प्रतिबंध एवं बिक्री पर अंकुश) नियमन, 2011 के तहत कोई भी व्यक्ति बीआईएस प्रमाणन चिह्न के बाद ही बोतलबंद पेयजल या मिनरल वॉटर की बिक्री कर सकता है। मालूम हो कि गर्मियां शुरू होते ही देश में बोतलबंद पानी की मांग में तेजी से इजाफा हो जाता है। ऐसे में कई कंपनियां सिर्फ लाभ कमाने के लिए इस कारोबार से जुड़ जाती हैं। इन कंपनियों के पास रजिस्ट्रेशन भी नहीं होता है। इतना ही नहीं, इनके पास शुद्धता का भी कोई प्रमाण नहीं होता है। ऐसे में बड़ी जनसंख्या पर स्वास्थ्य को लेकर खतरा पैदा हो जाता है। इसको ध्यान मं रखते हुए सरकार ने अब बीआईएस प्रमाणन की अनिवार्यता लागू कर दी है।
नयी दिल्ली। सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि एअर इंडिया को जून के अंत तक नया मालिक मिल जाएगा। एक कार्यक्रम में बोलते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस साल मई में वित्तीय निविदा का चयन कर लिया जाएगा और जून में संभावित खरीदार की घोषणा कर दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकारी विमान कंपनी के निजीकरण की मौजूदा प्रक्रिया में कोविड-19 महामारी के कारण देरी हो गई है। वित्तीय निविदा मंगाने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। सरकार ने इस साल के अंत तक एअर इंडिया की बिक्री की प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य तय किया है। जून में नए मालिकों का चुनाव होने के बाद 6 महीने में एअर इंडिया का प्रबंधन सौंप दिया जाएगा। टाटा ग्रुप और अजय सिंह कतार में : इस महीने की शुरूआत में सूत्रों ने बताया था कि एअर इंडिया को खरीदने की कतार में अब टाटा ग्रुप और प्राइवेट एयरलाइन स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह का ग्रुप ही बचा है। अन्य कंपनियों के आवेदन एक्सप्रेशन आॅफ इंटरेस्ट मूल्यांकन के स्तर पर खारिज हो चुके हैं। एअर इंडिया को खरीदने के लिए इसके 209 पूर्व कर्मचारियों के ग्रुप के अलावा एस्सार ग्रुप, पवन रुइया की कंपनी डनलप और फाल्कन टायर्स ने भी जमा की थी। एअर इंडिया को 20 साल से बेचने की कोशिश : एअर इंडिया को बेचने की कोशिश काफी लंबे समय से हो रही है। 20 साल पहले से इसे बेचा जा रहा है। उस समय 20% हिस्सेदारी बेचने की बात हो रही थी। हालांकि, इस समय इसकी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। अब तक ढेर सारी कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन सरकार की शर्तों और इसके भारी-भरकम कर्ज के कारण कोई खरीदार नहीं आ पा रहा है। टाटा ग्रुप अभी भी इसको खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है। क्योंकि टाटा ग्रुप ने ही इसकी शुरुआत की थी। टाटा ग्रुप के सामने यह दिक्कत है कि वह एअर एशिया और विस्तारा में पहले से ही भागीदार है। 2017 में 74 पर्सेंट हिस्सा बेचने की योजना थी : सरकार 2017 में एअर इंडिया में 74% हिस्सेदारी बेच रही थी। पर बाद में इसे बढ़ाकर 100% कर दिया गया था। इसके साथ ही एअर इंडिया एक्सप्रेस में भी सरकार पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। एअर इंडिया के पास कुल 46 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति है। इसमें जमीन, बिल्डिंग, फ्लीट और अन्य संपत्तियां हैं। चालू वित्त वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान : कोविड-19 के चलते हवाई यातायात पर बुरा असर पड़ा है। इस कारण चालू वित्त वर्ष में एअर इंडिया को 10 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है। सरकार ने एअर इंडिया का 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज स्पेशल पर्पज व्हीकल अक असेट होल्डिंग्स लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया था। इस कारण एअर इंडिया का कर्ज घटकर 23 हजार करोड़ रुपए पर आ गया है।
देश में इस साल रिकॉर्ड सरसों उत्पादन की उम्मीद है। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के मुताबिक, 2020-21 के मौजूदा रबी सीजन में 89.5 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान है। यह पिछले साल के 75 लाख टन के मुकाबले 20 फीसदी से ज्यादा है। मौसम अनुकूल होने से प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ने का अनुमान सीओओआईटी के चेयरमैन बाबूलाल डाटा ने कहा, किसानों ने मौजूदा रबी सीजन में सरसों की ज्यादा बुवाई की है। इसके अलावा, मौसम अनुकूल होने से भी प्रति हेक्टेयर ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है। राज्यों के हिसाब से पिछले साल की तरह इस साल भी राजस्थान सबसे बड़ा सरसों उत्पादक होगा। वहां इस साल 35 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। उत्तर प्रदेश में 15 लाख टन, बिहार एवं अन्य पूर्वी राज्यों में 10 लाख टन, पश्चिम बंगाल में 5 लाख टन, गुजरात में 4 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है। पंजाब एवं हरियाणा में 10.5 लाख टन और मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में संयुक्त रूप से 10 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान है।
इस साल की शुरुआत में लगभग सभी आॅटो कंपनियां फोर-व्हीलर और टू-व्हीलर की कीमतें बढ़ा चुकी हैं। ऐसे में अब 1 अप्रैल से हीरो मोटोकॉर्प अपनी बाइक्स की कीमतों में इजाफा करने वाली है। इससे पहले कंपनी ने अपनी टू-व्हीलर को जब बीएस6 इंजन से रिप्लेस किया था, तब इनकी कीमतें बढ़ाई गई थीं। एक दिन पहले ही मारुति और निसान ने भी अपनी कार की कीमतें बढ़ाने का एलान किया है। दरअसल, गाड़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इसकी सीधा असर गाड़ी की लागत पर हो रहा है। ऐसे में कंपनियां इस लागत को अब ग्राहकों की जेब पर डाल रही हैं। हीरो मोटोकॉर्प ने बताया कि वो अपने टू-व्हीलर की कीमतों में 2500 रुपये तक की बढ़ोतरी करेगी। बाइक और स्कूटर के किस मॉडल पर कितने पैसे बढ़ेंगे, यह मार्केट के हिसाब से तय किया जायेगा। कंपनी अपने लागत बचत कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है, ताकि ग्राहकों की जेब पर इसका असर कम पड़े। हीरो मोटोकॉर्प ने बताया कि कच्चे माल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। खासकर स्टील की कीमतें एक साल के अंदर 50% तक बढ़ चुकी हैं। ऐसे में कंपनी को भी गाड़ी की कीमतों में इजाफा करना पड़ रहा है। बीएस6 इंजन का इस्तेमाल : सरकार ने बीते साल अप्रैल में सभी गाड़ियों में बीएस6 इंजन देना अनिवार्य कर दिया है। इस इंजन की लागत बीएस4 की तुलना में ज्यादा होता है। यही वजह है कि बीते साल से टू-व्हीलर की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। सेफ्टी नॉर्म्स में बदलाव : अब टू-व्हीलर में सेफ्टी फीचर्स को लेकर कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं। जैसे बाइक में डिस्क ब्रेक, कॉम्बी ब्रेक सिस्टम के साथ एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया है। इसकी वजह से बाइक की लागत भी बड़ गई है। पहले ये अइर जैसा सेफ्टी फीचर्स बाइक टॉप वैरिएंट में आता था। मंहगी इंपोर्ट ड्यूटी : गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल तो महंगा हुआ ही है, सरकार ने इनकी इंपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दी है। इसके साथ कई कंपनियां मटेरियल की डिलीवरी समय पर नहीं कर पा रही हैं। इसका असर भी गाड़ी के प्रोडक्शन और लागत पर हो रहा है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत आठवीं किस्त जल्द ही किसानों को भेजने का काम केंद्र सरकार करेगी। आपको बता दें कि केंद्र सरकार देश के पात्र किसानों के बैंक खातों में हर वित्त वर्ष में कुल 6,000 रुपये ट्रांसफर करने का काम करती है। इसी कड़ी में पीएम किसान स्कीम की आठवीं किस्त और वित्त वर्ष 2021-22 की पहली किस्त अप्रैल में किसानों के खाते में आ सकती है। यदि आप भी पीएम किसान के लाभुक हैं और रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है साथ ही आपके केवाईसी से जुड़े दस्तावेज अपडेटेड हैं तो आपको इस योजना के तहत दो-दो हजार रुपये की तीन किस्त में हर वित्त वर्ष प्राप्त होगी। हालांकि, यदि आपने अब तक इस स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो आगे की बात आपके काम की है। जी हां... आप केवल 5-10 मिनट में अपना रजिस्ट्रेशन कराने में सक्षम हैं। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सबसे पहले सरकार द्वारा तय अहतार्ओं पर ध्यान आपको देना होगा। जैसे डॉक्टर, सीए और वकील जैसे प्रोफेशनल यदि खेती-किसानी करते भी हैं तो उनको इस योजना का लाभ सरकार नहीं देती है। इसी प्रकार वर्तमान या पूर्व सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और मेयर जैसे जनप्रतिनिधियों को भी इस स्कीम का लाभ नहीं दिया जाता है। यही नहीं ग्रुप डी या मल्टी टास्किंग स्टाफ को छोड़कर किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को इस स्कीम का लाभ केंद्र सरकार नहीं देती है।
पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम ने आम नागरिकों की जेब पर असर डाला है। ऐसे में इलेक्ट्रिक गाड़ियां भारतीय ग्राहकों के लिए एक अच्छा विकल्प बन रहा है। आये दिन भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग बढ़ती जा रही है। इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कार कंपनियां बिजली से चलने वाली कारों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं। भारत की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी टाटा ने भी अपने इलेक्ट्रिक कार टाटा नेक्सन इवी को भारतीय बाजार में बेच रही है, जो बिना पेट्रोल और डीजल की चलती है। क्या है खासियत : टाटा नेक्सॉन इलेक्ट्रिक व्हीकल की खास बात यह है कि इसमें 30.2 केडब्ल्यूएच की क्षमता वाला बैटरी लगाया गया है, जो फुल चार्ज पर 312 किलोमीटर का रेंज देगी। इसकी चार्जिंग टाइम की बात की जाये, तो यह (0-80%) बैटरी मात्र 60 मिनट में चार्ज कर देती है। इसका इंजन 127 बीएचपी के पावर और 245 ल्ले का टॉर्क देता है। अन्य महत्वपूर्ण स्पेसिफिकेशंस की बात करें, तो इसमें पावर स्टीयरिंग, एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकफोर्स डिस्ट्रीब्यूशन, ड्राइवर और पैसेंजर एयरबैग्स, चाइल्ड सेफ्टी डोर लॉक, आॅटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, 7 इंच का टीएफटी ड्राइवर इन्फॉर्मेशन डिस्प्ले दिया गया है। क्या है कीमत : इस वेरिएंट की कीमत 14,66,067 रुपये (आॅन रोड प्राइस, दिल्ली) है। आप इस कार को 1 लाख 47 हजार रुपये की डाउन पेमेंट पर घर ले जा सकेंगे। डाउनपेमेंट के बाद आपको पांच साल के लिए 13,19,067 का लोन लेना होगा। जिसपर 9.8 फीसदी की ब्याज दर पर प्रतिमाह 27,897 रुपये का भुगतान करना होगा। आपको कुल 16,73,820 रुपये का भुगतान करना होगा। जिसमें 3,54,753 रुपये ब्याज राशि होगी। टाटा नेक्सॉन इलेक्ट्रिक व्हीकल पर 6 साल के लोन का आॅप्शन भी उपलब्ध है। इसमें आपको 9.8 फीसदी की ब्याज दर पर प्रतिमाह 24,304 रुपये की भुगतान करना होगा। 6 साल के दौरान आपको कुल 17,49,888 रुपये का भुगतान करना होगा, जिसमें 4,30,821 रुपये ब्याज राशि होगी।
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